दुश्मन को समझना है तो दुश्मन की भाषा भी समझ आनी चाहिए: मनप्रीत

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2019 - 09:44 AM (IST)

चंडीगढ़ (रश्मि हंस): दुश्मन को समझना है तो दुश्मन की जुबान भी जरूर समझ में आनी चाहिए। हमें सभी पाकिस्तानी भाषाएं भी आनी चाहिएं। हमें पंजाबी और शाहमुखी से शुरू करना चाहिए। बलूची, पशतो, सिंधी जैसी भाषाएं हमें आनी चाहिएं जिन्हें ट्रांसलेट करना बेहद मुश्किल है। पंजाब सरकार पी.यू. में पंजाबी विभाग स्थापित करे तो यह बेहद ही खुशी की बात होगी। यह बात पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कही। वह पंजाब यूनिवर्सिटी के डिफैंस एवं नैशनल सिक्योरिटी स्टडीज में ‘पाकिस्तान की धार्मिक कूटनीति- मिराज या वास्तविकता’ पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लेने आए थे। उन्होंने पी.यू. को इसके लिए कोर्स शुरू करने को भी कहा। उन्होंने शाहमुखी के लिए पूरा खर्च वहन करने का भी ऐलान किया। 


20 डॉलर फीस कोई मसला नहीं, मक्का-मदीना में भी लगती है फीस
फीस (20 डॉलर) कोई मसला नहीं है। मक्का-मदीना में भी फीस लगती है। उन्होंने कहा कि सेना को उम्मीद थी कि रोजाना 5 हजार लोग करतारपुर आएंगे जिससे हजारों करोड़ की कमाई कर लेंगे। पंजाबियों को सेना में होना चाहिए और पंजाब में भी उनका रोल हो ताकि शांति बनी रहे। यह एक बहुत स्वस्थ संकेत है कि करतारपुर कॉरिडोर जैसी पहल की शिक्षाविदों द्वारा चर्चा की जा रही है। विभाजन के समय हुए सांप्रदायिक दंगे भारत और पाकिस्तान के बीच नफरत की उत्पत्ति बन गए। जब तक दोनों देश इस मुद्दे को नहीं सुलझा लेते, शत्रुता बनी रहेगी। 

यू.पी.-बिहार ने मांगा था पाकिस्तान 
मनप्रीत बादल ने कहा कि मैं पाकिस्तान, इस्लाम और पंजाब के बारे में कहना चाहता हूं कि साल 1946 पंजाब असैंबली में 17 विधायकों में से & विधायक सिंधी से संबंध रखते थे। पाकिस्तान बनाने की मांग यू.पी., बिहार, नवाबजादा, सैंट्रल इंडिया ने की थी, लेकिन पंजाब ने कभी भी पाकिस्तान बनाने की मांग नहीं की थी।  

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