अकाली दल ने की रंधावा व जस्टिस (सेवामुक्त) रणजीत सिंह की बर्खास्तगी की मांग

punjabkesari.in Wednesday, Aug 22, 2018 - 11:43 AM (IST)

चंडीगढ़ (ब्यूरो): हिम्मत सिंह द्वारा किए खुलासों ने शिरोमणि अकाली दल के उन दावों को सच साबित कर दिया है कि जस्टिस रणजीत सिंह कमिशन एक कांग्रेसी कमिशन है। शिरोमणि अकाली दल ने एक प्रस्ताव पारित कर मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा को पंजाब कैबिनेट से बर्खास्त करने तथा जस्टिस (सेवामुक्त) रणजीत सिंह को जांच कमीशन से दूर करने की मांग की है। पार्टी ने इन दोनों व्यक्तियों के खिलाफ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के संवेदनशील तथा धार्मिक मुद्दे पर झूठे सबूत तैयार करने का बड़ा गुनाह करने के लिए आपराधिक मामले दर्ज किए जाने की मांग की है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हरचरन सिंह व सीनियर अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने मीटिंग में हिम्मत सिंह द्वारा किए सनसनीखेज खुलासों का हवाला देते हुए कहा कि कैसे श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मुद्दे पर झूठा सबूत तैयार करने के लिए हिम्मत सिंह को झूठे दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए गुमराह किया गया था। कमिशन द्वारा हिम्मत सिंह को कभी भी तलब नहीं किया गया बल्कि उसे रणजीत सिंह के समक्ष पेश होने के लिए मजबूर किया गया जिसने पहले से ही अंग्रेजी में तैयार किए एक झूठे दस्तावेज पर उसके हस्ताक्षर करवा लिए। इस दस्तावेज में क्या लिखा था हिम्मत सिंह कुछ समझ नहीं सका। इसके साथ ही सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने पंजाबी में लिखे कुछ अन्य दस्तावेजों को पढऩे का मौका दिए बिना हिम्मत सिंह के हस्ताक्षर करवा लिए। 

कोर कमेटी ने कहा कि इन सनसनीखेज खुलासों ने शिरोमणि अकाली दल के इस स्टैंड की पुष्टि कर दी है कि बेअदबी की घटनाओं की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी मौजूदा जज द्वारा की जानी चाहिए। कोर कमेटी ने कहा कि जस्टिस रणजीत सिंह ने सिखों की धार्मिक भावनाओं से जुड़े मुद्दे पर ऐसा करके अपने पेशे को धब्बा लगाया है तथा कांग्रेस का दूत बनने का काम किया है। कोर कमेटी ने जस्टिस रणजीत सिंह की इस कार्रवाई की निंदा की है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग कब्जे में लिए जाने चाहिए थे तथा उन्हें इस मामले से जुड़ी वस्तु के तौर पर लिया जाना चाहिए था। कोर कमेटी ने कहा कि यह सब सिख सिद्धांतों तथा व रहित मर्यादा के विरुद्ध है। 

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