बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा मिड-डे-मील

punjabkesari.in Friday, Apr 12, 2019 - 11:46 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): मिड-डे-मील योजना समूचे देश के बच्चों हेतु वरदान साबित हो रही है। हिमाचल प्रदेश के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूल जहां 8-10 बच्चे हैं या जिन स्कूलों में नदियों को पार कर जाना पड़ता है, यहां तक कि नक्सल प्रभावित स्कूलों में भी मिड-डे-मील की योजना चल रही है। 

पंजाब में भी कई स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चे 10 से कम हैं वहां भी यह योजना चलती है। मालवा क्षेत्र के जिला श्री मुक्तसर साहिब में 63,095 बच्चों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। इस योजना के तहत अब 6 माह के बाद बच्चों का भार तोला जाता है और कद भी मापा जाता है जबकि बुधवार वाले दिन आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां भी दी जाती हैं। बेशक कुछ लोग यह कहते हैं कि पंजाब जैसे खुशहाल राज्य में मिड-डे-मील की कोई जरूरत नहीं परंतु यह योजना उन बच्चों के लिए लाभदायकहै जिनके मां-बाप सुबह के समय ही काम पर चले जाते हैं या जिनकी मां ही नहीं है। कुल मिला कर यह बहुत ही बड़ी सेवा है। 

बच्चों के स्वास्थ्य के साथ स्वाद का भी रखा जाता है ध्यान
मुख्याध्यापक नवदीप सुक्खी व राजवीर कौर बराड़ का कहना है कि काफी वर्ष पहले मिड-डे-मील के नाम पर मात्र टाइम ही पास किया जाता रहा है क्योंकि सिर्फ चावल आदि ही बनते थे परंतु अब बच्चों के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वाद का भी ध्यान रखा जाता है। मिड-डे-मील इंचार्जों और स्कूल प्रमुखों को अधिक से अधिक मशविरा दिया जाता है कि हरी सब्जियों का उपयोग अधिक से अधिक किया जाए और जिन सब्जियों में आलू पड़ते हैं, उनमें आलू अधिक डाले जाते हैं। वहीं डाटा एंट्री आप्रेटर अमनदीप कौर ने बताया कि 5वीं कक्षा तक के बच्चों को 4.35 रुपए जबकि छठी से 8वीं कक्षा तक के बच्चों को 6.51 रुपए प्रति बच्चा खर्च सरकार देती है तथा प्रति बच्चा 100 ग्राम अनाज 5वीं तक जबकि 150 ग्राम अनाज अपर प्राइमरीतक के बच्चों को तैयार करके प्रतिदिन खिलाया जाता है। 

कब-क्या बनता है?
अब सोमवार को दाल-रोटी, मंगलवार को खिचड़ी या दाल-चावल, बुधवार को चनों के साथ रोटी, गुरुवार को कड़ी-पकौड़ा चावल, शुक्रवार को मौसमी सब्जी व रोटी जबकि शनिवार को दाल-चावल बनाए जाते हैं बल्कि सप्ताह में एक दिन खीर भी बनाई जाती है। हमेशा गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है। 

Vaneet