लुधियाना जेल में हुए कांड ने पंजाब की जेलों के हालात को किया बेनकाब!

punjabkesari.in Friday, Jun 28, 2019 - 11:21 AM (IST)

लुधियाना(शारदा): सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो लेकिन पंजाब की जेलों में हालात बदलते नजर नहीं आते। इसके पीछे जेल में बंद कैदियों की अधिक गिनती, मोटी रिश्वत देकर अंदर हर तरह का नशा मिलना, कैदियों के पास मोबाइल फोन का होना है।

पिछले एक दशक से जेलों में जैमर लगाने के दावे करने वाले अधिकारी व समय-समय के जेल मंत्री जमीनी तौर पर पूरी तरह से असफल साबित हुए हैं। उधर केंद्र की तरफ से राज्य की 3 जेलों में सी.आर.पी.एफ. की कम्पनियों की तैनाती की स्वीकृति देने के बावजूद राज्य सरकार सुस्त चाल चल रही है !समय समय पर पंजाब की जेलों में बंद खतरनाक कैदी संगीन वारदातों को अंजाम देते रहे हैं, ऐसे में वारदात होने पर बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार समय निकलते ही पुराने ढर्रे पर आ जाती है। पिछले बरसों में पंजाब की हाई सिक्योरिटी जेलों के भीतर हुई संगीन वारदातों की बात करें या फिर जेलों में बंद कैदियों की तरफ से मोबाइल फोन पर अपने गैंग चलाने और सुपारी लेकर अंदर से ही हत्या और बड़ी वारदातों को अंजाम देने की, ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं पर हालात बदलते नजर नहीं आ रहे क्योंकि प्रशासन और सरकार सांप निकलने पर लकीर पीटने का काम करने की अपनी आदत बदलने को तैयार नहीं हैं। हालात को बयान करते कुछ मुख्य मामले इस प्रकार हैं।

अमृतसर जेल में पूहला की हत्या
अगर बात करें अमृतसर जेल की तो वहां बंद हाई प्रोफाइल कैदी निहंग सिंह अजित सिंह पूहला की 28 अप्रैल 2008 को उसी जेल में बंद 3 कैदियों ने डीजल डालकर आग लगा हत्या कर दी थी। जिस बैरक में पूहला बंद था, आरोपी उसके साथ वाली बैरक में थे। उनके पास डीजल कहां से आया, इसकी जांच करने के दावे करने वाली पुलिस किस तरह असफल रही, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अदालत में सुनवाई दौरान सबूतों की कमी के कारण तीनों आरोपियों को बड़ी कर दिया गया। ऐसे ही एक मामले में पट्टी के रहने वाले स्वर्ण सिंह जो नशा तस्करी के आरोप में जेल में बंद था, की भी साथी कैदियों ने 2003 में हत्या कर दी थी।

गुरदासपुर जेल में हंगामा 
लुधियाना जेल में हुआ हंगामा नया नहीं है, इससे पहले भी पंजाब की कई जेलों में कैदी गुटों में हिंसक झगड़े हो चुके हैं। वर्ष 2017 की 24 मार्च को गुरदासपुर जेल की बैरक नंबर-4 में बंद 5 खतरनाक गैंगस्टरो ने सहकैदियों मोङ्क्षहद्र और महेश को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। जब जेल गार्द उनको बचाने पहुंची तो आरोपियों के कई साथी वहां आ गए जिन्होंने गार्द पर भी हमला बोल दिया। देखते देखते जेल में हालात इतने विस्फोटक हो गए कि पुलिस को गोली तक चलनी पड़ी जिसमें कई कैदी घायल हो गए ! 


नाभा जेल ब्रेक कांड 
पूरे देश को हिला देने वाला नाभा जेल ब्रेक कांड सभी के जेहन में ताजा है जिसमें जेल में बंद कुख्यात 6 कैदियों को फरार करने की फूलप्रूफ साजिश जेल के अंदर ही रची गई। इस साजिश को अंजाम देने का जिम्मा आरोपियों ने बाहर सक्रिय अपने साथियों को दिया जो पुलिस की वर्दी में अपने ही एक साथी को कैदी बना हथकड़ी लगा जेल में छोडऩे के बहाने आए और साथियों को चंद मिनटों में छुड़ा ले गए। यह वह घटना थी जिसने जेल प्रशासन की पोल खोलकर रख दी। इस साजिश में कई वर्दीधारी भी शामिल थे।

डेरा समर्थक और बरगाड़ी कांड के आरोपी बिट्टू की हत्या 
ताजा मामला जो इन दिनों रा’य सरकार के लिए गले की फांस बना हुआ है, में नाभा जेल में बंद डेरा समर्थक और बरगाड़ी कांड के आरोप में जेल में बंद मोङ्क्षहद्रपाल बिट्टू की जेल में ही बंद आरोपियों ने हत्या कर दी। इस हत्याकांड के उपरांत एक बार फिर रा’य में टैंशन का माहौल बन गया। हालांकि अब यह मामला धीरे-धीरे शांत हो रहा है, परन्तु जो कैदी जेल में बंद हैं, फिर चाहे वे किसी भी आरोप में बंद हों, उनकी जान-माल की रक्षा की जिम्मेदार सरकार और पुलिस  होती है। ऐसे में जेल में उसका कत्ल यकीनन सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोलता है।  

आखिर क्यों नहीं डिप्लॉय की गई सी.आर.पी.एफ.
 पंजाब की जेलों में नफरी की कमी और समय समय पर होने वाली हिंसक वारदातों के मद्देनजर केंद्र सरकार की तरफ पंजाब सरकार को 8 अक्तूबर 2018 को लुधियाना, अमृतसर, बठिंडा की जेल में सी.आर.पी.एफ. की कम्पनियां डिप्लॉय करने की स्वीकृति दे दी गई थी, बावजूद इसके आखिर इस मामले पर क्यों गंभीरता नहीं दिखाई गई और हंगामा होने के बाद सरकार ने तुरंत सैंट्रल फोर्सेज को तैनात करने का ऐलान कर दिया। सूत्रों की मानें तो इन कम्पनियों की तैनाती हेतु अदा की जाने वाली रकम इसकी लेट लतीफी की मुख्य वजह रही ! 

कैदियों की तय गिनती और कड़े सुरक्षा प्रबंध अनिवार्य 
भी भी समय है इससे पहले की और कोई बड़ा हादसा हो, सरकार और खासकर जेल प्रशासन को जेल नियमों को सख्ती से लागू करना होगा जिसमें जेल की क्षमता मुताबिक कैदियों की गिनती डालना, जेल में जैमरों को तुरंत एक्टिव करवाने के साथ साथ जेल मैनुअल तहत बंदियों को उनके अधिकार उपलब्ध करवाना शामिल है।

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