Video: कारगिल शहीद की प्रेमिका आज भी कर रही है अपने Hero के फोन का इंतजार

punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2019 - 12:09 PM (IST)

जालंधर /अमृतसर: कारगिल युद्ध दौरान चोटी 5140 फ़तेह हो चुकी थी। 20 जून, 1999 की सुबह करीब 3.30 बजे केवल 25 वर्षीय लैफ्टिनैंट बिक्रम ने एक चोटी पर तिरंगा फहरा दिया था लेकिन उसका दिल नहीं भरा था। वह दुश्मन को अच्छी तरह सबक सिखाना चाहता था। देश प्यार के इस जज्बे में उसने कहा 'ये दिल मांगे मोर..।' बिक्रम के यह आखिरी शब्द उसी के साथ ही अमर हो गए। 


7 जुलाई 1999 बिक्रम बत्रा को एक अन्य चोटी 4875 फ़तेह करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। बिक्रम यहां भी जांबाजी के साथ लड़ा। इस दौरान उसका जूनियर नवीन ज़ख्मी हो गया तो अपनी जान की परवाह किए बिना वह उसे बचाने चला गया। उनके सूबेदार ने विनती करते हुए कहा कि आप आगे न जाओ.... मैं जाऊंगा। बिक्रम ने कहा आप बाल -बच्चे वाले हो, पीछे हट जाओ.... बिक्रम ने दुश्मन की पोस्ट पर ग्रेनेड फैंका, 5 पाकिस्तानी मारे गए। वह अपने जूनियर को बचाने चले गए। उसी समय एक गोली बिक्रम की छाती में लगी। बिक्रम अपना फ़र्ज़ निभाते हुए शहीद हो गए लेकिन एक अन्य चोटी दुश्मनों की कैद से आज़ाद हो चुकी थी। 

 
बिक्रम ग़ज़ब का दीवाना था सिर्फ़ देश के पीछे नहीं बल्कि अपनी महबूबा के पीछे भी। बिक्रम ख़ूबसूरत स्माइल वाला गजब का सुंदर लड़का था। कालेज के दिनों में पंजाब यूनिवर्सिटी में वह डिम्पल को दिल दे बैठा था। कालेज से शुरू हुआ उसका प्यार परवान चढ़ने ही वाला था जब उसे कारगिल का न्यौता आया। कारगिल से लौटते ही बिक्रम डिम्पल के साथ विवाह करने वाला था। डिम्पल बताती है कि एक बार बिक्रम उसे मिलने आया तो उसने विवाह का मुद्दा उठा दिया। उसे इनसिक्योरिटी होने लगी थी तो बिक्रम ने तुरंत अपने बैलेट में से ब्लेड निकाला। अपना अंगूठा काटा और ख़ून के साथ उसकी मांग भर दी।

डिम्पल कहती है...''यह आज तक मेरी ज़िंदगी का सबसे प्यारा अहसास है, जिसको मैं कभी नहीं भूल सकूंगी। डिम्पल ने कहा कि बिक्रम पूरा फिल्मी था।''डिम्पल और बिक्रम का साथ केवल 4 साल तक रहा। कारगिल युद्ध दौरान भी बिक्रम डिम्पल को फ़ोन कर लेता था। 20 साल गुज़र गए, देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। डिम्पल को आज भी बिक्रम की फोन कॉल का इंतज़ार है। कारगिल के इस हीरो की प्रेम कहानी अधूरी रह गई। 

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