विधानसभा सत्र में जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर साढ़े 8 घंटे तक चली बहस

punjabkesari.in Wednesday, Aug 29, 2018 - 09:22 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब विधानसभा सत्र के अंतिम दिन बरगाड़ी कांड और बहबल कलां गोलीकांड पर जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर करीब साढ़े आठ घंटे लंबी बहस हुई। बहस के दौरान कैबिनेट मंत्रियों सहित आम आदमी के विधायकों ने भी बहबल कलां गोलीकांड की जांच सी.बी.आई. को न सौंपकर पंजाब पुलिस से ही इसकी जांच करवाए जाने की मांग की। कई मंत्रियों ने सी.बी.आई. को केंद्र सरकार की पुतली तक बताया। विधानसभा सत्र के दौरान अब तक की ये सबसे लम्बी चली बहस बताई जा रही है।

मेरी फोटो हिम्मत सिंह के साथ है, किसी ड्रग तस्कर के साथ तो नहीं : रंधावा 
इस दौरान कांग्रेसी विधायक सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने हिम्मत सिंह के मामले पर सफाई देते हुए कहा कि अकाली दल मुकरे हुए गवाह हिम्मत सिंह के साथ मेरी तस्वीर का मुद्दा बना रहा है। जबकि वह यह बात भूल रहे हैं कि बिक्रम मजीठिया की तस्वीरें तो ड्रग तस्करों के साथ भी आई थीं तो उस पर चुप्पी क्यों है। सुक्खी ने एस.जी.पी.सी. पर बादलों के कब्जे की बात की और कहा कि अकाली दल ने हमेशा अपने हितों के लिए पंथ का उपयोग किया है। रंधावा के मुताबिक जो व्यक्ति अकाली दल के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करता है उसे अकाली दल अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के जरिए धार्मिक मामलों में घसीटने की कोशिश करता है। मेरे साथ भी ऐसा करने की तैयारी चल रही है मगर मैं ऐसी धमकियों से डरने वाला नहीं हूं। जैसे मेरे पूर्वजों ने शहादत दी है वैसे ही पंथ के लिए मैं भी कुर्बान होने को तैयार हूं। इसके अलावा उन्होंने बादल परिवार के कारोबार पर भी सवाल उठाया। यह कोई ऐसा आयोग नहीं है जिसका मजाक उड़ाया जाए। उन्होंने कहा कि अकालियों ने अपनी सरकार समय जोरा सिंह आयोग बनाया था और उसको समय नहीं दिया तथा न उससे सही तरीके से रिपोर्ट ली।

 सी.बी.आई. नहीं, पंजाब पुलिस करे बेअदबी मामलों की जांच: फूलका
आम आदमी पार्टी के विधायक एच.एस. फूलका ने कहा कि अकाली दल के पास तथ्य नहीं इसलिए सदन से भाग निकले हैं। इस दौरान फूलका ने फास्टवे पर कार्रवाई की मांग उठाई है। उन्होंने कै. अमरेंद्र सिंह की तरफ से बेअदबी मामलों की जांच सी.बी.आई. को देने का विरोध करते हुए कहा कि बेअदबी मामलों की जांच सी.बी.आई. की जगह पंजाब पुलिस को ही करनी चाहिए। उन्होंने कैप्टन सरकार से मांग की कि बेअदबी मामलों की जांच पंजाब पुलिस को सौंपी जाए और 3 महीनों के अंदर-अंदर गिरफ्तारियां शुरू होनी चाहिएं।

 रिपोर्ट का हवाला देते हुए कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि फायरिंग से एक रात पहले सी.एम. हाऊस की पॉलिटिकल, एडमिनिस्ट्रेटिव और पुलिस 3 फोन लाइन खुली हुई थीं और लगातार प्रशासन को धरना हटाने के निर्देश दिए जा रहे थे। कोटकपूरा प्रशासन और मनतार सिंह बराड़ सी.एम. बादल को इनपुट दे रहे थे और बादल डी.जी.पी. को निर्देश दे रहे थे।  उन्होंने कहा कि जब तक बेअदबी कांड के दोषियों को सजा नहीं मिलती पंजाबी कौम का हृदय शांत नहीं होगा। उन्होंने सी.एम. कै. अमरेन्द्र सिंह के सामने घुटने टेकते हुए मांग की कि इनको छोड़ो नहीं, इनको ठोको ताकि कोई आगे ऐसी घटना को अंजाम न दे सके। उन्होंने कहा कि यह कोई भाषण नहीं है, यह मेरी रूह की पुकार है।

 यह पंजाब की आवाज है और यह पंजाबियत की आवाज है। उन्होंने सी.बी.आई. को केंद्र सरकार की कठपुतली बताते हुए कहा कि बहबल कलां कांड का फैसला सी.बी.आई. नहीं कैप्टन की सरकार करे। हिम्मत सिंह द्वारा अपने बयानों से मुकरने पर सिद्धू ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि हिम्मत सिंह के नाम की तो मैं दाद देता हूं। मां ने हिम्मत सिंह नाम बिल्कुल ठीक रखा है क्योंकि इतनी बेशर्मी दिखाने के लिए सचमुच व्यक्ति में हिम्मत होनी चाहिए।

बेअदबी की घटनाएं सोची-समझी साजिश : मनप्रीत
वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि पंजाब में बेअदबी की घटनाएं एक सोची-समझी साजिश के तहत करवाई गईं। उन्होंने 13 अप्रैल 1978 के दौरान निरंकारी समुदाय व सिख समुदाय के बीच हुई मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना के जरिए भी शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने वोट की राजनीति खेली थी और अब 37 साल बाद एक बार फिर से पंजाब में वही सब दोहराया गया है। शिअद को सांप्रदायिक राजनीति पसंद है क्योंकि इससे उनका असली मकसद हल होता है।

बादल तो घटनास्थल पर भी नहीं गए : वडिंग
कांग्रेसी विधायक राजा वडिंग ने कहा कि बेअदबी व गोली की घटनाओं के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो पंजाब का दौरा किया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल घटनास्थल पर नहीं गए। 

जीती बाजी हार न जाएं कैप्टन : बलजिंद्र 
आम आदमी पार्टी की विधायक बलजिंद्र कौर ने रिपोर्ट पर बहस के दौरान कहा कि आज मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के पास कड़ी कार्रवाई का मौका है। ऐसा न हो कि मुख्यमंत्री जीती हुई बाजी हार जाएं।

 सुखबीर बादल पर मामला दर्ज हो: गिल

सबसे पहले सदन में कांग्रेस के विधायक हरमिंद्र सिंह गिल ने रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए कहा कि 2015 में जो कुछ हुआ वह बहुत दुखद था। रिपोर्ट के पन्ने फाड़कर अकाली दल क्या साबित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल पर मामला दर्ज होना चाहिए जिन्होंने रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। 
गिल ने सदन में कई तस्वीरें भी दिखाईं। एक तस्वीर में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल राम रहीम के साथ बैठे दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्ट में जस्टिस रंजीत सिंह ने यह साबित किया है कि इस मामले में प्रकाश सिंह बादल भी शामिल थे।

सदन में गूंजा ज्ञानी गुरबचन सिंह की प्रॉपर्टी का मुद्दा
पंजाब विधानसभा हरमिंद्र सिंह गिल द्वारा श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को जहां अकाली दल की कठपुतली बताया गया वहीं उनकी जायदाद पर भी सवाल उठाए गए। गिल मुताबिक कुछ साल पहले यही जत्थेदार जो श्री मुक्तसर साहिब के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब में बतौर सेवादार काम करते थे और इनके बेटे गुरुद्वारा के बाहर मंजी पर कच्छे बेचने का काम करते थे आज उनके पास रेंजरोवर और मर्सिडीज गाडिय़ां, थ्री स्टार होटल व पंजाब और चंडीगढ़ में बड़ी कोठियां कहां से बन गई हैं। गिल ने शंका जताई कि अकाली दल ने अपने निजी हितों के लिए ज्ञानी गुरबचन सिंह को सेवादार से जत्थेदार बनाया और उनके बेटे को पार्टी में ऊंचे पदों पर नियुक्त किया गया। 

एस.जी.पी.सी. को रिपोर्ट खारिज करने का अधिकार नहीं: ब्रह्म महिंद्रा

जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा रद्द किए जाने पर विधानसभा में एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल के खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाया गया। एस.जी.पी.सी. द्वारा रिपोर्ट रद्द करने पर कैबिनेट मंत्री ब्रह्म महिंद्रा ने विधानसभा में निंदा प्रस्ताव पेश किया जिस पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। ब्रह्म महिंद्रा ने कहा कि एस.जी.पी.सी. के पास कोई अधिकार नहीं है कि वह सदन में पेश की गई रिपोर्ट को खारिज कर सके। इसके चलते कैबिनेट मंत्री ने एस.जी.पी.सी. प्रधान भाई गोङ्क्षबद सिंह लौंगोवाल के खिलाफ ङ्क्षनदा प्रस्ताव पेश किया। इस पर सभी विधायकों ने सहमति की मोहर लगा दी। इससे पहले लौंगोवाल ने एस.जी.पी.सी. के प्रस्ताव में पंजाब सरकार और कांग्रेस पार्टी को पंथ विरोधी नीतियों से बाज आने को कहा था। प्रस्ताव में जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट को न्यायप्रणाली पर सवालिया निशान करार देते हुए रंजीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

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