पंजाब में ‘आप’ को न सिर्फ सीटों, बल्कि वोट शेयर में भी हुआ बड़ा नुक्सान

punjabkesari.in Saturday, May 25, 2019 - 12:19 PM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत सिंह): 2014 लोकसभा चुनाव और फिर 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आंधी बनकर बढ़ी आम आदमी पार्टी को इस बार के लोकसभा चुनाव में बड़ा नुक्सान उठाना पड़ा है। इसका कारण भले ही पार्टी नेताओं में फूट रहा हो या फिर लोगों के मन से ‘आप’ नेतृत्व का उतरना, लेकिन इसका नतीजा यह निकला है कि मौजूदा 20 विधायकों में से ‘आप’ के मात्र 5 विधायक ही अपने हलके में विधानसभा चुनाव जितने वोट हासिल कर पाए।

यह भी सभी संगरूर लोकसभा क्षेत्र में जहां पर पार्टी प्रधान व एकमात्र जीत हासिल करने वाले भगवंत मान ने चुनाव लड़ा था। राहत की बात यह है कि भगवंत मान के कारण ही पार्टी संगरूर लोकसभा क्षेत्र अधीन ही 2 नए विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त भी हासिल की है, लेकिन यह राहत उस नुक्सान की भरपाई नहीं कर पा रही है जो 15 विधानसभा क्षेत्रों के हाथ से निकलने का है। आम आदमी पार्टी भले ही संगरूर सीट से भगवंत मान के दोबारा जीतने की खुशी मना रही है, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के 13 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। सिर्फ 3 हलकों संगरूर, फरीदकोट और बठिंडा में ही आम आदमी पार्टी प्रत्याशी एक लाख वोटों का आंकड़ा पार कर पाए। संगरूर लोकसभा क्षेत्र अधीन पड़ती दिड़बा, सुनाम, भदौड़, बरनाला, महलकलां सीटों पर पार्टी अपनी पुरानी परफॉर्मैंस के नजदीक पहुंच पाई, जबकि धूरी व संगरूर विधानसभा क्षेत्रों में मौजूदा कांग्रेसी विधायकों द्वारा हासिल की गई वोटों से भी अधिक वोटें हासिल हुईं।

संगरूर लोकसभा क्षेत्र से बाहर निकलते ही आम आदमी पार्टी का ग्राफ एकदम नीचे की तरफ सरका है। बठिंडा लोकसभा सीट पर हालांकि मौजूदा तलवंडी साबो से विधायक बलजिंद्र कौर एक लाख से अधिक वोट ले गईं, लेकिन पार्टी के लिए चिंता की बात यह है कि 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी द्वारा जीती गईं तलवंडी साबो, बठिंडा देहात, मौड़, मानसा व बुढ़लाडा सीटों पर भी पार्टी इस बार अपनी पुरानी परफॉर्मैंस से नजदीक भी नहीं पहुंच पाई। इतना ही नहीं, बलजिंदर कौर जिस तलवंडी साबो सीट से 2017 में 54553 वोट लेकर विधायक बनी थीं, वहां इस बार मात्र 9253 वोट ही मिले। आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए नाजर सिंह मानशाहिया की सीट पर वोटरों ने ‘आप’ से हमदर्दी जताते हुए 27 हजार से अधिक वोट दिए। फरीदकोट लोकसभा सीट अधीन आते जैतो, कोटकपूरा और निहालसिंह वाला विधानसभा क्षेत्र 2017 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीते थे, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में इन तीनों हलकों पर आप अपनी पिछली परफॉरमैंस के चौथे हिस्से तक ही बामुश्किल पहुंच पाई।


आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब और लुधियाना लोकसभा क्षेत्रों में बदत्तर हालात
इससे भी बदत्तर हालात आम आदमी पार्टी के लिए आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब व लुधियाना लोकसभा क्षेत्रों के अधीन पड़ते विधानसभा क्षेत्रों में बने। गढ़शंकर से मात्र 3 हजार वोट ही मिले, जबकि यहां से जै किशन रोड़ी 41 हजार से अधित वोट लेकर विधायक बने थे। रोपड़ में 6 हजार वोटों का आंकड़ा भी नहीं छुआ जा सका, जबकि अमरजीत संदोआ 58 हजार से अधिक वोट लेकर विधायक चुने गए थे। खरड़ विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार मात्र 10272 वोट ही मिले, जबकि कंवर संधू को 54171 वोट मिले थे। वहीं, लुधियाना के अधीन दाखा और जगराओं में भी कमोबेश यही हाल रहा। फूलका की विधानसभा सीट दाखा में मात्र 2285 वोट और सरबजीत कौर माणुके के हलके जगराओं से मात्र 2808 वोट ही आप के खाते में पड़े। फतेहगढ़ साहिब सीट अधीन आते रायकोट में विधानसभा चुनाव में जग्गा हिस्सोवाल को मिले 48 हजार से अधिक मतों के मुकाबले इस बार मात्र 5181 वोट ही मिले। होशियारपुर लोकसभा सीट अधीन आती सुखपाल सिंह खैहरा की विधानसभा सीट भुलत्थ से आप को मात्र 1143 वोट ही मिले जबकि विधानसभा चुनाव में खैहरा को 48873 वोट मिले थे।

मात्र 7.38 रत्न वोट ही मिले
आम आदमी पार्टी को पंजाब में वोट शेयर के मामले में भी काफी नुक्सान दिखाई दिया है। इस बार कुल मतदान में से ‘आप’ को मात्र 7.38 प्रतिशत वोट ही मिले, जबकि 2017 विधानसभा चुनाव में यही वोट शेयर 23.7 फीसदी था। जबकि कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के वोट शेयर में इस बार करीबन 2 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है।  

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