गुरदासपुर लोकसभा चुनाव परिणाम ने अकाली-भाजपा गठबंधन में पैदा की खटास

punjabkesari.in Thursday, May 30, 2019 - 09:35 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): गुरदासपुर लोकसभा चुनाव के परिणाम ने अकाली दल व भाजपा गठबंधन में एक बार फिर से खटास पैदा कर दी है, जिसके निकट भविष्य में दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। गुरदासपुर से भाजपा के उम्मीदवार व फिल्म अभिनेता सन्नी देओल चुनाव जीत तो गए हैं परंतु उन्हें इस निर्वाचन क्षेत्र में आने वाले अकाली दल से संबंधित 5 विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा, जिससे प्रदेश भाजपा के नेताओं में अकाली खेमे के प्रति खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। 

सन्नी देओल हिंदू प्रभुत्व वाले 4 विधानसभा क्षेत्रों भोआ, सुजानपुर, पठानकोट और दीनानगर में अ‘छे मार्जन से लीड मिलने से जीत गए परंतु अकाली दल के खाते की 5 जाट सिख प्रभावी हलकों डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर, फतेहगढ़ चूडिय़ां व कादियां से पार्टी बेहद मुश्किल दौर से गुजरी है। भाजपा को भोआ, सुजानपुर और पठानकोट से प्रत्येक विधानसभा हलका से करीब 30 हजार मतों की लीड प्राप्त हुई जबकि दीनानगर में भाजपा को 21 हजार की लीड मिली। अकाली दल से संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में सन्नी देओल फतेहगढ़ चूडिय़ां हलका में 20,800 वोटों से पीछे रहे। डेरा बाबा नानक में सन्नी को कांग्रेस प्रत्याशी से 18,700 वोटें कम मिलीं जबकि बटाला, कादियां और गुरदासपुर में सन्नी क्रमश: 956, 1183 व 1149 वोटों की मामूली बढ़त बना पाए।

भाजपा के नियंत्रण वाली सीटों व अकाली दल से संबंधित हलकों में जीत का अंतर बेहद कम रहा है, इससे स्पष्ट होता है कि अकाली दल ने सन्नी देओल की मदद खुलकर नहीं की है।एक प्रमुख भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि उन्होंने लोकसभा हलके के वोटिंग पैटर्न का अध्ययन करने के बाद दिल्ली में पार्टी मुख्यालय को समुचित रिपोर्ट भेजी है। इसके अलावा गुरदासपुर चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से संलिप्त एक वरिष्ठ भाजपा नेता का कहना है कि हम अकाली दल पर निर्भर थे कि उनकी सीटों में हमें भारी बहुमत मिलेगा परंतु अकाली दल के 5 हलकों में हमें धोखा मिला। उक्त नेता ने कहा कि भाजपाई यह सोचकर हैरान होते हैं कि अगर सन्नी देओल भाजपा के गढ़ समझे जाने वाले हलकों में लीड प्राप्त न करते तो चुनाव परिणाम बिल्कुल विपरीत होते और सुनील जाखड़ आसानी से जीत जाते। भाजपा का कहना है कि सन्नी देओल को मोदी लहर का सहारा मिला परंतु अकाली नेताओं का कहना है कि अगर यह लहर होती तो भाजपा अकाली दल से संबंधित हलकों में भी क्लीन स्वीप कर देती। 

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