जालंधर को लगी नजर, स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में मिला यह रैंक
punjabkesari.in Sunday, Nov 21, 2021 - 05:01 PM (IST)
जालंधर (खुराना): समकालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने एक बार शहर में पत्रकारों को संबोधन करते कहा था कि जालंधर पंजाब का सबसे सुंदर और व्यवस्थित शहर है और उनकी इच्छा है कि वह जालंधर में ही रहें। अब शायद इस मामले में जालंधर को नजर लग गई लगती है क्योंकि अब जालंधर को पंजाब के सबसे गंदे शहर के तौर पर जाना जाने लगा है। साफ-सफाई के मामले में जालंधर शहर इतना पिछड़ गया है कि इस बार केंद्र सरकार की तरफ से दी गई स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में इसको 161वां रैंक मिला हुआ है, जबकि पिछले वर्ष शहर इस रैंकिंग में 119वें स्थान पर था।
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इस बार की रैंकिंग में जालंधर शहर पंजाब के बठिंडा, अबोहर, पठानकोट, मोगा, बरनाला जैसे छोटे-छोटे शहरों से भी पिछड़ गया है। अमृतसर और लुधियाना भी रैंकिंग के मामले में जालंधर से कहीं आगे हैं। और तो और जालंधर के साथ लगते फगवाड़ा शहर को इस बार स्वच्छता रैंकिंग में बैस्ट इनोवेटिव प्रेक्टिस वाले शहर के तौर पर ऐलान किया गया। जालंधर नगर निगम के लिए यह रैंकिंग वास्तव में शर्मनाक मानी जा रही है।
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बिना विजन के ही काम करते रहे कांग्रेसी, कूड़े की मैनेजमेंट और डिस्पोजल की तरफ नहीं दिया कोई ध्यान
कांग्रेस पार्टी पिछले लगभग 5 वर्षों से पंजाब और 4 वर्षों से जालंधर निगम की सत्ता पर काबिज है परन्तु कांग्रेसी नेताओं ने इस कार्यकाल दौरान साफ-सफाई के मामले में बिना विजन के ही काम किया और कूड़े की मैनेजमेंट और डिस्पोजल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इन 4 वर्षों दौरान शहर की सभी सड़कों पर कूड़ा खुले में ही पड़ा रहा। कई-कई दिन कूड़े की लिफ्टिंग नहीं हुई। आज भी प्लाजा चौक डंप, काजी मंडी डंप, फिश मार्केट डंप, फोकल प्वाइंट, खालसा स्कूल और प्रताप बाग डंप का इतना बुरा हाल है कि वहां पास से गुजरना तक मुश्किल है परन्तु कांग्रेसी नेताओं को इसकी कोई फिक्र नहीं।
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6000 में से आए सिर्फ 2802 नंबर, सिर्फ खानापूर्ति और कागजी कार्यवाही में ही लगा रहा निगम
इस साल स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में 161वां रैंक प्राप्त करने वाले जालंधर निगम ने कुल 6000 में से इस बार 2802 अंक लिए। शहर में न तो कूड़े की मैनेजमेंट के लिए कोई प्लांट है और न पिट कम्पोस्टिंग से खाद बन रही है। न सी. एंड डी. वेस्ट प्लांट चालू हुआ है और इसके साथ बायो-माइनिंग प्लांट का भी कोई अता-पता नहीं। कागजी कार्यवाही में जालंधर नगर निगम अव्वल रहा परन्तु शहर में कूड़ों के ढेर लगे रहे। करोड़ों की मशीनरी खरीद कर खानापूर्ति कर ली गई, जो अभी भी वर्कशाप में पड़ी सड़ रही है।
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