शराब माफिया जांच की आंच: ED के राडार पर आए पंजाब के कई नेता और नौकरशाह

punjabkesari.in Friday, Jul 31, 2020 - 09:46 AM (IST)

जालंधर(राकेश, सोमनाथ): देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक पंजाब में हुए शराब घोटाले की जांच की आंच शराब माफिया, राजनेताओं और नौकरशाहों तक पहुंचनी शुरू हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) इस घोटाले को लेकर पुलिस, राज्य के आबकारी विभाग की केंद्रीय जांच एजैंसी के साथ साक्ष्य सांझा कर रहा है।  करोड़ों रुपए के इस घोटाले में बड़े स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट की बदबू आ रही है। इस संबंध में ई.डी. द्वारा जांच शुरू किए जाने से सत्ता के करीब कई प्रमुख नेताओं की रातों की नींद उड़ गई है। कथित तौर पर ये राजनेता पंजाब के चार जिलों लुधियाना ग्रामीण, मोहाली, खन्ना और पटियाला के हैं।


पंजाब में गहरी हैं शराब माफिया की जड़ें 
प्रदेश में शराब माफिया की जड़ें काफी गहरी हैं। पुलिस और एक्साइज विभाग की तरफ से रोजाना शराब पकड़ी जा रही है। शराब माफिया से जुड़े लोगों ने आगे अपने कारिंदे पाल रखे हैं तथा किराए के गोदामों में शराब रखी और सप्लाई की जाती है। बड़े तस्कर अपने कारिंदों के नाम से प्लाट और गोदाम किराए पर लेकर इस धंधे को अंजाम देते हैं। जब भी कोई रेड होती है तो कारिंदों के नाम पर पर्चा दर्ज हो जाता है और बड़े तस्कर आसानी से इन केसों में से निकल जाते हैं। यही नहीं, शराब तस्करी के लिए जो पुरानी गाडिय़ां ली जाती हैं वे भी कारिंदों के नाम से ही ली जाती हैं। लॉकडाऊन के दौरान शराब के ठेके बंद होने के चलते करोड़ों रुपए की अवैध शराब बिकने के मामले सामने आए हैं।


ई.डी. ने इन जिलों की पुलिस से मांगे एवीडैंस
ई.डी. के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि पटियाला, खन्ना, मोहाली और लुधियाना ग्रामीण के पुलिस प्रशासन से शराब घोटाले में शामिल लोगों की एफ.आई.आर., जांच निष्कर्ष और बैंक विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। जांच अधिकारी के मुताबिक पुलिस अधिकारियों को विवरण प्राप्त करने के लिए पत्र लिखा है लेकिन अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, यह स्पष्ट संकेत हैं कि राजनेताओं और अधिकारियों का एक बड़ा समूह मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में शामिल है और अभी भी अवैध शराब के कारोबार का पक्षधर है।


दो महीने से ई.डी. को दस्तावेजों का इंतजार
पिछले दो महीनों से ई.डी. को पंजाब आबकारी विभाग द्वारा सौंपे जाने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेजों का इंतजार है, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में डिस्टिलरीज और बॉटङ्क्षलग प्लांटों पर छापा मारा था। ई.डी. को सूचना उपलब्ध नहीं कराने के बारे में प्रमुख सचिव (उत्पाद और कराधान) के एक अधिकारी का कहना है, ‘‘हम नियमों के अनुसार जवाब देंगे।’’ई.डी. के शीर्ष स्रोतों से पता चला है कि शराब माफिया कफ्र्यू के दौरान रा’य के तस्करों के साथ मिलकर पंजाब और पड़ोसी रा’यों से 1,000-1,500 करोड़ रुपए का अवैध शराब का कारोबार करने में कामयाब रहा है। प्रारंभिक जांच राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच सांठगांठ की ओर इशारा करती है, जिसने  राज्य में शराब माफिया को संरक्षण दिया हुआ है। नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया और इसका राजनीतिकरण हो गया है। एक बड़े अधिकारी पर भी आरोप लगे थे। राज्य के प्रमुख कांग्रेसी नेताओं ने उक्त अधिकारी पर शराब माफिया का समर्थन करने का आरोप लगाया, जिसके लिए उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा। बाद में, मुख्यमंत्री को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। ई.डी. के उप निदेशक, निरंजन सिंह इस मामले की जांच कर रहे हैं, जिन्होंने पहले ही भोला ड्रग रैकेट, राजा कंदोला ड्रग रैकेट जैसे कुछ प्रमुख ड्रग रैकेट्स का भंडाफोड़ किया था। 


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