Labour day: 132 वर्षों बाद भी नहीं सुधरी मजदूरों की हालत

punjabkesari.in Tuesday, May 01, 2018 - 08:53 AM (IST)

कपूरथला (गुरविन्द्र कौर): 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। आज से करीब 132 वर्ष पहले 1886 में अमरीका के शिकागो में 25 हजार के करीब मजदूरों ने अपने हकों के लिए हड़ताल करके पूंजीवादियों व सरकार का विरोध किया था, 3 मई को मकोरमिक रिपेयर वक्र्स में मजदूरों की हो रही मीटिंग पर पुलिस ने फैक्टरी मालिकों की शह पर हमला कर दिया। इसमें 6 हजार मजदूर मारे गए व कई घायल हो गए। इसके विरोध में 4 मई को हेअमारकिट सुकेयर में मजदूरों ने जोरदार रोष प्रदर्शन किया व पुलिस ने यहां भी मजदूरों को दबाने की पूरी कोशिश की। किसी ने भीड़ पर बम फैंका दिया, जिससे एक पुलिस वाला मारा गया। परिणामस्वरूप मजदूरों व पुलिस वालों में टकराव बढ़ गया।

पुलिस ने मजदूरों पर लाठियों व गोलियों की बारिश कर दी। इस दौरान 7 पुलिस वाले व 4 मजदूर मारे गए व बहुत सारे घायल हो गए। इस संघर्ष की अध्यक्षता कर रहे नेताओं को गिरफ्तार करके सख्त सजाएं दी गईं। उस दिन से शहीद मजदूरों की याद में पूरी दुनिया में मजदूर दिवस मनाया जाता है लेकिन क्या मजदूर दिवस मनाने से मजदूरों की हालत में सुधार आया है? चाहे समय की सरकारों द्वारा मजदूरों की आॢथक हालत सुधारने के लिए कई स्कीमें चलाई गई हैं जोकि असल हकदारों को नहीं मिलती। इसका लाभ मजदूर श्रेणी में बैठे कुछ अमीर किस्म के लोग ही ले जाते हैं। आज भी किसी न किसी रूप में मजदूरों का सरेआम शोषण हो रहा है। चाहे वह होटल, कारखाने, भट्ठे, फैक्टरियां, घरों आदि में काम करते हों। मजदूरों को आज भी 12-12 घंटे काम करके बनती मेहनत नहीं मिलती।


सही तरीके से काम करे श्रमिक विभाग
चाहे सरकार द्वारा मजदूरों की भलाई के लिए श्रमिक विभाग के बनाकर एक लेबर एक्ट भी बनाया है, जिस तहत मजदूरों के काम करने का समय व मजदूरी तय की गई है। बेशक इनके कार्यालय जिला स्तर पर मौजूद हैं लेकिन अधिकतर मजदूरों की इन तक पहुंच नहीं है। अनपढ़ व गरीब मजदूरों को इस कार्यालय की जानकारी न होना दूर की बात हैं, श्रमिक विभाग का पता तक नहीं कि यह क्या होता है? इसलिए जरूरी है कि श्रमिक विभाग के कर्मचारी समय-समय पर खुद मजदूरों तक पहुंच करें व उनको जागरूक करने के लिए कैंप आदि लगाते रहें। 

ठेकेदारी सिस्टम बंद हो
मजदूरों का सबसे अधिक शोषण ठेकेदारों द्वारा ही किया जाता है। उनको पूरी सुविधाएं नहीं दी जातीं व उनसे अधिक समय काम करवाया जाता है। इसलिए जरूरी है कि ठेकेदारी सिस्टम को बंद किया जाए व मजदूरों को सरकारी नौकरियों के आधार पर कम-से-कम बनता मेहनताना दिया जाए ताकि उनको बनता हक मारा न जा सके। इसके अतिरिक्त घरों, कार्यालयों आदि प्राइवेट स्थानों पर काम करने वाले मजदूरों के मालिकों पर भी सख्त नजर रखी जाए व इस बात को पक्का किया जाए कि कोई प्राइवेट मालिक मजदूरों का शोषण न करता हो।

भारी जुर्माने व सजा का प्रबंध हो 
मजदूरों का शोषण करने वाले ठेकेदारों व प्राइवेट संस्थानों के मालिकों को भारी जुर्माने व सजा करने का प्रबंध कानूनी तौर पर किया जाना चाहिए। पहली व दूसरी बार शिकायत मिलने पर जुर्माना और तीसरी बार शिकायत मिलने पर सजा जरूरी की जाए। जुर्माने की रकम मजदूरों के परिवारों को मिले। शिकायत कार्यालय ब्लाक स्तर पर होने पर शिकायत पर 24 घंटों में अमल किया जाना जरूरी किया जाए। 

Anjna