लोकसभा चुनाव 2019ः सन्नी देओल के लिए आसान नहीं होगी गुरदासपुर की लड़ाई

punjabkesari.in Wednesday, Apr 24, 2019 - 11:40 AM (IST)

जालंधर(इलैक्शन डैस्क): भाजपा की तरफ से गुरदासपुर से चुनाव मैदान में उतारे गए फिल्म अभिनेता सन्नी देओल के लिए सियासत की अपनी यह पहली लड़ाई इतनी आसान नहीं रहने वाली। उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास यह बताता है कि परिवार के सदस्यों ने जहां-जहां से चुनाव लड़ा, जनता ने उनको सिर-माथे पर बैठाया। फिर चाहे 2004 में बीकानेर से चुनाव जीतने वाले धर्मेन्द्र हों या मथुरा से 2014 में चुनाव जीतने वाली हेमा मालिनी, परन्तु सन्नी देओल के लिए गुरदासपुर की यह लड़ाई कुछ कारणों से मुश्किल दिखाई दे रही है।

ये 5 कारण होंगे बड़ी चुनौती 

  • पंजाब में वोट 19 मई को पड़ेंगे। लिहाजा सन्नी देओल यदि 24 अप्रैल से भी प्रचार शुरू करें तो उनके पास प्रचार के लिए महज 27 दिनों का समय बचता है, इतने समय में गुरदासपुर जैसे बड़े क्षेत्र को कवर करना आसान नहीं होगा। 
  •  इस सीट पर 2017 में हुए उप चुनाव के दौरान भाजपा के स्वर्ण सलारिया 1,93,219 मतों के बड़े अंतर से हारे थे। इतना बड़ा फर्क खत्म करना सन्नी के लिए बड़ी चुनौती है।
  • सन्नी देओल के लिए सियासत नई है, खास तौर पर गुरदासपुर हलका उनके लिए बिल्कुल नया है। उनका स्थानीय स्तर पर पार्टी वर्करों और नेताओं के साथ पहले से कोई संपर्क नहीं रहा है। उनके लिए भाजपा के साथ-साथ अकाली दल के वर्करों से तालमेल बैठाना भी बड़ी चुनौती होगी। 
  • उनके मुकाबले कांग्रेस के सुनील जाखड़ न सिर्फ इस सीट के मौजूदा सांसद हैं, बल्कि मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी हैं। इस लिहाज से जाखड़ को चुनौती देना आसान नहीं होगा। 
  • गुरदासपुर सीट अधीन आने वाली 4 विधानसभा सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ती है, जबकि 5 सीटों पर अकाली दल चुनाव लड़ता है। अकाली दल से नाराज होकर टकसालियों के साथ सेवा सिंह सेखवां भी इसी हलके से संबंध रखते हैं और उनकी नाराजगी का नुक्सान भी सन्नी को हो सकता है। 


इन 5 कारणों से फतेह कर सकेंगे मैदान 

  • सन्नी देओल के लिए गुरदासपुर में जीत के कई सियासी कारण हैं जिस कारण वह जाखड़ को मात दे सकते हैं। 
  • गुरदासपुर की यह सीट पाकिस्तान के बार्डर साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के साथ लगती है। भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक का इस इलाके में अ4छा प्रभाव है जिसका फायदा सन्नी को हो सकता है। 
  • 2017 के उप चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ विजेता रहे थे, परन्तु लोकसभा चुनाव के दौरान पिछली बार भी गुरदासपुर के मतदाताओं ने यह सीट भाजपा की झोली डाली थी और फिल्मी स्टार वनोद खन्ना इस सीट से विजेता रहे थे। विनोद खन्ना को इस सीट पर 4,82,255 वोट मिली थीं और उनके मुकाबले उस समय कांग्रेस के कद्दावर उम्मीदवार प्रताप सिंह बाजवा थे। बाजवा इस सीट पर 2009 का चुनाव भी जीत चुके थे और मतदान दौरान जाखड़ की तरह पंजाब कांग्रेस के प्रधान थे, परन्तु इसके बावजूद बाजवा 3,46,190 वोट हासिल कर 1,36,065 वोट के बड़े अंतर से हार गए थे। 
  • गुरदासपुर क्षेत्र लम्बे समय से बाहरी उम्मीदवार को संसद में भेजता रहा है और फिल्मी सितारों के प्रति इस हलके का आकर्षण ज्यादा है। इसका फायदा सन्नी को मिल सकता है। 
  • गुरदासपुर में कविता खन्ना और स्वर्ण सलारयिा के बीच टिकट की लड़ाई चल रही थी, यदि दोनों में किसी एक को टिकट मिलता तो पार्टी में फूट पड़ सकती थी। हाई कमान ने सन्नी को मैदान में उतार कर इस धड़ेबंदी को खत्म किया है, इसका लाभ भी सन्नी को मिलेगा। 
  • सन्नी के मैदान में आने के बाद भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप भी इस सीट पर गंभीरता के साथ जोर लगाएगी और भाजपा के बड़े नेता इस सीट पर सन्नी के लिए प्रचार करने आ सकते हैं। 

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