धू-धू जलते गेहूं के खेतों पर आंसू बहाते किसान, वोटों की राजनीति में मसरूफ नेता

punjabkesari.in Monday, Apr 29, 2019 - 10:04 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क (सूरज ठाकुर): पंजाब में जैसे-जैसे पारा बढऩे लगा है, सियासत में भी उतनी ही ज्यादा गर्माहट पैदा होती जा रही है। ऐसे माहौल में चुनाव मैदान में उतरे नेताओं को खेतों से निकलने वाली उस आग की तपिश ही महसूस नहीं हो रही है जो पंजाब के धरोहर किसानों की कई सौ एकड़ जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल को राख कर गई। गौरतलब है कि पंजाब के विभिन्न गांवों में सीमांत किसानों की 1500 एकड़ से ज्यादा भूमि पर खड़ी गेहूं की फसल तबाह हो चुकी है जबकि चुनाव के चलते पीड़ित किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं।  

एक सिंगर कर रहा मदद
यह अलग बात है कि कैप्टन सरकार ने किसानों के वोट हासिल करने के लिए उनका 2 लाख का कर्जा माफ  किया था, पर सरकार हर साल होने वाली ऐसी घटनाओं को शायद भूल गई। सिर्फ  एक पंजाबी सिंगर है जो खेतों में आग की भनक लगते ही मौके पर पहुंच रहा है और किसानों के वीडियो बनाकर विदेशों में बसे लाखों पंजाबी एन.आर.आई. से उनकी वित्तीय सहायता की गुहार लगा रहा है। वह पीड़ित किसानों के मोबाइल नंबर भी फेसबुक पर शेयर कर रहा है और उनकी सीधे सहायता करने की अपील कर रहा है। इस सिंगर का नाम जगदीप रंधावा है। रंधावा रामपुराफूल इलाके से ताल्लुक रखता है। रंधावा से ‘पंजाब केसरी’ ने विशेष बातचीत की जिसके आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

किसान नहीं रहेंगे तो किसे भाषण देंगे नेता : रंधावा 
सिंगर जगदीप रंधावा कहते हैं कि उन्हें राजनीति से कुछ नहीं लेना-देना और न ही उनका संबंध किसी राजनीतिक दल से है। कहीं भी आग मिलने की जब उन्हें सूचना मिलती है तो वह मौके पर पहुंच जाते हैं। आसपास के गांव के किसानों को वह जागरूक करते हैं कि उनकी मदद सरकार या कोई भी नेता नहीं करेगा। एक-दूसरे की मदद करने से ही किसान समस्याओं को हल कर सकते हैं। वह कहते हैं कि नेता किसानों के सिर पर राजनीति 1947 से करते आ रहे हैं। यदि किसान ही नहीं रहेंगे तो ये नेता भाषण किसे देंगे।

पहले से कर्ज में डूबे हैं पीड़ित 
रंधावा ने जब बरनाला के गांव ठीकरी वाला में किसानों से बातचीत की तो उन्होंने अपना दर्द शेयर किया कि कोई भी राजनीतिक दल उन्हें आश्वासन ही दे रहा है। इनमें पीड़ित एक सीमांत किसान ऐसा भी है जिसकी अपनी सिर्फ  3 एकड़ भूमि है जबकि उसने ठेके पर 200 एकड़ भूमि ली और 15 एकड़ में खड़ी फसल जलकर राख हो गई। सभी पीड़ित किसान बैंकों के करीब 5 लाख रुपए के कर्जदार हैं। अब राख हुई गेहूं की फसल पर आंसू बहा रहे हैं। 


आत्महत्या करने चला था किसान, ऐसे बची जान
ऐसा ही बरनाला के एक गांव धूरकोट में 25 एकड़ जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल आग की चपेट में आ गई। यहां एक रामदासिया सिख दर्शन सिंह ने 5 एकड़ जमीन ठेके पर ली और इसमें सारी खड़ी फसल जलकर राख हो गई। दर्शन सिंह की 4 बेटियां हैं। उसका रो-रो कर बुरा हाल है। वह आत्महत्या करने के चक्कर में था लेकिन आसपास के गांव के लोगों ने उसे गेहूं और थोड़ी वित्तीय सहायता दी तब जाकर उसकी जान बचाई।


कंबाइन शॉर्ट सर्किट ने निगली 100 एकड़ पर लगी गेहूं
हाल ही में बरनाला ठीकरी वाला गांव में करीब 10 से ज्यादा सीमांत किसानों की गेहूं की 100 एकड़ फसल में आग लग गई। कंबाइन में शॉर्ट सॢकट होने के कारण आग लगी। राजनीतिक दलों के नेता वोटों की राजनीति में इतने मशरूफ  थे कि उनका दर्द जानने के लिए मौके पर कोई नहीं पहुंचा। यह अलग बात है कि प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने जायजा लिया। प्रशासनिक अमला भी क्या करे जब पूरे देश में चुनाव हैं और कहीं न कहीं उसकी तैनाती की गई है।

आग के लिए बिजली विभाग भी जिम्मेदार 
आगजनी की अधिकांश घटनाएं बिजली के खम्भों में लगे स्विचों के कारण हुई हैं, जिसके लिए किसान सीधे तौर पर बिजली विभाग को जिम्मेदार ठहराते हैं। किसान कहते हैं कि गेहूं की कटाई से पहले बिजली विभाग को बाकायदा शिकायत की जाती है जबकि भारी-भरकम वेतन पाने वाले इन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया।

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