कांग्रेसी विधायकों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे लोकसभा चुनाव

punjabkesari.in Friday, Apr 19, 2019 - 09:30 AM (IST)

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): 17वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनावों ने जहां देश में प्रमुख दलों के भविष्य का फैसला करना है, वहीं इस चुनाव के नतीजे अलग-अलग प्रांतों की सरकारों की कारगुजारी का रिपोर्ट कार्ड भी पेश करेंगे। गौरतलब हैकि 2017-18 के दौरान नई प्रांतीय सरकारें बनाने वाले राजनीतिक दलों और विधायकों के लिए भी यह चुनाव अग्नि परीक्षा से कम नहीं होंगे। क्योंकि इन चुनावों में लोग अपनी वोट द्वारा सरकार की कार्यशैली पर संतुष्टि या असंतुष्टि की मोहर लगाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि पंजाब में कांग्रेसी नेता और कार्यकत्र्ता केंद्र की मोदी सरकार की 5 सालों की कारगुजारी पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि अकाली-भाजपा नेता और कांग्रेस विरोधी दल कांग्रेस सरकार के राज्य में किए गए विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड मांग रहे हैं। 

राहुल गांधी की छवि की नई परिभाषा पेश करेंगे चुनाव नतीजे
कांग्रेस यह चुनाव जीतने के लिए बेशक कई स्टार प्रचारकों को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में भेज रही है, परन्तु वास्तव में यह चुनाव राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़े जा रहे हैं जिनमें कांग्रेस के पास मुख्य चेहरा भी राहुल गांधी ही हैं। प्रत्येक कांग्रेसी नेता यही दावा कर रहा है कि कांग्रेस देश के विकास के लिए राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए यह चुनाव लड़ रही है। इसलिए यह समझा जा रहा है कि इन चुनावों की जीत-हार सीधे तौर पर राहुल गांधी की कार्यशैली और छवि की नई परिभाषा पेश करेगी।

नरेन्द्र मोदी के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल
इस चुनाव में प्रचार दौरान भाजपा अपनी उपलब्धियों के आधार पर फिर सरकार बनाने का दावा कर रही है। भाजपा इस बार पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को आगे लाने की बजाय सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सबसे बड़े राजनीतिक स्टार के तौर पर पेश कर रही है, जिसके चलते भाजपा नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के किए कार्यों और बड़े फैसलों का हवाला देकर वोट मांग रही है। यदि लोग फिर भाजपा के पक्ष में फतवा देते हैं तो इसका श्रेय मोदी को जाना स्वाभाविक है, परंतु यदि किसी कारण ऐसा नहीं होता तो इसके साथ मोदी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। 

कैप्टन सरकार की नीतियां और संतुष्टि या असंतुष्टि की मोहर लगाएंगे पंजाबी
पंजाब में 2107 के दौरान चुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल करने वाले कांग्रेसी विधायकों के लिए यह चुनाव अग्नि परीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि इन चुनावों के दौरान उनके हलके में कांग्रेसी उम्मीदवारों को मिलने वाली वोट संख्या ही यह स्पष्ट करेगी कि उनके हलकों के लोग सरकार और संबंधित विधायकों की कारगुजारी से कितने संतुष्ट हैं। अकाली दल और अन्य दल तो शुरू से यह दावे करते आ रहे हैं कि लोग इन चुनावों में कांग्रेसी विधायकों के सभी भ्रम दूर कर देंगे, परंतु कांग्रेसी विधायक अपनी और अपनी सरकार की उपलब्धियों का हवाला देकर बड़ा बहुमत लेने के दावे कर रहे हैं, परंतु राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन चुनावों के दौरान पंजाब के लोगों का रुझान पंजाब में कैप्टन सरकार की कारगुजारी संबंधी लोगों की राय को स्पष्ट कर देगा। 

चुनावों पर टिका हुआ है नए दलों का अस्तित्व
पंजाब सहित देश के कई राज्यों में बने नए दल इन लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी उपलब्धियां के दावे कर रहे हैं। पंजाब में पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस, शिरोमणि अकाली दल टकसाली, पंजाब एकता पार्टी सहित कई नए दल और गठजोड़ पारंपरिक दलों के वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, परन्तु इस चुनाव के दौरान यह स्पष्ट हो जाएगा कि पंजाब के लोग इन नए दलों को कितना स्वीकार करते हैं। यह समझा जा रहा है कि पंजाब निवासियों से मिलने वाले प्यार और समर्थन पर ही नए दलों और गठजोड़ का आधार टिका हुआ है। इसी तरह पिछले लोक सभा चुनाव के दौरान 13 में से 4 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी की कारगुजारी पर भी इस बार सारे पंजाब की नजर टिकी हुई है। 
 

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