यूक्रेन से MBBS कर रहे छात्रों का भविष्‍य खतरे में, एक गलती से बर्बाद हो सकता है करियर

punjabkesari.in Wednesday, Mar 02, 2022 - 05:19 PM (IST)

जालंधरः रूस-यूक्रेन की बीच चल रहे युद्ध दौरान यूक्रेन में एमबीबीएस की शिक्षा ले रहे छात्रों के वापस भारत लौटने के पश्चात भी आगे की राह उनके लिए काफी ऊबड़-खाबड़ दिखाई दे रही है। फरीदकोट स्थित बाबा फरीद विश्वविद्यालय स्वास्थ्य विज्ञान विभाग, पब्लिक हेल्थ स्कूल में विजिटिंग प्रोफेसर डॉ नरेश पुरोहित ने मंगलवार को कहा कि मेडिकल शिक्षा के लिए छात्रों की मांग, उपलब्ध सीमित योग्यता सीटों और निजी मेडिकल कॉलेजों में अत्यधिक फीस, विदेशों में कई इच्छुक डॉक्टरों को प्रेरित करती है।

विदेश में एक विश्वविद्यालय से एक सस्ती कीमत पर एक चिकित्सा शिक्षा उन लोगों के लिए सबसे अच्छी शर्त लगती है जो भारत में चिकित्सा प्रवेश के कठिन परिद्दश्य के माध्यम से इसे नहीं बना सकते हैं, लेकिन एक बार जब वे विदेशी धरती पर उतरते हैं, तो वास्तविकता उन्हें बहुत मुश्किल से काटती है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में चिकित्सा विश्वविद्यालयों में पंजाब के कई छात्र इस समय फंसे हुए हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहे हैं। भारत में सुरक्षित रूप से पहुंचने के बाद भी उनके लिए आगे का रास्ता ऊबड़-खाबड़ दिखता है। डॉ पुरोहित ने बताया कि नियम विदेशों से मेडिकल छात्रों को भारतीय कॉलेजों या यहां तक कि विदेशों में अन्य संस्थानों में अपने पाठ्यक्रमों के बीच में जाने की अनुमति नहीं देते हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, भारत में चिकित्सा शिक्षा के लिए नियामक, विदेशी मेडिकल छात्रों को अनिवार्य करता है। कम से कम 54 महीने का एमबीबीएस कोर्स और उसी विदेशी संस्थान में एक साल की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी। उन्होंने कहा कि 2021 के फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसेट रेगुलेशन में कहा गया है कि संपूर्ण पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भारत के बाहर ‘एक ही विदेशी चिकित्सा संस्थान में पूरे अध्ययन के दौरान किया जाएगा और चिकित्सा प्रशिक्षण और इंटर्नशिप का कोई भी हिस्सा भारत में नहीं किया जाएगा या देश के अलावा कोई अन्य देश जहां से प्राथमिक चिकित्सा योग्यता प्राप्त की गई है।'

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय परीक्षा बोडर् द्वारा आयोजित विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) को पास करना विदेश से एमबीबीएस स्नातकों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने और देश में दवा का अभ्यास करने के लिए जरूरी है। इस मुद्दे पर अपनी चिंता साझा करते हुए फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर के कार्यकारी सदस्य डॉ पुरोहित ने यहां यूनीवार्ता को बताया कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने पूरे पंजाब में सैकड़ों माता-पिता को बेचैन कर दिया है क्योंकि उनके बच्चे एक बिगड़ते सैन्य संकट के बीच पूर्वी यूरोपीय राष्ट्र से सुरक्षित बाहर निकलने की अपील कर रहे हैं। श्री पुरोहित के अनुसार यूक्रेन या रूस के किसी भी कॉलेज में प्रवेश लेना आसान है क्योंकि कोई प्रवेश परीक्षा नहीं है और भारत की तुलना में शिक्षा की लागत भी सस्ती है। उन्होंने कहा, ‘‘ इनमें से अधिकतर छात्र या तो एनईईटी पास करने के लिए अयोग्य होंगे या प्रबंधन कोटे के तहत चिकित्सा शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। '' उन्होंने कहा,‘‘औसतन हर साल लगभग 10,000 छात्र चिकित्सा, दंत चिकित्सा और पशु चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए यूक्रेन जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई शुल्क संरचना को देखता है, तो कोई भी यूक्रेन में पूरे एमबीबीएस पाठ्यक्रम को प्रबंधन कोटे के तहत यहां के निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा ली जाने वाली एक साल की फीस खर्च करके पूरा कर सकता है। उन्होंने खुलासा किया कि यूक्रेन में छह साल के एमबीबीएस कोर्स के लिए अनुमानित खर्च लगभग 17 लाख रुपये और आवास पर 3.5 लाख रुपये खर्च होंगे, लेकिन, भारत में, साढ़े चार साल के लिए प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ''


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Vatika

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