कोर्ट की शरण में गए कई अवैध बिल्डिंगों के मालिक

punjabkesari.in Saturday, Jul 14, 2018 - 08:24 AM (IST)

जालंधर(खुराना): लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा जालंधर में 14 जून को अवैध बिल्डिंगों पर की गई छापेमारी के बाद पिछले एक माह से शहर में टैरर का जो माहौल बना हुआ है, उसमें मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के आदेशों ने कुछ राहत प्रदान की है, परन्तु अभी भी अवैध बिल्डिंगों के मालिकों में खौफ बरकरार है।  मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद अवैध बिल्डिंगों की जांच कर रही विजीलैंस टीम अपना काम रोक सकती है, परन्तु नगर निगम द्वारा शहर की 93 अवैध बिल्डिंगों की जांच का काम जारी है।
 
नवजोत सिद्धू के खौफ तथा अन्य कार्रवाइयों से घबराकर अवैध बिल्डिंगों के कई मालिक अदालत की शरण में चले गए हैं। कुछ बिल्डिंग मालिकों को अदालत से स्टे प्राप्त हो गया है, जबकि कुछेक को निराश होना पड़ा है। आने वाले समय में अदालती फैसले इन अवैध बिल्डिंगों का भविष्य तय करेंगे।

अवैध बिल्डिंगों की रिपोर्ट ज्वाइंट कमिश्नर तैयार करेंगे
नगर निगम कमिश्नर विशेष सारंगल ने नवजोत सिद्धू द्वारा भेजी गई 93 बिल्डिंगों की रिपोर्ट तैयार करने का काम नगर निगम की दोनों ज्वाइंट कमिश्नरों डा. शिखा भगत तथा गुरविंद्र कौर रंधावा के हवाले किया है, जिन्होंने आज दोनों एस.ईज तथा बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों को बुलाकर रिपोर्ट तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। नवजोत सिद्धू ने एक सप्ताह के भीतर सभी बिल्डिंगों की डिटेल रिपोर्ट मांगी है। मेयर ने भी आज इस काम की समीक्षा की और अधिकारियों को जल्द रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। 

निगम पहुंचा विजीलैंस अधिकारी
मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने कल शहर के सांसद, विधायकों तथा मेयर के साथ हुई एक बैठक में अवैध बिल्डिंगों की विजीलैंस जांच को रोक दिया था, परन्तु सी.एम. के मौखिक निर्देश शायद विजीलैंस के लोकल यूनिट तक नहीं पहुंचे, जिसके कारण आज भी विजीलैंस का एक इंस्पैक्टर स्तर का अधिकारी ज्वाइंट कमिश्नर डा. शिखा भगत के पास पहुंचा। जब मेयर जगदीश राजा ने विजीलैंस अधिकारी को अपने कार्यालय में बुलाया तो वह मेयर से बिना मिले ही वापस लौट गया।

कुछ अन्य बिल्डिंगों के मालिक भी कोर्ट जाने को तैयार 
इसके अलावा कुछ अन्य बिल्डिंगों के मालिक भी कोर्ट जाने को तैयार हैं। ज्यादातर बिल्डिंग मालिक स्थानीय अदालतों की शरण में गए हैं, जबकि मॉडल टाऊन में नए खुले लिकर अड्डा के संचालक पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चले गए थे, परन्तु वहां दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला किया है कि लिकर अड्डा 5 के संचालक निगम से कम्प्लीशन सर्टीफिकेट प्राप्त कर काम शुरू करें। कई बिल्डिंग मालिक हाल ही में जबकि कई पहले के ही कोर्ट गए हुए हैं।  

93 में से शायद ही कोई बिल्डिंग कम्पाऊंड हो 
निगम द्वारा सौंपी गई 34 बिल्डिंगों की लिस्ट को नवजोत सिद्धू ने वापस लौटा दिया था और निर्देश दिए थे कि सभी 93 बिल्डिंगों की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया जाए कि कौन-सी बिल्डिंग कम्पाऊंड हो सकती है और कौन-सी नान-कम्पाऊंडेबल है। निगम के प्रशासनिक सूत्रों से पता चला है कि 93 अवैध बिल्डिंगों की सूची में शायद ही कोई बिल्डिंग कम्पाऊंड हो सकने वाली श्रेणी में हो। संभव है कि सभी बिल्डिंगों में वायलेशन पाई जाए, फिर भी निगम स्टाफ अपनी रिपोर्ट में यह लिखकर दे रहा है कि वायलेशन किस नेचर की है। माना जा रहा है कि वर्तमान नियमों के अनुसार किसी बिल्डिंग को कम्पाऊंड नहीं किया जा सकेगा और नई वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी लाकर ज्यादातर बिल्डिंगों को उसमें फिट करने का प्रयास होगा। पॉलिसी कब और कैसी आती है, इस पर भी अवैध बिल्डिंगों का भविष्य टिका हुआ है। 

बिल्डिंगें, जिनके मालिक कोर्ट गए 

*पापा व्हिस्की
*ब्रयू मास्टर
*जुल्का टावर
*लिकर अड्डा
*होटल डब्ल्यू.जे. ग्रैंड
*हीट सैवन
*बर्न जिम
*जोशी अस्पताल

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