अपनी सरकार पर सवाल उठाने वाले विधायक जीरा को हाईकमान ने भेजा नोटिस

punjabkesari.in Monday, Jan 14, 2019 - 12:25 PM (IST)

फिरोजपुर(मल्होत्रा): जीरा के विधायक कुलबीर सिंह की तरफ से पंजाब पुलिस के कुछ अधिकारियों और अफसरशाही के विरुद्ध पंचों, सरपंचों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद यह मामला पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के पास पहुंच गया है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि डी.जी.पी. ने विधायक जीरा द्वारा मंच से सरेआम दिखाई सभी एफ.आई.आर. और उनकी खारिज रिपोर्ट तलब करने के साथ ही पंजाब कांग्रेस कमेटी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 

वर्णनीय है कि शनिवार जब राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की अगुवाई में शपथ ग्रहण समारोह शुरू हुआ और जीरा के विधायक कुलबीर सिंह को मंच से बोलने का न्यौता दिया गया तो उन्होंने इस समारोह का बॉयकाट करते हुए फिरोजपुर रेंज के आई.जी. मुखविन्द्र सिंह छीना सहित कई पुलिस अधिकारियों और अफसरशाही पर नशा तस्करों का साथ देने और भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के आरोप लगाए थे। 

पूर्व आई.जी. पर भी लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
अप्रैल 2018 में फिरोजपुर में तैनात आई.जी. गुरिन्द्र सिंह ढिल्लों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद अगस्त 2018 में उनका तबादला हो गया था। एक पटवारी द्वारा पटियाला के पूर्व एस.एस.पी. विजीलैंस शिव कुमार शर्मा से फ र्द के 20 रुपए सरकारी फीस मांगने के एवज में दुव्र्यवहार के आरोपों में घिरे शर्मा की जांच पूर्व आई.जी. जी.एस. ढिल्लों के जिम्मे लगी थी। इस मामले में ढिल्लों पर शर्मा को इस मामले से निकालने के एवज में मीडिएटर अशोक गोयल के माध्यम से 10 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप लगे थे। इन आरोपों के बाद सी.बी.आई. ने ढिल्लों के पटियाला स्थित आवास और फिरोजपुर स्थित सरकारी आवास पर रेड की थी। इस घटनाक्रम में ढिल्लों का तबादला आई.जी. फिरोजपुर से आई.जी. ह्यूमैन राइट्स कर दिया गया था और फिरोजपुर रेंज के लिए आई.जी. की कमांड मुखविन्द्र सिंह छीना को सौंपी थी। अब जीरा के विधायक कुलबीर सिंह की तरफ से आई.जी. मुखविन्द्र सिंह छीना सहित कुछ पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सरकार इस पूरे प्रकरण पर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है।

विपक्षी पार्टियां मामले को राजनीतिक रंग देने की तैयारी में
पता चला है कि इस पूरे मामले को अकाली दल सहित अन्य राजनीतिक दल भुनाने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि अगर एक विधायक को ही पुलिस से इंसाफ लेने के लिए परेशान होना पड़ रहा है तो आप भलीभांति अंदाजा लगा सकते हैं कि आम नागरिक को पुलिस से क्या उम्मीद हो सकती है। वैसे भी वित्त मंत्री मनप्रीत बादल इस पूरे मामले को कैबिनेट की मीटिंग में रखने के बारे में कह चुके हैं।

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