मिशन 2019ः प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

punjabkesari.in Wednesday, Jan 23, 2019 - 09:19 AM (IST)

जालंधर (रविंदर): एक तरफ कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार को 2019 लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर की रणनीति पर चल रही है तो दूसरी तरफ अपनी ही नीतियों के कारण उसकी इस रणनीति पर प्रहार हो रहा है। चुनावों के दौरान संगठन की अहम जिम्मेदारी होती है। किसी नेता को प्रचार के लिए लाना है और पार्टी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से लेकर अन्य तैयारियों की सारी रूपरेखा जिला प्रधान की निगरानी में ही निभाई जाती है, मगर कुछ दिन पहले ही शहरी व देहाती प्रधान पद पर बैठे कमजोर नेताओं का खमियाजा आने वाले दिनों में न केवल पार्टी बल्कि पार्टी प्रत्याशी को भी उठाना पड़ सकता है।

कारण साफ है कि बगावत करने वाले दोनों नेताओं को इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है और दोनों ही संगठन की कार्यशैली व कार्यप्रणाली को लेकर बेहद नौसिखिए हैं। ऐसे में इन दोनों प्रधानों का लोकसभा चुनाव की रूपरेखा तैयार करने में पसीने छूट सकते हैं।दूसरी तरफ कमजोर व बगावत करने वाले नेताओं को जिला प्रधान पद पर बिठाने की कुछ नेताओं ने हाईकमान से शिकायत की थी जिसका हाईकमान ने गंभीर संज्ञान लिया है। पार्टी हाईकमान नहीं चाहती कि लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी तरह संगठन को कमजोर कर पार्टी प्रत्याशी का नुक्सान किया जाए। इसी के चलते कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ को ई-मेल भेज कर पूछा है कि किसकी सिफारिश पर कमजोर व बागी नेताओं के नामों को भेजा गया।

ऐसे में हाईकमान के इस रवैये के बाद न केवल नए बने जिला शहरी प्रधान बलदेव सिंह देव व देहाती प्रधान सुखविंद्र लाली पर गाज गिर सकती है, बल्कि प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। गौर हो कि कुछ नेताओं ने शिकायत की थी कि जिला शहरी प्रधान बलदेव सिंह देव ने विधानसभा चुनाव में खुलकर अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी सुशील रिंकू का विरोध किया था और पार्टी से बागी होकर लड़े पूर्व मेयर सुरिंद्र महे का साथ दिया था। यही नहीं, देव के खासमखास साथी पूर्व पार्षद डा. प्रदीप राय ने तो खुलकर बगावत करते हुए अपनी ही पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ आजाद चुनाव लड़ा था। कुछ ऐसा ही हाल देहाती प्रधान सुखविंद्र लाली का रहा है। जब प्रदेश प्रधान की कमान प्रताप सिंह बाजवा के हाथ में थी तो उन्होंने खुलकर बाजवा का विरोध किया था और कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खेमे के साथ खड़े रहे थे। इन दोनों नेताओं की कभी भी संगठन के किसी प्रोग्राम में शमूलियत भी नहीं रही है। अब हाईकमान के लिए नए बने जिला प्रधानों को लेकर मुसीबत यह खड़ी हो गई है कि अगर उन्हें चुनावों तक कंटीन्यू करते हैं तो पार्टी को नुक्सान होगा और अगर तुरंत पद से हटाया जाता है तो चुनावों से पहले पार्टी की किरकिरी होना तय है।

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