मेयर सहित कई कदावर कांग्रेसी काउंसलर अपने-अपने वार्डों में से ही हारे

punjabkesari.in Saturday, Mar 12, 2022 - 03:40 PM (IST)

जालंधर (खुराना): विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। जालंधर के 2 कांग्रेसी विधायक तो दोबारा जीत प्राप्त करने में सफल रहे पर ताकतवर माने जा रहे बेरी और रिंकू को आम आदमी पार्टी के मामूली समझे जा रहे उम्मीदवारों ने हरा दिया। अब परगट सिंह और बावा हैनरी तो खैर अपनी-अपनी जीत के जश्न मनाने में लगे हुए हैं, वहीं हारे हुए उम्मीदवार अपनी हार के कारणों पर चिंतन-मंथन कर रहे हैं।

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सेंट्रल विधानसभा हलके से बेरी की हार पर चर्चा करने बैठे बेरी की टीम के मैंबर मानते हैं कि इस बार चुनाव में उन्हें मेयर जगदीश राजा और उनकी धर्मपत्नी अनीता राजा के वार्डों में से भी हार का मुंह देखने को मिला जबकि यह दोनों वार्ड कांग्रेस का गढ़ समझे जाते हैं। इस बार इन वार्डों में आम आदमी पार्टी और भाजपा वाले और ज्यादा वोटों ले गए। बेरी को तो कदावर समझे जाते कांग्रेसी काउंसलर विमला दकोहा, मनदीप कौर मुलतानी, कमलजीत कौर गुल्लू, बंटी नीलकंठ, मनजीत कौर, बब्बी चड्ढा, पल्लनी स्वामी, डोली सैनी, मनमोहन सिंह राजू, प्रवीना मनु और जगदीश दकोहा के वार्डों में से भी हार ही नसीब हुई और इन वार्डों में से अकाली-भाजपा को मिला कर ज्यादा वोटें पड़ गई।

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बेरी की साख जिन वार्डों में बची, उनमें शेरी चड्ढा, राधिका पाठक, डा. जसलीन सेठी, नीलम रानी, शमशेर सिंह खहरा और मनदीप जस्सल के वार्ड प्रमुख हैं। इस कारण बेरी की टीम यह मान कर चल रही है कि मतदान से पहले मेयर जगदीश राजा और उनके साथ चल रहे लगभग 8 काउंसलरों ने बगावत का जो बिगुल बजाया था, उसके अनुसार ही सारा काम सिरे चढ़ाया गया और जो काउंसलर मान भी गए थे। उन्होंने अपने वार्डों में मेहनत नहीं की, जिस कारण बेरी को पिछड़ना पड़ा।

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उमा बेरी के वार्ड में से ही बेरी का हारना हैरानीजनक
बेरी की टीम के मैंबर मेयर राजा और आधी दर्जन से अधिक काउंसलरों पर बगावत कर विरोध करने या मतदान में मेहनत न करने के दोष तो लगा सकते हैं परन्तु यह बात सबसे हैरानीजनक रही कि विधायक बेरी की धर्मपत्नी उमा बेरी के अपने वार्ड में से ही राजिन्दर बेरी लगभग 87 वोटों के साथ पीछे रह गए और वहां आम आदमी पार्टी और भाजपा को ज्यादा वोटें मिल गई। उमा बेरी के मामले में यह प्रसिद्ध है कि उन्होंने अपनी सामाजिक सरगर्मियां बराबर बढ़ाईं हुई थीं और निगम के साथ सम्बन्धित काम वह खुद करते थे। उन्होंने किट्टी पार्टियों के जरिए भी कांग्रेसी काउंसलरों की पत्नियां व अन्यों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं परन्तु किट्टी पार्टी कल्चर का उनको ज्यादा लाभ होता दिखा नहीं। उनकी किट्टी पार्टी मैंबर प्रवीना मनु और डोली सैनी के वार्डों में से भी बेरी पिछड़ गए।

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News Editor

Urmila

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