माफिया कर गया बोगस बिलिंग, GST की वसूली के लिए अब अफसर अपना रहे यह तरीका

punjabkesari.in Monday, May 08, 2023 - 02:12 PM (IST)

लुधियाना : इंडक्शन फर्नेस उद्योग बोगस बिलिंग करने वाले माफिया के चंगुल में बुरी तरह फंस गया है जिससे अब वह जी.एस.टी. विभाग का करोड़ों रुपए का कर्जदार हो गया है। जबकि माफिया के लोग उनसे जी.एस.टी. के रूप में पैसे इकट्ठे कर ऐश कर रहे हैं और उन्हें पकड़ने के लिए विभाग के पास कोई भी जरिया नहीं है। इसके उलट अधिकारियों ने फर्नेस इकाइयों को गुनहगार मानते हुए उन पर जी.एस.टी. जमा करवाने का दवाब बनाना शुरू कर दिया है। उनसे कहा जाने लगा है कि जिस पार्टी से उन्होंने माल खरीदा है उसने जी.एस.टी. नहीं जमा करवाया और अब वह उनकी पकड़ से भी बाहर है। इसलिए माल खरीदने वाला ग्राहक जी.एस.टी. जमा करवाए।

इस संबंध में इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन के प्रधान के.के.गर्ग कहते हैं कि उनके पास एसोसिएशन के प्लेटफार्म पर दर्जनों सदस्यों की एक ही समस्या आ रही है कि जी.एस.टी. विभाग उन पर दोबारा से जी.एस.टी. भरने का दबाव बना रहा है। जबकि वह एक बार पहले ही जी.एस.टी. अदा कर चुके हैं। विभाग के इस फरमान से इंडस्ट्री में घबराहट का माहौल है। वजह, जी.एस.टी. भी लाख से करोड़ों के बीच बनती है।

प्रधान गर्ग के मुताबिक वह राज्य और केंद्र के जी.एस.टी. विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में कई बार बैठक कर चुके हैं लेकिन नतीजा कोई भी सामने नहीं आया है। अधिकारी सिर्फ एक ही बात पर अडिग हैं कि जिससे उन्होंने माल खरीदा है वह बोगस फर्म है और उसने सरकार को कोई भी जी.एस.टी. अदा नहीं की। अधिकारियों को जब बताया गया कि उनके यहां माल भी आया है और बिल के साथ-साथ ई-बे बिल भी था। इसके बावजूद उन्हें कैसे मालूम होगा कि स्क्रैप का जो माल आ रहा है वह बोगस बिलिंग के जरिए उन तक पहुंचा है।

इसके लिए विभाग को उन्हें बताना चाहिए कि कौन-सी फर्म बोगस बिलिंग कर रही है ताकि भविष्य में उनसे माल न खरीदा जाए।  गर्ग कहते हैं कि जब इंडक्शन फर्नेस इकाइयों ने जी.एस.टी. भर दिया और माल भेजने वाले ने आगे विभाग को जमा नहीं करवाया तो उसमें उनका क्या कसूर है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि स्क्रैप पर जी.एस.टी. को रिवर्स सिस्टम के तहत लें। इससे जहां सरकार का रैवेन्यू बढ़ेगा वहीं बोगस बिलिंग पर भी रोक लग जाएगी और कारोबारी भी अपना काम आराम से कर सकेंगे। इस पर अब अगले सप्ताह राज्य और केंद्र के दोनों विभागों के उच्चाधिकारियों से बैठक की जाएगी।

जब जी.एस.टी. नंबर है तो कैसे बन गया यह माफिया?

उक्त एसोसिएशन के प्रधान के.के.गर्ग कहते हैं कि स्क्रैप बेचने वाले बाहरी राज्यों के कारोबारियों ने अपने यू.पी.-बिहार से आए लोगों के नाम पर जी.एस.टी. नंबर ले रखे हैं। स्क्रैप का माल भी आता है बिल के साथ-साथ ई-वे बिल भी होता है, लेकिन वह जी.एस.टी. को विभाग के पास जमा नहीं करवाते। एक फर्म को वह अधिकतम 2 से 3 महीने तक चलाते हैं। फिर नए नाम से फर्म बनाकर बोगस बिलिंग का धंधा शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं स्क्रैप की खरीद-फरोखत भी नए नाम से करते हैं, ताकि बेचने व खरीदने वालों को पता न लग सके कि वह बोगस बिलिंग का खेल खेलने वाले पुराने खिलाड़ी हैं। इस तरह विभाग भी इन्हें पकड़ने में असमर्थ है। सवाल है कि बिना जांच किए जब नंबर जारी नहीं होता तो ऐसे लोग अधिकारियों की नाक तले रहकर बोगस बिलिंग कैसे कर जाते हैं।

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News Editor

Urmila