पंजाब में हालात बेकाबू हो रहे हैं, बस स्थिति नियंत्रण में है !

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2019 - 02:55 PM (IST)

जालंधर। (सूरज ठाकुर) पंजाब में लगातार 10 सालों तक राज करने के बाद अकाली-भाजपा सरकार को दो बड़े मुद्दों पर कांग्रेस ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इनमें पहला मुद्दा था ड्रग्स और दूसरा था पंजाब में माफिया राज। इन दोनों मसलों पर गहनता से गौर किया जाए तो कांग्रेस और अकाली-भाजपा सरकार की कारगुजारी में ज्यादा फर्क नहीं है। कानून व्यवस्था हो चाहे भष्टाचार, बनते बिगड़ते हालात आज भी ऐसे ही हैं। कैप्टन सरकार की ही बात करें तो माइनिंग की मलाई खाने के चक्कर में कैप्टन सरकार सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई थी। ऐसे में बस स्थिति नियंत्रण में हो जाती है और सरकार अपनी पीठ थपथपाने लगती है। बहरहाल आपको बिगड़ते हालात और उन कार्यों के बारे में भी बताएंगे जिन पर कैप्टन सरकार ने गंभीरता से कार्य किया है।

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद बिगड़े हालात
लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब में सियासी माहौल रहा। इसी बीच जून माह में पंजाब के मुक्तसर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां सत्ता के नशे में कांग्रेस पार्षद राकेश चौधरी के भाई और उसके साथियों ने एक महिला के साथ मारपीट की। राकेश चौधरी के भाई ने महिला बेटी को रुपयों की लेनदेन को लेकर पीटा। इसका एक वीडियो भी वॉयरल हुआ। महिला को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया और पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया इस तरह से स्थिति नियंत्रयण में हो गई।

जेलों में खून खराबा, अब स्थिति नियंत्रण में है
नाभा की सबसे सुरक्षित जेल में बेअदबी के मुख्य आरोपी की दो अन्य कैदी साजिश के तहत हत्या कर देते हैं। आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। इसके बाद लुधियाना की सेंट्रल जेल में कैदियों ने अपने एक साथी की मौत के लिए जेल प्रशासन को ठहराया और उसकी मौत को लेकर कैदी और गैंगस्टर जेल में पुलिस के साथ भीड़ गए। फायरिंग में एक और कैदी की गोली लगने से मौत हो गई। पंजाब की जेलों में कैदियों से लेटेस्ट तकनीक के मोबाइल जब्त किए जा रहे हैं। नशे के पाउडर बरामद किए जा रहे हैं। जेलों में बंद गैंगस्टर फेसबुक पर बाहर होने वाले मर्डर की जिम्मेदारी ले लेते हैं। पर घबराइए नहीं अब स्थिति नियंत्रण में है।

10 महीने के बाद ही पेश हो गया था भष्ट्राचार का नमूना
अब बात करते हैं पंजाब में सत्ता में बदलाव की। 16 मार्च 2017 में भारी बहुमत के साथ कांग्रेस सूबे में सरकार बनाती है। पांच साल में अपने कत्तर्व्य को निष्ठा से निभाने की सौगंध खाने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह सहित सभी मंत्री शासन और प्रशासन को दुरूरस्त करने के लिए कमर कस लेते हैं। करीब दस महीनों बाद ही यह जोश उस वक्त ठंडा पड़ जाता है जब सैंड माइनिंग घोटाले में कैप्टन अमरेंद्र को अपने चहेते पंजाब कैबिनेट के सिंचाई और बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह की कुर्सी मजबूरन छीनने पड़ जाती है। यहां भी स्थिति नियंत्रण में हो जाती है।

ये था मामला और ऐसे हुई स्थिति नियंत्रण में 
19-20 मई 2017 को पंजाब में 94 रेत और बजरी की खदानों की नीलमी के बाद "द ट्रब्यून में एक खबर प्रकाशित होती है कि कैप्टन के कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह के का 10 हजार रुपए मासिक वेतन पाने वाला नेपाली कुक शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) जिले के सैदपुर गांव में रेत खदान की बोली के लिए 26.51 करोड़ रुपए का इंतजामम कर लेता है। रिपोर्ट के मुताबिक अमित बहादुर और बलराज सिंह राणा गुरजीत से जुड़ी तीन कंपनियों में डायरेक्टर भी थे। सरकार के दामन पर पर लगा दाग धोने के लिए 29 मई, 2017 को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले की जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाने करते हैं। जांच पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज रहे जस्टिस जे एस नारंग (रिटायर्ड) को दे दी जाती है। अगस्त 2017 जांच कमीशन ने भी उन्हें क्लीन चिट दे देता है और स्थिति को नियंत्रण में हो जाती है।

बेअदबी की जांच से पुराने मसलों पर पर्दा
सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार का यह मामला छोटा नहीं था, पर इस देश में विडंबना यही है कि एक के बाद एक घटनाक्रम लोगों की आंखों पर पर्दा डाल देते हैं। यह एक सत्य है कि आम जनता वर्तमान में जीने में ज्यादा विश्वास रखती है। कैप्टन सरकार ने कोटकपूरा और बहबल कलां गोलीकांड और बेअदबी के मामलों के लिए एसआईटी का गठन किया। इन मामलों की जांच इतनी ज्यादा तेज करवा दी की, कई अधिकारियों को हवालात की सैर करनी पड़ी। कैप्टन सरकार पर कई बार कानून व्यवस्था को लेकर आरोप लगे मगर बेअदबी की जांच ढाल साबित होती रही। स्थिति नियंत्रण में रही !

2018 में कैप्टन सरकार की उपलब्लियां
2018 पंजाब में सरकार के लिए चुनावी वर्ष भी था। इस दौरान सरकार ने सूबे में सीमांत किसानों के दो लाख रुपए तक ऋण माफ करने का व्यापक स्तर पर अभियान चलाया। सरकार ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले-पहले पांच लाख से अधिक परिवारों के ऋण माफ कर डाले। इसका कांग्रेस को पंजाब में यह फायदा हुआ कि वह 13 सीटों में से आठ सीटें जीत गई। इसके अलावा कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सूबे से गैंगस्टरों को खत्म करने के लिए ऐलान किया कि वे या सरेंडर करें फिर नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहें। इस दौरान कई कुख्यात गैंगस्टर एनकाउंटर में मारे गए और कुछ डर के मारे सरेंडर कर गए। ड्रग्स की बात करें तो सरकार के मुताबिक 30 हजार ड्रग्स के कारोबार में संलिप्त लोगों को जेल में बंद कर दिया गया है। यह मुहिम जारी है बड़े कारोबारी गिरफ्त से बाहर हैं, मगर सरकार के मुताबिक स्थिति नियंत्रण में है।

  

Suraj Thakur