पंजाब आर्थिक आपातकाल  की ओरः केन्द्र से खाली हाथ लौटे मनप्रीत

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2019 - 09:38 AM (IST)

चंडीगढ़ (भुल्लर): पंजाब के वित्तीय संकट के चलते राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने बुधवार को दिल्ली पहुंच कर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करके 4100 करोड़ रुपए की राज्य की जी.एस.टी. की बकाया राशि जारी करने की मांग की।  इस मुलाकात के दौरान भी पंजाब के हाथ निराशा ही लगी, क्योंकि केंद्रीय मंत्री द्वारा मनप्रीत बादल को सिर्फ आश्वासन मिला। इस बैठक में दिल्ली, पुड्डुचेरी और मध्य प्रदेश के वित्तमंत्री तथा केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि शामिल रहे।  

आश्वासन के बाद खाली हाथ लौटे मनप्रीत
राज्य के वित्त मंत्री चाहते थे कि तुरंत ही कोई राहत मिले और जी.एस.टी. की बकाया राशि जारी कर दी जाए परंतु इस बारे में सीतारमण ने कोई समय सीमा निर्धारित करने में असमर्थता जताई। इस तरह मनप्रीत को सिर्फ आश्वासन लेकर खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। मनप्रीत ने केंद्रीय वित्त मंत्री को राज्य की मौजूदा आर्थिक स्थिति बारे विस्तार से अवगत करवाते हुए बताया कि पंजाब आर्थिक आपातकाल की ओर है तथा उसको कर्मचारियों को वेतन देने में भी मुश्किल आ रही है और  विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री से मिलने के बाद वित्त मंत्री दोपहर बाद पंजाब मंत्रिमंडल की हुई बैठक में भी शामिल हुए और बातचीत संबंधी मुख्यमंत्री और साथी मंत्रियों को अवगत करवाया।पंजाब सरकार केंद्र के रवैये से नाखुश है और अब वह बकाया राशि लेने के लिए कोई सख्त रास्ता अख्तियार कर सकती है। 

अगर राशि  जारी नहीं करेगा केंद्र तो सुप्रीम कोर्ट में जाएंगें प्रभावित राज्य 
बता दें कि मनप्रीत बादल ने पिछले दिनों स्पष्ट कहा था कि अगर केंद्र सरकार राशि जारी करने में देरी करती है तो कानूनी रास्ते भी खुले हैं और अन्य राज्यों के साथ मिल कर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा सकता है।  पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर के आगे धरना देने की सलाह भी दे चुके हैं। केंद्रीय मंत्री के साथ मीटिंग के बाद अब पंजाब सरकार एक-दो दिन में अगली रणनीति तय करेगी। बकाया राशि न आने के कारण वित्तीय संकट गंभीर है और कर्मचारियों का वेतन भी बड़ी मुश्किल से निर्धारित तारीख के बाद ही मिल सका है। 

खर्च पूरा करना राज्यों के लिए हुआ मुश्किल
उधर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि क्षतिपूर्ति कोष में पर्याप्त राशि नहीं होने जैसी भी स्थिति नहीं है, क्योंकि उपकर से करीब 50 हजार करोड़ रुपए जमा हुए हैं। कंपैंसेशन सैस का भुगतान करना केंद्र की संवैधानिक बाध्यता है, क्योंकि संसद में इसके लिए कानून पारित किया गया है। ऐसी परिस्थितियों में अपने खर्च को पूरा करना राज्यों के लिए मुश्किल हो रहा है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार माल एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के तहत क्षतिपूर्ति के मामले में राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। 

राशि जारी न होने से सभी राज्य परेशान
मध्य प्रदेश के वाणिज्य कर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि अगस्त और सितम्बर के लिए करीब 1500 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति मिलनी है। हम यहां यह जानने आए हैं कि सही तरीके से कितना बकाया है। यह कानून के मुताबिक है।  राजस्थान के तकनीकी शिक्षा और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि क्षतिपूर्ति की राशि मिलने में देरी होने से राज्य को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह राज्यों का पैसा है, इसका भुगतान किया जाना चाहिए। 

10 दिसम्बर को 4 माह का भुगतान बकाया हो जाएगा
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि राज्यों को अगस्त और सितम्बर की क्षतिपूर्ति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर वित्त मंत्री से चर्चा की। अब तो अगली अवधि (अक्तूबर-नवम्बर) की क्षतिपूर्ति भी बकाया हो जाएगी। 10 दिसम्बर को 4 महीने का भुगतान बकाया हो जाएगा। सरकार इसका भुगतान करने के लिए बाध्य है। 

पंजाब का 2100 करोड़ जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति बकाया
हाल ही में जारी एक आंकड़े के मुताबिक अक्तूबर महीने तक का पश्चिम बंगाल का जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति का 1500 करोड़ रुपया, पंजाब का 2100 करोड़ रुपया, केरल का 1600 करोड़ रुपया और दिल्ली का 2355 करोड़ रुपया बकाया है। इसके अलावा पंजाब ने 2000 करोड़ जी.एस.टी. का पुराना बकाया भी लेना है। 

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