मोदी द्वारा कृषि कानून खत्म करने के ऐलान ने बदली चुनावी दिशा

punjabkesari.in Monday, Nov 22, 2021 - 10:24 PM (IST)

अमृतसर (हरदीप): देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 कृषि कानून वापस लेने के फैसले ने पूरे देश की राजनीति बदल दी है। मोदी के मास्टर स्ट्रोक ने विपक्ष को इस मुद्दे से एक तरीके से आऊट कर दिया है। आने वाले कुछ महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते कांग्रेस और पूरा विपक्ष खेती कानूनों पर अपनी राजनीति चमकाने की फिराक में था लेकिन पी.एम. मोदी द्वारा अचानक किए फैसले ने राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल मचा दी है। इन चुनावों में अब विपक्ष को नए मुद्दे ढूंढने होंगे। 

श्री गुरु नानक देव जी की जयंती पर पी.एम. मोदी द्वारा किए गए इस ऐलान से सिख समुदाय और पंजाब के लोग भी पी.एम. के मुरीद हो गए हैं। करतारपुर कॉरिडोर दोबारा खोलकर मोदी ने पहले ही सिख श्रद्धालुओं को तोहफा दे दिया था लेकिन कृषि बिलों की वापसी ने विपक्ष को मुद्दाविहीन करके बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। विपक्ष इन कानूनों को ढाल बना कर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में था लेकिन पी.एम. द्वारा किए बड़े फैसले ने जहां भाजपा को एक बार फिर जनता की कचहरी में जाने के लिए योग्य बना दिया है वही विपक्ष के सपने चकना चूर होते नजर आ रहे हैं। ‌

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इससे पहले भी किसानों को 35 नई फसलों की वैरायटी का तोहफा दिया है। पीएम मोदी ने देश को 35 नए बीजों की किस्मों को समर्पित किया। यह कहना गलत नहीं है कि सरकार छोटे किसानों के हित में काम कर रही है। सरकार भी  किसानों को सीधे फायदा पहुंचाने की नीति पर काम कर रही हैं। जिन 35 नई फसलों की वैरायटी पेश की गई है, उनमें कुटु, किनोवा, गेहूं, धान, अरहर, सोयाबीन, सरसों, मक्का, ज्वार, बाजरा, चना, वाकला शामिल हैं। सरकार नए तरीके से खेती करने वाले किसानों से बातचीत भी कर रही है। पीएम किसान सम्मान निधि  के जरिए छोटे किसानों को 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।‌ इसके अलावा, 2 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए। 
11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड भी दिए गए है। मंडियों का आधुनिकीकरण किया गया है। उत्पादन की खऱीद के लिए ज्यादा केंद्र बनाए गए हैं।       

सरसों के समर्थन मूल्य में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई और फसल खरीद वर्ष 2022-23 के लिए सरसों का समर्थन मूल्य बढ़कर 5050 रुपए प्रति क्विंटल हो गया, जो सरसों उत्पादन की लागत (2523 रुपए प्रति क्विंटल) से लगभग 100 प्रतिशत अधिक है। 
रबी दलहन की बात करें तो चने और मसूर के समर्थन मूल्य में भी जोरदार बढ़ोतरी हुई, चने का समर्थन मूल्य 130 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया और चने का एमएसपी बढ़कर 5230 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। मसूर का एमएसपी 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़कर 5500 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया । एमएसपी (न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से अनाज की खरीद करती है। वर्तमान में, सरकार खरीफ और रबी दोनों सीजन में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है।
 गेहूं एमएसपी में 40 रुपये की वृद्धि कर 2015 रुपये प्रति क्विंटल किया गया । 2020-21 फसल वर्ष के लिए गेहूं का एमएसपी 1975 रुपये प्रति क्विंटल था। गेहूं की उत्‍पादन लागत 1008 रुपये प्रति क्विंटल रहने का अनुमान व्‍यक्‍त किया गया । 

मोदी सरकार  की नियत और नीति दोनों पर शंका व्यक्त करना उचित नहीं होगा। किसानों के खाते में सीधी अदायगी (डायरेक्ट पेमेंट) से छोटे और बड़े किसान खुश है, खुश नहीं है तो किसानों की मेहनत मजदूरी पर जबरी हक जमाने वाले बिचौलिए। यह कह सकते हैं कि बदलते जमाने की जरूरतों को समझते हुए केंद्र सरकार किसानों और खेती के विकास के लिए क्रांतिकारी कदम उठा रही है। राजनीतिक दृष्टि से पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड  में भाजपा की जीत का दरवाजा खुलता नजर आ रहा है। विपक्ष के लिए यह किसी सदमे से कम नहीं।   

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Content Writer

Subhash Kapoor

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