लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद ‘चुनावी मोड’ में आए राजनीतिक दल

punjabkesari.in Tuesday, Mar 12, 2019 - 08:57 AM (IST)

पठानकोट (शारदा): 17वीं लोकसभा के गठन हेतु बहुप्रतीक्षित एवं बहुप्रचारित 2019 के लोकसभा चुनाव का ऐलान अंतत: चुनाव आयोग ने कर दिया, जिसका बेसब्री से राजनीतिक दल इंतजार कर रहे थे। चुनावों की घोषणा के साथ समूचे देश में आम लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। 7 चरणों में होने वाले आम चुनावों के लिए मतदान का पहला चरण 11 अप्रैल से शुरू होगा, जिसका अंतिम चरण 19 मई को सम्पन्न होगा।

सभी चरणों में हुए मतदान की मतगणना 23 मई को होगी। इसलिए विशलेषक इसका अध्ययन करने में जुट गए हैं क्या लेट चुनाव होने से किसे क्या फायदा होगा? क्या अकाली-भाजपा फायदे में रहेगी या कांग्रेस अपना दबदबा कितने लंबे समय तक बनाए रखने में कामयाब होगी? कई क्षेत्रों में विकास कार्य शुरू हो चुके हैं, जोकि आने वाले 2 माह में मुकम्मल हो जाएंगे। कांग्रेस यह आस लगाए बैठी थी कि चुनाव प्रथम चरण में हो जाएं और वह अकाली-भाजपा को पटखनी देकर 13 सीटें जीते ले, परंतु अब दोनों पार्टियों के लिए काफी समय है और अन्य क्षेत्रों में होने वाले चुनावों का असर भी अंतिम राऊंड में होने वाले चुनावों पर पड़ता है।चुनावी बिगुल बजने के बाद अब सूबों व केन्द्र में सत्तारूढ़ सरकारें चुनावी लाभ के लिए किसी भी नए प्रोजैक्ट का न तो शिलान्यास तथा न ही लोकार्पण कर पाएंगी। मुख्य चुनाव आयुक्त के अनुसार लोकसभा चुनावों के लिए सभी पोलिंग स्टेशनों में मतदाता वी.वी. पैट के साथ ई.वी.एम्ज से वोट डाल सकेंगे। 90 करोड़ पुराने मतदाताओं के साथ देश के नए बने युवा 1.5 करोड़ मतदाता जिनकी आयु 18 से 19 वर्ष भी है, भी अपना पहला लोकसभा चुनाव हेतु वोट डाल सकेंगे। 

वर्णनीय है कि देश की चुनी गई पिछली 16वीं लोकसभा की समयावधि 16 जून को समाप्त हो रही है तथा उससे नई लोकसभा का गठन मतदान प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना है। चुनावों की घोषणा होने के साथ सूबे में भी सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी व विपक्षी राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ गए हैं।  गौर रहे कि केन्द्र में भाजपानीत मोदी सरकार व सूबे में कांग्रेस सरकार सत्तारूढ़ हैं। दोनों प्रतिद्वंद्वी पार्टियों होने के चलते आगामी आम लोकसभा चुनावों में दोनों की ही प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। भाजपा यहां इस बार भी केन्द्र की मोदी लहर के सहारे अपनी लोकसभा की चुनावी नैया पार लगाने की जुगत में है, वहीं कैप्टन सरकार अपनी अब तक की उपलब्धियों व रॉफेल, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी के मुद्दों पर चुनावी समर में कूदेगी।  बात अगर हॉट सीट गुरदासपुर की की जाए जो पिछले समय दौरान अधिकांश समय भाजपा के पास रही है यहां उसके सिने स्टार दिवंगत विनोद खन्ना लंबे समय तक इस सीट से ही विजयी रहे हैं।

हालांकि उनके  निधन के बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार कर यह सीट फिर से हथिया ली थी।  उप-चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भाजपा के स्वर्ण सलारिया को पौने 2 लाख से अधिक मतों से हराया था। हालांकि लोकसभा चुनावों की घोषणा होने से पहले ही जाखड़ फिर से इस सीट पर चुनावी मोड में आकर सक्रिय हो चुके हैं तथा पिछले दिनों ही उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के साथ बैराज प्रोजैक्ट जोकि पिछले 2 दशकों से बन नहीं पाया था, का दोबारा से निर्माण कार्यों का शिलान्यास करवाया था, वहीं 1000 करोड़ निवेश वाली पैप्सीको इंडस्ट्री से उत्पादन कार्यों का श्रीगणेश करवाकर अपने हलके की उपस्थिति और तेज व सक्रिय कर दी है, वहीं भाजपा की ओर से कौन चुनावी ताल आगामी चुनाव में ठोकेगा, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इससे भाजपा का वर्कर फिलहाल असमंजस में है। 

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