मोदी की रैली में बचे 7 दिन, वर्करों में नहीं कोई उत्साह

punjabkesari.in Thursday, Dec 27, 2018 - 10:00 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): लोकसभा चुनाव 2019 के लिए एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पूरी तरह कमर कस ली है। 2014 की तरह ही इस बार भी नरेंद्र मोदी पंजाब से ही लोकसभा चुनाव प्रचार का बिगुल बजाने जा रहे हैं। 3 जनवरी को मोदी गुरदासपुर के पास रैली को संबोधित करेंगे, मगर उनकी इस रैली को फ्लॉप करने के लिए पंजाब के कुछ मजबूत लीडर ही गुपचुप रणनीति में लगे हुए हैं। दरअसल मौजूदा दौर में यह लीडर खुड्डे लाइन लगे हुए हैं और रैली को फ्लॉप कर मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी पर इसका ठीकरा फोडऩा चाहते हैं। 

2014 में भी प्रधानमंत्री मोदी ने माधोपुर में रैली कर लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज किया था और देशभर में मोदी को भरपूर रिस्पांस मिला था। एक बार फिर मोदी ने चुनाव प्रचार आगाज के लिए पंजाब की धरती को चुना है। हालांकि पिछली बार प्रदेश में अकाली-भाजपा की सरकार थी और इस बार हवा का रुख अकाली व भाजपा दोनों के खिलाफ है। अकाली दल खुद ही बगावत के मोर्चे से जूझ रहा है तो प्रदेश भाजपा में भी सब कुछ अ‘छा नहीं चल रहा है। जब से प्रदेश प्रधान की कुर्सी श्वेत मलिक के हाथ में आई है और कई पुराने नेताओं की रोजी-रोटी बंद हुई है, तब से ही एक मजबूत लाबी इस कार्यकारिणी के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटी हुई है। 


प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्वेत मलिक ने रैली को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए सभी पूर्व विधायकों, मौजूदा विधायकों, सांसदों व प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ-साथ पार्टी के सीनियर नेताओं व सभी मोर्चों की ड्यूटी निर्धारित की है, मगर हैरानी की बात यह है कि मोदी की रैली को महज 7 दिन का समय बाकी रह गया है, मगर जिला स्तर पर वर्करों में रैली को लेकर ’यादा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। इसके पीछे कारण साफ है कि पूर्व विधायकों की एक मजबूत लाबी इस रैली को फ्लॉप करने की रणनीति पर काम कर रही है। यह लॉबी न तो वर्करों में रैली को लेकर उत्साह पैदा कर पा रही है और न ही वर्करों को रैली में पहुंचने के लिए कहा जा रहा है। अंदरखाते वर्करों को रैली के दिन कहीं और व्यस्त करने की चाल भी चली जा रही है। यानी पूर्व दिग्गज नेताओं की एक लॉबी मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी के सिर फ्लॉप रैली का ठीकरा फोडऩा चाहती है। इस बात का आभास हाईकमान को भी हो चुका है, यानी पार्टी के लिए काम न करने व रैली को फ्लॉप करने की योजना बनाने वाले नेताओं की शिकायत पार्टी हाईकमान तक पहुंच चुकी है। आने वाले दिनों में कई बड़े नेता पार्टी हाईकमान के निशाने पर हो सकते हैं, मगर एक बात साफ है कि जब प्रदेश में भाजपा के भीतर इस कदर लॉङ्क्षबग व गुटबाजी का खेल चल रहा हो तो ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह से विफल रह सकती है। 

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