मुख्यमंत्री के जिले में भी सेफ नहीं नाबालिग लड़कियां

punjabkesari.in Wednesday, Mar 21, 2018 - 08:24 AM (IST)

पटियाला (बलजिन्द्र): मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के जिले में भी नाबालिग लड़कियां सेफ नहीं हैं। विभाग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो हर माह एक से ज्यादा लड़कियां हवस का शिकार होती हैं। साल 2017 के आंकड़े ही ले लें तो आधा दर्जन ऐसे मामले सामने आए जिसमें 10 साल से भी कम उम्र की बच्चियां हवस का शिकार बनीं। हालांकि पिछले लंबे समय से यह मांग उठती आ रही है कि छोटी बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाने वालों के लिए फांसी की सजा होनी चाहिए। कई राज्यों की सरकारों ने यह कानून पास भी कर दिया है, यहां तक कि पड़ोसी राज्य हरियाणा ने भी इस मामले की गंभीरता को समझते हुए छोटी बच्चियों को हवस का शिकार बनाने वाले दरिंदों को फांसी की  सजा देने का विधान बना दिया है। अब पंजाब में भी यह मांग उठनी शुरू हो गई है कि छोटी बच्चियों को हवस का शिकार बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं बल्कि फांसी की सजा निश्चित होनी चाहिए।

यह विभागीय आंकड़े हैं परन्तु बहुत से केस ऐसे भी सामने आए जहां माता-पिता ने सामाजिक डर या फिर बच्चों के भविष्य को देखते हुए इस मामले की रिपोर्ट करने की बजाय उसे दबाने में ही अपनी भलाई समझी।हालांकि उन माता-पिता का यह फैसला कोई अच्छा नहीं कहा जा सकता परन्तु हमारी सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए अक्सर ऐसी घटनाएं हमारे ध्यान में आती हैं। पटियाला में 2 केस ऐसे दिल हिला देने वाले सामने आए, जिनमें एक पिता ने अपनी बच्ची को ही हवस का शिकार बनाया।

उस मामले में केस भी दर्ज हुआ परन्तु बाद में रिश्तेदारों की तरफ से दबाव डालने कारण बच्ची की तरफ से न तो मीडिया को कुछ बताया गया और न ही पुलिस को ज्यादा सहयोग किया। ऐसी ही घटना पटियाला के पास के गांव में सामने आई, जहां 2 बच्चियां खेल रही थीं, जिन की उम्र 6 और 8 साल थी। इन दोनों बच्चियों को एक दरिंदे की तरफ से हवस का शिकार बनाया गया। बच्चियों का मैडीकल भी हुआ। इस मामले में केस भी दर्ज हुआ परन्तु परिवार की तरफ से तब भी इस केस को दबाने की बड़ी कोशिश की गई।

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