रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए रि. अफसरों को मिली राहत पर सरकार का जवाब पेश

punjabkesari.in Thursday, Sep 20, 2018 - 08:40 AM (IST)

चंडीगढ़(बृजेन्द्र): बेअदबी की घटनाओं को लेकर प्रदर्शन दौरान हुए गोलीकांड मामले में रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर शुरू हुई कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट से राहत पाने वाले 2 रिटायर्ड एस.एस.पीस सहित रि. एस.एच.ओ. के मामले में पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट बैंच द्वारा इन्हें दी गई राहत को खत्म करने की मांग की है जिसे लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सरकार ने अपना जवाब पेश किया है।

यह जवाब पंजाब सरकार ने याची पुलिस अफसरों की याचिका पर दिया है। मामले में 20 सितम्बर को सुनवाई होनी है। सरकार ने कहा कि जस्टिस जोरा सिंह कमीशन की रिपोर्ट पेश करने के बाद कमीशन अपने आप खत्म हो जाता है। वहीं कहा गया है कि चरणजीत सिंह और अमरजीत सिंह को सैक्शन-8बी तहत उनके अधिकारों को लेकर सलाह दी गई थी। ऐसे में रि. पुलिसकर्मियों द्वारा झूठा आधार बना राहत पाने के आरोप जवाब में दिए गए हैं। सरकार ने यह भी कहा कि एक ही समय में 2 कमीशन भी चलाए जा सकते हैं बशर्ते सरकार से उचित मंजूरी ली गई हो। 

वहीं कहा गया है कि सरकार की राय थी कि जस्टिस जोरा सिंह कमीशन की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जा सकता था। ऐसे में नया कमीशन गठित किया गया था जिसका कार्य क्षेत्र काफी विशाल था जिसमें श्रीमद् भगवद गीता व कुरान शरीफ की बेअदबी की घटनाएं भी शामिल थीं। ऐसे में इसे जस्टिस जोरा सिंह कमीशन का विकल्प नहीं कहा जा सकता। हाईकोर्ट के जस्टिस आर.के. जैन ने सप्ताह भर पूर्व तीनों रि. अफसरों के खिलाफ  केस की अगली सुनवाई तक रिपोर्ट के आधार पर शुरू की गई कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। पूर्व एस.एस.पी. चरणजीत सिंह व रघबीर सिंह संधू सहित बाजाखाना थाने के तत्कालीन एस.एच.ओ. अमरजीत सिंह को हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की थी। 

रणजीत सिंह रिपोर्ट के मामले में यूनाइटेड सिख मूवमैंट पार्टी बनने की इच्छुक

यूनाइटेड सिख मूवमैंट की ओर से एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने हाईकोर्ट में एप्लीकेशन दायर कर जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन रिपोर्ट के खिलाफ केस में पार्टी बनाने की मांग की है। मूवमैंट के नेता डा. भगवान सिंह, कैप्टन चन्नण सिंह सिद्धू, गुरनाम सिंह सिद्धू और हरप्रीत सिंह ने संयुक्त प्रैस बयान में कहा कि जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन ने गुरु ग्रंथ साहिब के बेअदबी मामले में तथ्यों सहित रिपोर्ट तैयार की थी। तुरंत कार्रवाई की बजाय पंजाब सरकार ढुलमुल रवैया अपना कर आरोपियों को अप्रत्यक्ष तौर पर बचा रही है। ऐसे हालात में पंजाब सरकार पर बिल्कुल भी यकीन नहीं किया 
जा सकता। बादलों की रैली के मामले में भी ऐसी कोताही साफ नजर आई थी, जब हाईकोर्ट में पंजाब सरकार का कोई वकील तक पेश नहीं हुआ था।

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