मित्रां नूं शौक हथियारां दा: पंजाब में पुलिस फोर्स से ज्यादा लोगों के पास हैं हथियार

punjabkesari.in Friday, Apr 12, 2019 - 08:42 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क(सूरज ठाकुर): अस्सी के दौर में आतंकियों के खौफ से पंजाबियों को लाइसैंसी हथियार अपनी जान बचाने के लिए खरीदने पड़ते थे जबकि आतंकवाद का खात्मा होने के बाद यही हथियार पंजाबियत की पहचान और शौक बन गए। इनमें कई तरह की राइफलें और महंगे रिवॉल्वर शामिल हैं।

लोकसभा चुनाव में आयोग की हिदायत रहती है कि निर्धारित समयावधि में लाइसैंसी हथियार संबंधित थानों में जमा करवा दिए जाएं। पंजाब में मतदान 19 मई को है और हथियारों को थानों में जमा करवाने की प्रक्रिया भी जारी है। आपको एक रोचक बात बताते हैं कि पंजाब के लोगों के पास पूरे राज्य की पुलिस से ज्यादा हथियार हैं। यहां औसतन हर 18वां परिवार हथियार रखता है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक यहां लोगों के पास 3.61 लाख लाइसैंसी हथियार हैं जबकि एक मीडिया रिपोर्ट में जिक्र है कि पंजाब के करीब 82 हजार पुलिस कर्मियों और अफसरों के पास 1 लाख 17 हजार के करीब हथियार हैं।  

हर 93 लोगों के पीछे एक हथियार 
पंजाब में हथियार रखना एक स्टेटस सिंबल बन गया है। प्रदेश गृह विभाग के आंकड़ों के मुताबिक हर 93 लोगों के पीछे एक लाइसैंसी हथियार है। चुनाव दौरान हथियारों को थानों में जमा करवाने का फरमान तो जारी किया जाता है जबकि हथियारों की संख्या इतनी ज्यादा है कि किसी भी चुनाव में सारे हथियार थानों में जमा नहीं हो पाते हैं। बताते हैं कि 31 दिसम्बर, 2018 को हुए पंचायती चुनाव से पहले चुनाव आयोग के फरमान के बावजूद 3.61 लाख लोगों में से 2.04 लाख लोगों ने ही अपने हथियार थानों में जमा करवाए थे। चुनाव प्रक्रिया तहत पंजाब में हथियारों को इतनी संख्या में थानों में जमा करवाने में पुलिस और प्रशासन हमेशा नाकाम हो जाते हैं।

इन जिलों में हथियारों की संख्या सबसे ज्यादा 
आतंकवाद के दौर में गुरदासपुर और बठिंडा 2 ऐसे जिले थे जहां सबसे ज्यादा आतंकी वारदातें होती थीं। यही वजह है कि इन दोनों जिलों के लोगों के पास सबसे ज्यादा हथियार हैं। शाही शहर पटियाला के लोग राइफलों के शौकीन हैं, यहां के लोगों के पास ज्यादातर राइफलें हैं।   

किस जिले में कितने हथियार 

गुरदासपुर  35,793 
बठिंडा 32,452 
लुधियाना 26,362 
जालंधर 24,365 
पटियाला  24,309 

लाइसैंस के वायदे पर भी मिल जाते हैं वोट
पंजाब के उच्च वर्ग का युवा वर्ग महंगे हथियारों का बहुत ही ज्यादा शौकीन है। कई बार इस युवा वर्ग के वोट हासिल करने के लिए नेता उन्हें वोट के बदले हथियारों का लाइसैंस बनाकर देने का वायदा भी कर देते हैं। मालवा क्षेत्र की ही बात करें तो यहां के लोग हथियारों के बहुत ज्यादा शौकीन हैं। बताया जा रहा है कि यहां पर सत्ता में पैठ रखने वाले लोग वोटरों को खुद लाइसैंस बनवाकर देते हैं। यहां यह कहना उचित होगा कि राज्य में हथियारों के लाइसैंस बनवाकर देने का वायदा भी एक चुनावी पैंतरा है। 

कानपुरी रिवॉल्वर के शौकीन पंजाबी गबरू 
पंजाब में हर साल हथियारों के लाइसैंसों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। राज्य में राइफलों का ट्रैंड खत्म होने लगा है। पुरानी पीढ़ी के लोगों के पास ज्यादातर राइफलें हैं जबकि युवा पीढ़ी अब रिवॉल्वर को ज्यादा तरजीह देने लगी है। उच्च वर्ग के अधिकतर युवा प्वाइंट 32 बोर की कानपुरी रिवॉल्वर के ज्यादा शौकीन हैं। इस रिवॉल्वर की कीमत करीब 85 हजार रुपए है। जानकारी के मुताबिक कानपुर की सरकारी असला फैक्टरी से पंजाब के लोगों ने पिछले 5 सालों में 67.60 करोड़ रुपए के रिवॉल्वर खरीदे हैं।

हथियारों के मामले में पंजाब देश में दूसरे नंबर पर
हथियार रखने के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर हैं। यहां लाइसैंस धारक हथियारों के मालिकों की संख्या करीब 12 लाख है। इसके बाद साढ़े 3 लाख से ज्यादा हथियार धारकों के साथ पंजाब दूसरे नंबर पर है। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है, जहां लाइसैंसी हथियारों की संख्या करीब पौने 3 लाख है। देश में अवैध रूप से गैर-लाइसैंसी हथियारों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। बहरहाल लोकसभा चुनाव के चलते निर्वाचन आयोग भी सख्त हो गया है। पुलिस हथियारों की पड़ताल कर रही है। आने वाले दिनों में जब तक चुनाव नहीं होते हैं तब तक ये हथियार थानों में जमा होंगे।

 

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