नया मोर्चा लगाएगा कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध

punjabkesari.in Tuesday, Dec 18, 2018 - 08:39 AM (IST)

जालंधर (रविंदर): पंजाब के राजनीतिक इतिहास में रविवार का दिन अहम रहा। एक ही दिन में पंजाब में दो नए राजनीतिक मोर्चों का गठन किया गया। पहला मोर्चा अकाली दल से टूट कर बने टकसाली अकालियों का था तो दूसरा मोर्चा आम आदमी पार्टी से बाहर आए बड़े नेताओं का। दोनों नए मोर्चे बनने से पंजाब के राजनीतिक समीकरण भी बदल चुके हैं। 

अहम रोल अदा करेंगे नए मोर्चे
आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों मोर्चे अहम रोल अदा कर सकते हैं।  हालांकि लोकसभा चुनाव में मात्र 6 माह का वक्त रह गया है। इतने कम समय में दोनों मोर्चे कोई बड़ा मैदान नहीं मार सकते।  मगर वहकिसी भी बड़ी राजनीतिक पार्टी के समीकरण जरूर बिगाड़ सकते हैं। सियासत की दुनिया में यह क्यास लगाए जा रहे थे कि अकाली दल से टूटे सीनियर नेताओं के नया मोर्चा बनाने से अकाली दल को बड़ा झटका लग सकता है।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार अगर 2017 विधानसभा चुनाव की करें तो अकाली दल की 10 साल की सत्ता से नाराज वोटर पूरी तरह से कांग्रेस की झोली में जा गिरा था, क्योंकि उनके पास कोई तीसरा विकल्प नहीं था। चुनाव से कुछ माह पहले तक तीसरे विकल्प के तौर पर आम आदमी पार्टी को मजबूत स्थिति में देखा जा रहा था। पर आम आदमी पार्टी की अंदरूनी बिगड़ती सियासत और कई गलत फैसलों ने वोटरों को असमंजस में डाल दिया था। यह वोटर कांग्रेस की झोली में नहीं गिरना चाहता था, मगर अकाली दल व भाजपा से उनकी बड़ी नाराजगी कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम कर गई। 

लोकसभा में कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है नुक्सान
अब लोकसभा चुनाव में यही वोटर कांग्रेस से टूट कर तीसरे विकल्प के तौर पर नए बने मोर्चे की तरफ मुड़ सकता है। यानी अकाली दल को फिलहाल इस मोर्चे से कोई नुक्सान नहीं है, क्योंकि वह अपने राजनीतिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा नुक्सान उठा चुका है। अगर कुछ खोने के लिए है तो वह है सिर्फ कांग्रेस के पास, क्योंकि अकाली दल से टूटे टकसाली अकाली दल का माझा इलाके में बड़ा वोट बैंक है तो दूसरी तरफ खैहरा, बैंस ब्रदर्स व गांधी के नाम पर बना पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस मोर्चे का दोआबा व मालवा में अच्छा-खासा रसूख बना रहेगा।  ऐसे में अगर यह दोनों नए मोर्चे आने वाले समय में अपने पांव मजबूती से जमा पाते हैं तो इसका खासा नुक्सान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस के राजनीतिक पंडित भी इस बात को समझ चुके हैं और आने वाले समय में कांग्रेस के थिंक टैंक इस मोर्चे को मात देने के लिए कोई नया दाव खेल सकते हैं।

 

 

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