लोकसभा चुनाव 2019: अमृतसरियों का दिल जीत जाते हैं चेहरे, पार्टियों को रहती है सैलीब्रिटी की तलाश

punjabkesari.in Thursday, Mar 14, 2019 - 01:10 PM (IST)

अमृतसर(इन्द्रजीत): अमृतसर लोकसभा सीट एक ऐसा चुनावी मैदान है जहां पार्टियों नहीं बल्कि प्रसिद्ध चेहरे जीतते हैं। जब-जब जानदार उम्मीदवार या सैलीब्रिटी को अमृतसर लोकसभा सीट से उतारा गया तब-तब आम जनता पार्टी छोड़ उस नेता के पीछे लग जाती है।

पिछले 67 साल का इतिहास खंगालने पर पता चला है कि अमृतसर में पूर्व समय में कांग्रेस ने 3 बार जीत हासिल की। तब कांग्रेस के कद्दावर नेता गुरमुख सिंह मुसाफिर थे। 1952-57-62 के लोकसभा चुनावों में तीनों बार इस सीट पर चुनाव लड़े। दूसरी ओर रघुनंदन लाल भाटिया ने अपने 6 चुनावों 1972-80-84-91-96-99 में जीत दर्ज की। कांग्रेस के पास रघुनंदन लाल भाटिया एक ऐसी राजनीतिक तोप थे जिनके सामने भाजपा के पास कोई सशक्त चेहरा नहीं था। यदि चेहरे की बात करें तो भाजपा के यज्ञ दत्त शर्मा भी एक राष्ट्रीय नेता थे और उन्होंने चुनावों में जीत हासिल की। विपक्ष को जब पता चला कि रघुनंदन लाल भाटिया की जीत का कारण कांग्रेस न होकर उनका अपना वजूद भी काफी था तो भाजपा ने इस गलती को सुधारते हुए पूर्व समय के क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को भाजपा की टिकट देते हुए चुनावी मैदान में भेजा।

वहां कांग्रेस ने व्यापक जनाधार वाले नेता ओम प्रकाश सोनी को भेजा जो पहले कभी चुनाव नहीं हारे थे किंतु अमृतसर की जनता तो मात्र चेहरे की दीवानी है और जनाधार वाले नेता ओम प्रकाश सोनी भी चुनावी मैदान में लुढ़क गए और भाजपा के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू एक राष्ट्रीय नेता के अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटर थे और पार्टी की लंबी चली हार की शृंखला को तोड़ते हुए उन्होंने कांग्रेसी उम्मीदवार ओम प्रकाश सोनी को हराते हुए सीट भाजपा की झोली में डाल दी। इसी प्रकार नवजोत सिंह सिद्धू को हराने के लिए कांग्रेस ने भी कैबिनेट मंत्री पंजाब सुरेंद्र सिंगला को भेजा, लेकिन सिद्धू के आकर्षण को कांग्रेसी प्रत्याशी सिंगला तोड़ नहीं सके। नतीजन कांग्रेस की हार हुई।जब कांग्रेस ने अमृतसर सीट पर 2 बार पुरानी हार को तोडऩे के लिए कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को भाजपा के आगे खड़ा कर दिया तो भाजपा ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दाहिना हाथ माने जाने वाले केंद्रीय नेता अरुण जेतली को सामने उतार दिया।

यह चुनावी महायुद्ध था, जिसमें दोनों नेता ही राष्ट्रीय वजूद के धारक थे। इसमें मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह की जीत हुई।वर्ष 2017 में जब केंद्र की सत्ता में मोदी का बोलबाला था तो कोई उम्मीदवार इस मध्यविधि चुनाव में लडऩे को तैयार नहीं था इसमें भाजपा ने स्थानीय स्तर के नेता राजेंद्र मोहन सिंह छीना को मैदान में उतारा तो ‘आप’ ने लोकल नेता उपकार सिंह संधू इसके उम्मीदवार बने। वहीं कांग्रेस ने भी कोई बड़ी तोप न छोड़ते हुए अमृतसर के पूर्व समय में देहाती के प्रधान गुरजीत सिंह औजला को ही मैदान में उतार दिया। तीनों उम्मीदवार ही अधिक जानदार नहीं थे और इसमें गुरजीत सिंह औजला इन दोनों की अपेक्षा कुछ अधिक लोगों में परिचित थे, की जीत हुई। क्योंकि विपक्षी दलों के पास कोई चेहरा न होने के कारण यह सीट लॉटरी के तौर पर औजला को मिली।

कभी अक्षय कुमार तो कभी सनी देओल के नाम पर चर्चा 
इन चुनावों में कांग्रेस और भाजपा-अकाली दल दोनों ही इस सीट पर बड़ी तोपें निकालने लगे हैं। कभी किसी राष्ट्रीय नेता की चर्चा होती है, तो कभी किसी फिल्म स्टार की। कांग्रेस की ओर से मनमोहन सिंह, राज बब्बर और कई बड़े लोगों के चर्चे। वहीं भाजपा की ओर से कभी अक्षय कुमार, कभी सन्नी देओल आदि चेहरों की तलाश हो रही है। दोनों तरफ से वर्तमान समय में मंझे हुए राजनीतिक नेता विराजमान हैं लेकिन लगता है कि दोनों पार्टियां ही किसी राजनीतिक नेता या किसी जनाधार वाले उम्मीदवार को न लेकर किसी सैलीब्रिटी को उतारना चाहती है। 

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