लुधियाना जेल बवाल-पुलिस से ज्यादा मजबूत कैदियों का नैटवर्क

punjabkesari.in Sunday, Jun 30, 2019 - 11:32 AM (IST)

लुधियाना(पंकेस): केंद्रीय सुधार घर लुधियाना में वीरवार को हुए घटनाक्रम के बाद जेल प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए 2 दिन से जेल में सर्च आप्रेशन चला रखा है। कमिश्नरेट पुलिस के साथ मिलकर फ्लैग मार्च भी निकाले जा रहे हैं, लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि जेल के अंदर बंद कैदियों और हवालातियों का नैटवर्क पुलिस से काफी मजबूत है। खुफिया एजैंसियों के मुताबिक जेल ब्रेक की साजिश कई दिन पहले से रची जा रही थी। इसकी आशंका सी.सी.टी.वी. पर कुछ सप्ताह पहले कालिख पोते जाने से जताई जा रही है। 

शनिवार को जेल में की गई चैकिंग,कैदियों से मिले मोबाइल
जेल के अंदर कैदियों के चल रहे नैटवर्क की इस बात से भी पुष्टि होती है कि शनिवार को डी.सी.पी. अश्विनी कपूर के नेतृत्व में भारी पुलिस फोर्स ने जेल के अंदर अधिकारियों के साथ  चैकिंग अभियान चलाया। इस दौरान जेल बंदियों से 9 मोबाइल मिले हैं। बरामद हुए इन मोबाइल का पुलिस डंप चैक करवा रही है। आशा की जाती है कि इन मोबाइलों से विगत दिनों हुई बातचीत का रिकार्ड निकालने पर अहम सबूत अधिकारियों के हाथ लगेंगे। सूत्रों के अनुसार आज घटना की जानकारी लेने के लिए ज्यूडीशियल मैजिट्रेट सैंट्रल जेल पहुंचे। 

सन्नी के परिजनों को नहीं मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट

लुधियाना जेल में बंद कैदी सन्नी की मौत को लेकर उसके परिजनों ने जेल प्रशासन पर संगीन आरोप लगाते हुए इसकी जांच हाईकोर्ट के सेवामुक्त न्यायाधीश से करवाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि जानबूझ कर उनको सन्नी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दी जा रही।  उन्होंने बताया कि सन्नी की हालत बहुत खराब थी। उसके दोनों घुटनों की हड्डियां बुरी तरह से टूटी हुई थीं। आंखें काली पड़ चुकी थीं व शरीर पर चोटों के निशान थे। घुटनों के अलावा और भी कई जगह से हड्डियां टूटी हुई थीं। जेल मुलाजिमों द्वारा की गई मारपीट के कारण ही सन्नी की हालत बिगड़ी थी। सन्नी के साथ बैरक में बंद दूसरे कैदियों का भी आरोप था कि लगातार 2 दिन सन्नी के साथ जेल मुलाजिम मारपीट करते रहे। दर्द के कारण जब वह चिल्ला रहा था तो भी उसे दवाई देने की बजाय उसके साथ मारपीट की गई। उनका कहना है कि जेल प्रशासन ने सन्नी पर आरोप लगाया था कि उसके पास से मोबाइल बरामद हुआ था और उसकी मौत अधिक नशा करने से हुई है। उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि जेल में नशा और मोबाइल कैसे सन्नी के पास पहुंचा और किसने यह उसे उपलब्ध कराया।  

अजीत की छाती के बाईं साइड पर लगी थी गोली 
जेल में उपद्रव के चलते हुई फायरिंग के दौरान मरे विचाराधीन कैदी अजीत बाबा की लाश की उसके परिवार वालों ने न तो शिनाख्त की और न ही अभी तक उसको सिविल अस्पताल से लिया है। पुलिस द्वारा उन्हें 72 घंटे का समय दिया गया है। अगर वे शव नहीं ले जाते तो पुलिस प्रशासन उसका स्वयं अंतिम संस्कार कर देगा। बहरहाल शव पोस्टमार्टम के बाद अभी तक सिविल अस्पताल के शवगृह में पड़ा है।   उधर, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार गोली अजीत की छाती में बाईं तरफ लगी जो फेफड़े व दिल को चीरती हुई पीठ की दाईं तरफ से पार निकल गई। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। उसकी दाईं बाजू पर भी चोट के निशान थे। 

लापरवाहियों पर नहीं पड़ी ‘बाज’ की नजर 
पंजाब जेल विभाग के सैक्टर-17 स्थित ए.डी.जी.पी. दफ्तर के टॉप फ्लोर पर स्थित सी.सी.टी.वी. सैंटर(पंजाब की जेलों पर एक ही कार्यालय में बैठकर नजर रखने का प्रोजैक्ट ‘बाज’) के जरिए पंजाब की सभी छोटी से बड़ी जेलों की सी.सी.टी.वी. के जरिए मॉनीटरिंग की जाती है। इस प्रोजैक्ट को 2015 में ए.डी.जी.पी. जेल्स ने कैदियों से नशा व अन्य सामान मिलने की घटनाओं पर अंकुश रखने के उद्देश्य से शुरू करवाया था, जब जेलों में आने-जाने वाले प्रत्येक शख्स पर ‘क्लोज आई’ के जरिए नजर रखी जाती थी लेकिन वीरवार को केंद्रीय जेल लुधियाना में हुए बवाल से पहले इस जेल में गैंगस्टर की गतिविधियों पर निगरानी रखने में इस ‘बाज’ की भी नजर नहीं पड़ी।  दूसरी तरफ जेल में इस तरह का बवाल हो सकता है इसके बारे पहले से पता लगा पाने में जेल के अंदर का खुफिया तंत्र भी नाकाम रहा है। यह भी कहा जा सकता है कि जेल के अंदर खुफिया तंत्र जैसी कोई बात ही नहीं है।   

ये लापरवाहियां आईं सामने

सी.सी.टी.वी. पर कालिखः जून माह में किसी बंदी ने हाई सिक्योरिटी जोन में लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे को कोई पदार्थ लगा दिया। जेल अधिकारियों ने पुलिस को सूचना देकर अपना पल्ला झाड़ दिया, जबकि किसी भी बंदी पर उचित कार्रवाई नहीं की गई। 

जैमर लगाने के आश्वासनः जेल के अंदर प्रतिबंधित वस्तुएं और मोबाइल पहुंचना व इसके बावजूद कोई कार्रवाई न होना जेल अधिकारियों के कत्र्तव्य पालन पर प्रश्नचिन्ह है। अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए अक्सर जैमर लगाने के आश्वासन दिए जाते रहे हैं लेकिन जैमर लगने से मोबाइल पर बात नहीं हो सकेगी परंतु प्रतिबंधित वस्तुओं की आपूर्ति निरंतर जारी रहेगी।

आंतरिक खुफिया तंत्र फेलः जेल अधिकारी अपने बचाव में अब बेबुनियाद कहानियां बना रहे हैं कि किसी विशेष गैंगस्टर ग्रुप की साजिशवश ऐसा हुआ और शायद साजिश करने वाला गैंगस्टर ग्रुप इससे भी बड़े कांड को अंजाम देने की फिराक में था। ऐसा अभास होता है कि जेल अधिकारियों का आंतरिक खुफिया तंत्र बुरी तरह फेल हो चुका है या ऐसे किसी तंत्र का वजूद ही नहीं है। जेल के अंदर बंदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 6 के लगभग वाच टावर विभिन्न स्थानों पर स्थापित हैं जिन पर एक-एक कर्मचारी की लगातार नियुक्ति रहती है जिनके पास वाकी टाकी उपलब्ध रहते हैं और अंग्रेजों के जमाने के हथियार साथ होते हैं। खूनी झड़प होने के बावजूद उपरोक्त टावरों से किसी भी कर्मचारी ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।  

गैंगस्टरों को पता थी मुलाजिमों की स्थिति व गिनतीः दूसरे कैदियों को गुमराह करके जेल में उपद्रव भड़काने वाले 22 गैंगस्टरों को पता था कि जेल में केवल 17 मुलाजिम ही ड्यूटी पर हैं जिनमें से 3 गैंगस्टरों की हाई सिक्योरिटी बैरकों, 2 लीगल सैल, 2 रसोई घर, 4 रिकार्ड रूम, 2 मेन गेट व अन्य जेल की दीवारों पर तैनात हैं।  घटना वाले दिन एक गैंगस्टर को वीडियो कांफ्रैंसिंग के लिए ले जाया जाने लगा तो अन्य गैंगस्टरों ने सन्नी की मौत को लेकर बवाल खड़ा कर दिया। मुलाजिमों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने मारपीट करनी शुरू कर दी और अन्य बैरकों तक पहुंच गए तथा योजना के तहत अलग-अलग टोलियां बना कर पथराव करना शुरू कर दिया।  जेल में चल रहे निर्माण कार्य के चलते उन्हें पता था कि ईंट-पत्थर भारी मात्रा में उपलब्ध हैं जिसका उन्होंने खुलकर प्रयोग किया। मुलाजिमों की कम गिनती का फायदा उठाते हुए उपद्रवी कैदी मेन गेट तक पहुंच गए जबकि प्लाङ्क्षनग के अनुसार रसोई घर से उठाए गए गैस सिलैंडरों से ब्लॉस्ट कर उन्हें मेन गेट, जेल की दीवारों को नुक्सान पहुंचाने व पुलिस को रोकने के लिए प्रयोग किया।

स्थिति पर काबू पाने के दावे, जेल के हालात तनावपूर्ण
 गत वीरवार से तनावपूर्ण स्थिति के कारण बंदियों की अपने परिजनों से मुलाकात बंद है। कोई स्पष्ट सूचना न होने के कारण दूर-दराज क्षेत्र से परिजन मिलने के लिए जेल परिसर के बाहर इकट्ठे हो रहे हैं और मुलाकात न होने से उनमें अत्यधिक रोष है।

48 घंटे से नहीं खुले बैरक
स्थिति नियंत्रण में होने का दावा करने से लेकर आज 48 घंटे बीत जाने के बाद भी जेल अधिकारियों ने बंदी नहीं खोली जिसके चलते एक-एक बैरक में लगभग 150 बंदी पिछले कई घंटों से भीषण गर्मी एवं उमस की मार झेलते हुए नारकीय जीवन व्यतीत करने को विवश हैं। ऐसे हालात में किसी बंदी के साथ अप्रिय घटना होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। 


अंदर के हालात

5 हजार में फोन और 15 हजार में पहुंचता है स्मार्टफोन
सूत्रों के अनुसार जेल में मोबाइल पहुंचने के रेट भी फिक्स हैं। अगर सिम्पल मोबाइल फोन कैदी या हवालाती ने बाहर से मंगवाना है तो उसके 5 हजार रुपए वसूले जाते हैं, जबकि स्मार्टफोन के 15 हजार लिए जाते हैं इसके बाद प्रत्येक  महीने के हिसाब से भी पुलिस को पैसे देने पड़ते हैं। सूत्रों के अनुसार सैंट्रल जेल में 1000 से ज्यादा कैदी-हवालाती मोबाइल फोन यूज कर रहे हैं जिसका खुलासा पास लगे टावर की लोकेशन से हो सकता है। 

टूथपेस्ट के ढक्कन में नापकर देते हैं नशा 
सूत्रों के अनुसार जेल में हर प्रकार का नशा मुहैया करवाया जा रहा है। नशे की मात्रा को नापने के लिए टूथपेस्ट के ढक्कन का प्रयोग किया जाता है। सूत्रों के अनुसार जर्दे का ढक्कन 500 रुपए, सूटे का ढक्कन 2 हजार रुपए में मिलता है। वहीं जेल के अंदर बीड़ी भी मुहैया करवाई जाती है, सूत्रों के अनुसार 70 रुपए में एक बीड़ी बेची जाती है।  अगर पुलिस के उच्चाधिकारियों की तरफ से इसकी जांच करवाई जाए तो निम्न स्तर के कई जेल मुलाजिमों पर गाज गिर सकती है। 

कैदियों की चांदी, पे टी.एम. से रिश्तेदारों को डलवा रहे रिश्वत के पैसे
जेल में पुलिस से ज्यादा ऐसे कैदियों की चांदी है जो उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। जेल प्रशासन की तरफ से उनकी विभिन्न विभागों में ड्यूटी लगाई गई है जो जेल में जाने वाले प्रत्येक नए कैदी को अपना शिकार बनाते हैं। सूत्रों के अनुसार अगर किसी कैदी ने अपनी गिनती एक सैल से दूसरे सैल में डलवानी है या फिर दूसरे सैल में मौजूद अपने दोस्तों के पास जाना है तो उसे रिश्वत देनी पड़ती है जिसके लिए उन्होंने आसान रास्ता ढूंढा हुआ है।  सूत्रों के अनुसार उन्हें जेल से बाहर अपने रिश्तेदारों से संपर्क साधने को कहते हैं जिन्हें पे टी.एम. के माध्यम से रिश्वत के पैसे पहुंचते ही काम कर दिया जाता है।

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