लोकसभा चुनाव 2019ः अकाली-भाजपा के लिए मजबूरी बना किसी सैलीब्रिटी को चुनाव में उतारना

punjabkesari.in Saturday, Mar 16, 2019 - 09:19 AM (IST)

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): लोकसभा हलका गुरदासपुर का चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। आजादी के बाद 2 उपचुनावों सहित इस सीट पर गुरदासपुर की जनता अब तक18 बार सांसद चुनकर लोकसभा में भेज चुकी है और इस दौरान अधिकतर बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की है। इस क्षेत्र की सबसे विशेष बात यह रही है कि 1996 से पहले सिर्फ 1977 के चुनाव को छोड़कर शेष सभी चुनावों के दौरान कांग्रेसी उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं।  

इस कारण कांग्रेस के इस किले को फतेह करने के लिए 1998 में अकाली दल तथा भाजपा ने फिल्मी सितारे विनोद खन्ना को चुनाव मैदान में उतारा, जिन्होंने न सिर्फ इस कांग्रेसी क्षेत्र पर भाजपा का झंडा बुलंद किया, बल्कि उन्होंने निरंतर 3 जीत दर्ज कर इस क्षेत्र को भाजपा का पक्का गढ़ बना दिया। इसके बाद इस क्षेत्र में जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गया। वहीं देश की प्रमुख पार्टियों में से किसी एक के लिए सैलीब्रिटी को मैदान में उतारना बड़ी मजबूरी बनता आ रहा है। जैसे कि अब अभिनेता अक्षय खन्ना या फिर कविता खन्ना को चुनाव में उतारे जाने की चर्चा है। 

13 बार कांग्रेस जीत चुकी है चुनाव
इस क्षेत्र में 1952, 1975, 1962, 1967, 1970, 1971, 1980, 1985, 1989, 1992, 1996, 2009 तथा 2017 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है जबकि देश की आजादी के बाद लगातार पहली बार किसी गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार को 1977 में जीत नसीब हुई। उस समय देश में एमरजैंसी लगाए जाने के जल्द बाद हुए चुनाव के दौरान जनता पार्टी के उममीदवार यज्ञा दत्त चुनाव जीते थे। उसके उपरांत 1998, 1999 तथा 2004 में लगातार 3 बार विनोद खन्ना ने यह सीट जीतकर भाजपा की झोली में डाली है, जबकि 2014 में भी विनोद खन्ना यहां जीत हासिल कर चौथी बार लोकसभा सदस्य बने। 

गठबंधन करने के बाद ही नसीब हुई अकाली-भाजपा को जीत
1998 से पहले इस क्षेत्र में अकाली दल तथा भाजपा हमेशा अपने-अपने चुनाव निशान पर चुनाव लड़ते रहे, जिस कारण कभी भी इन दोनों पार्टियों को जीत नसीब नहीं हुई मगर 1997 में इन दोनों पार्टियों के हुए गठबंधन के बाद जब दोनों पार्टियों का वोट बैंक बड़ी शक्ति बन गया तो भाजपा ने फिल्मी सितारे विनोद खन्ना को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया तो उस समय से इस गठबंधन को लगातार 3 बार जीत नसीब हुई। इस उपरांत एक बार हारने के बाद फिर एक अन्य जीत इस गठबंधन की झोली में आई।


प्रमुख पार्टियों के लिए चुनौती बनते चेहरे
इस क्षेत्र में हमेशा विनोद खन्ना का कुछ सियासी विरोधियों द्वारा यह कहकर विरोध किया जाता रहा है कि वह क्षेत्र के रहने वाले नहीं हैं। इसी आधार पर भाजपा के नेता स्वर्ण सलारिया के समर्थक भी इस टिकट पर सलारिया का पक्ष विनोद खन्ना या उसकी पत्नी से अधिक बताते रहे हैं, अब भी जब चुनाव होने जा रहे हैं तो अभी भी सियासी क्षेत्रों में यह चर्चा चल रही है कि भाजपा इन चुनाव में भी इस क्षेत्र में किसी सैलेब्रिटी को उतारने पर विचार कर रही है। इसी तरह कांग्रेस ने भी इस क्षेत्र में सुनील जाखड़ को चुनाव मैदान में उतारा था और अब भी उन्हें ही इस क्षेत्र में सबसे मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। जिनके समक्ष किसी बड़े सियासी कद या लोगों में लोकप्रिय चेहरे को भी चुनाव मैदान में उतारना भाजपा की मजबूरी समझी जा रही है। इसी तरह यह क्षेत्र तकरीबन प्रत्येक बार दोनों प्रमुख पार्टियों में से किसी एक को लिए बड़ी चुनौती बन जाता है, जिससे दूसरे पक्ष द्वारा किसी बड़े चेहरे या सैलेब्रिटी को चुनाव मैदान में उतारना उसकी मजबूरी बन जाता है।

लोकसभा चुनावों में पार्टियों का वोट शेयर

   2009 

पार्टी   वोट शेयर
कांग्रेस  48.00
भाजपा 47.10
बसपा  01.65
सपा  00.41



गुरदासपुर संसदीय सीट
    2017 

पार्टी वोट शेयर
कांग्रेस 58.15
भाजपा 35.67
‘आप’ 02.74
नोटा   00.88


2014 

पार्टी वोट शेयर
भाजपा 46.25
कांग्रेस    33.20
‘आप’  16.63
सीपीआई 01.14
बसपा  00.54
नोटा    00.44

 

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