पंजाब की बेटी बनी बिहार की ‘लेडी सिंघम’, मां के आंसुओं ने बदल डाली थी जिंदगी

punjabkesari.in Monday, May 13, 2019 - 01:05 PM (IST)

अमृतसर(सफर, इन्द्रजीत): एक छोटे से गांव की युवती ने  आई.पी.एस. बनकर अपने माता-पिता के साथ-साथ पंजाब का नाम भी रोशन किया। हम बात कर रहें है आई.पी.एस. अधिकारी हरप्रीत कौर की जो बिहार के समस्तीपुर में एस.एस.पी. हैं। उनका जन्म बरनाला के गांव अलकड़ा का है जबकि शादी अमृतसर के छहर्टा में हुई है। सरकारी स्कूल व कालेज में पढ़ी हरप्रीत कौर के पिता जोगिन्द्र सिंह अध्यापक थे। मां जसमेल कौर ने कुशल गृहिणी व आदर्श मां का दायित्व निभाया।

मदर्स-डे पर इस मां को सैल्यूट जिसने इतनी बहादुर बेटी को जन्म दिया।मां अक्सर बचपन में बेटी के भविष्य को लेकर आंसू बहाया करती थीं। जब हरप्रीत कौर एस.एस.पी. बनकर मां से मिली तो मां गले लगाकर खुशी में आंसू बहाती रही। 2009 बैच की हरप्रीत कौर ने बिहार के 5 जिलों में पोस्टिंग के दौरान जो काम किया उससे बिहार की जनता उन्हें 'लेडी सिंघम' कहने लगी। प्रसिद्धी इतनी मिली की बॉलीवुड के बड़े निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा ने उन पर फिल्म "जय गंगा जल’ बनाई" और लीड रोल "प्रियंका चोपड़ा' को दिया गया। आई.पी.एस. हरप्रीत कौर एस.पी.जहानाबाद, एस.पी. बेगूसराय, एस.पी. (सी.आई.डी.) एस.एस.पी. मुजफ्फरपुर व मौजदा एस.एस.पी. समस्तीपुर हैं। 

बेटी को SSP बनाने के लिए पिता दिखाता था ‘कविता चौधरी’ के सीरियल
बेटी हरप्रीत कौर के आई.पी.एस. बनने की कहानी पर पिता जोगिन्द्र सिंह बताते हैं कि वह बेटी को किरण बेदी की चचेरी बहन कविता चौधरी द्वारा बनाए गए टी.वी. धारावाहिक ‘कल्याणी’ दिखाया करते थे। बेटी एस.एस.पी. बने यह मेरी भी इच्छा थी, आज देश-दुनिया उन्हें उनके नाम से जानती है यह बख्शीश बस वाहेगुरु ने हमारे परिवार को दी है। बेटा सुखचैन मोहाली में रहता है। पंजाब की बेटी बिहार की ‘लेडी सिंघम’ हो इससे ज्यादा एक बाप को जिंदगी में और क्या चाहिए। 


‘पंजाब केसरी’ को आई.पी.एस. हरप्रीत कौर ने सुनाई कहानी अपनी जुबानी
‘पंजाब केसरी’ ने मदर्स-डे पर फोन पर आई.पी.एस. हरप्रीत कौर के साथ खास बातचीत की जिससे आज का युवा जहां सीख ले सकता है वहीं पंजाब में कोख में बेटियों को मारने वालों के गाल पर करारा तमाचा है। पेश है आई.पी.एस. हरप्रीत कौर की कहानी उसकी जुबानी। मेरा जन्म बरनाला के अलकड़ा गांव में हुआ। पिता टीचर थे और मां गृहिणी। बड़े भाई सुखचैन सिंह के साथ हरप्रीत कौर भी स्कूल जाने लगी। पिता सरकारी टीचर थे ऐसे में उन्होंने हरप्रीत कौर को सरकारी स्कूल में ही शिक्षा दिलाई। समय के साथ पढ़ाई आगे बढ़ती रही। सरकारी स्कूल तलवड़ी के बाद हरप्रीत कौर ने मोहाली में पंजाब शिक्षा बोर्ड से 10वीं व 12वीं में टॉप किया। इसी बीच भाई सुखचैन की पत्नी कर्मजीत कौर ने उन्हें आई.पी.एस. की तैयारी के लिए सलाह दी और दिल्ली जाकर कोचिंग करने के लिए परिवार के साथ बातचीत करके भिजवाया। दिल्ली में रहते हरप्रीत कौर ने अंग्रेजी को और मजबूत किया और आई.पी.एस. की तैयारी में जुट गई। 2 बार निराशा हाथ लगी लेकिन हिम्मत नहीं हारी। तीसरी बार आई.पी.एस. बनी तो गांव में लड्डू बांटे गए। 

 

मदर्स-डे हर दिन है, मैं बहुत मिस करती हूं मां को
एस.एस.पी. हरप्रीत कौर कहती हैं कि मदर्स-डे आज है लेकिन मैं रोज सुबह मां को फोन करती हूं, मां ने ही मुझे जन्म दिया। मैं मां की बदौलत ही सब कुछ हूं। मेरी मां बहुत भोली है, मैं मां को बहुत मिस करती हूं। उनके दिल में केवल मोहब्बत है। दिल यही चाहता है कि कब समय मिले और मां से लिपट कर कहूं कि ‘मम्मी अज तेरे हत्था दी खीर खाणी हैगी’। 
 


 

Vatika