खिलाड़ियों के साथ कोचों पर भी होगी धन वर्षा, 2 माह में नई खेल नीति पर लगेगी मुहर

punjabkesari.in Saturday, Jun 10, 2023 - 12:49 PM (IST)

चंडीगढ़ : पंजाब की नई खेल नीति पर प्रदेश सरकार 2 महीने में मुहर लगाने जा रही है। खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर का मानना है कि सूबे में हर खेल का माहौल बनाने के लिए काम किया जाए। नई खेल नीति के मसौदे में प्रस्ताव है कि खिलाड़ियों को नौकरी और उचित नकद पुरस्कार मिलना चाहिए। खेल विशेषज्ञों ने नई खेल नीति का मसौदा तैयार किया है, जबकि अब सरकार सूबे के आम लोगों से भी खिलाड़ियों के कल्याण के लिए राय मांग रही है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को नौकरियों में प्राथमिकता देने का भी प्रस्ताव है। इसके लिए हर खेल में अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता को उसके प्रदर्शन के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाएगी। ओलिंपिक और एशियाड स्वर्ण पदक विजेताओं को सीधे क्लास-वन अफसर की नौकरी दी जाएगी। सरकार का मानना है कि किसी भी खिलाड़ी का अंतरराष्ट्रीय खेल करियर बहुत छोटा होता है। ऐसे में बढ़िया प्रदर्शन करने की एवज में उसे मान-सम्मान और जीवन यापन का साधन मुहैया कराना सरकार का दायित्व बनता है।

केंद्र के द्रोणाचार्य अवार्ड की तर्ज पर पंजाब में भी कोच को मिलेगा अवार्ड

नई खेल नीति का फिलहाल मसौदा ही तैयार हुआ है जिसमें खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार देने, नई प्रतिभाओं को खोजने, उभरते खिलाड़ियों को एक बढ़िया मंच प्रदान करने और स्कूलों व कॉलेजों को खेलों का केंद्र बनाने के अलावा खेल टूर्नामैंटों के दायरे का विस्तार करने का भी प्रस्ताव है। साथ ही खेल विभाग में नए प्रशिक्षकों की भर्ती पर जोर दिया जाएगा और खिलाड़ियों को दिए जाने वाले महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार की तर्ज पर कोचों के लिए भी अवार्ड शुरू किया जाएगा। यह अवार्ड केंद्र सरकार द्वारा दिए जाते द्रोणाचार्य पुरस्कार की तर्ज पर दिया जाएगा।

नई खेल नीति के लिए बनाई कमेटी में ये लोग शामिल

नई खेल नीति के लिए आप सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता पूर्व मुख्य बॉक्सिंग कोच गुरबख्श सिंह संधू, पंजाब ओङ्क्षलपिक एसोसिएशन के वाइस प्रैजीडैंट व पूर्व डी.जी.पी. राजदीप सिंह गिल, गुरु काशी यूनिवर्सिटी में खेल विभाग के निदेशक राजकुमार शर्मा, महाराजा भूपिंदर सिंह स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी पटियाला के वाइस चांसलर लैफ्टिनैंट जनरल रिटायर्ड जगबीर सिंह चीमा, ओलिंपिक गोल्ड मैडलिस्ट अर्जुन अवार्डी सुरिंदर सिंह सोढी और नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ स्पोट्र्स पटियाला, स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, प्रदेश के खेल विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हैं।

महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाएगा

नई खेल नीति के तैयार किए गए मसौदे को अगर सरकार की मंजूरी मिलती है तो अब महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाएगा। नई खेल नीति में स्कूल स्तर पर ही खेलों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए खेल विभाग द्वारा स्कूल व कालेजों का सांझा खेल कैलेंडर बनाया जाएगा। सरकार का मकसद स्कूल-कालेज स्तर पर खेलों के प्रति अधिक से अधिक बच्चों को प्रोत्साहित करने का है ताकि वह नशे के बढ़ते रुझान से वह दूर रहें।

स्पोर्ट्स इवैंट की तैयारी के लिए भी मिलेगा पैसा

ओलिंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों समेत हर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इवैंट के लिए सिलैक्ट होने पर पंजाब सरकार सूबे के खिलाडिय़ों को अपने खेल की तैयारी के लिए नकद राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार का मानना है कि किसी खेल में पदक विजेताओं को तो नकद राशि मिल जाती है जबकि खिलाड़ी की अपने खेल की तैयारी के लिए पहले पैसों की ज्यादा जरूरत पड़ती है। पैसे की कमी के चलते खिलाड़ी की तैयारी में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए। इसके लिए अलग से फंड रखा जाएगा।

हरियाणा के मुकाबले कम है पंजाब में पुरस्कार राशि

पड़ोसी राज्य हरियाणा खेलों में बढ़िया प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च नकद पुरस्कार देता है। हरियाणा सरकार ओलिंपिक स्वर्ण विजेता को 6 करोड़ रुपए देती है, वहीं पंजाब में ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता को 2.25 करोड़ मिलते हैं। हरियाणा में ओलिंपिक रजत के लिए 4 करोड़ और कांस्य पदक के लिए 2.5 करोड़ रुपए दिए जाते हैं, वहीं पंजाब में ओलिंपिक रजत के लिए 1.5 करोड़ और कांस्य पदक के लिए 1 करोड़ रुपए खिलाड़ी को मिलते हैं। पंजाब सरकार एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़, रजत विजेता को 75 लाख और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए देती है।

खास बात यह है कि एशियाई व राष्ट्रमंडल खेलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए भी दोनों पड़ोसी राज्यों के नकद पुरस्कारों में बहुत अंतर है। अब पंजाब सरकार इस अंतर को कुछ पाटने के मूड में है। सूत्रों की मानें तो पंजाब नई खेल नीति में सभी अंतरराष्ट्रीय खेलों के विजेताओं की ईनाम राशि में काफी बढ़ोतरी कर सकती है जिससे हरियाणा के मुकाबले उन्हें मिलने वाली नकद राशि में अब खास अंतर नहीं रहेगा। पंजाब में पिछली खेल नीति पूर्व कैप्टन सरकार के समय साल 2019 में बनाई गई थी।

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News Editor

Urmila

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