हरपाल सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री चन्नी से की मानसून सत्र

punjabkesari.in Saturday, Nov 06, 2021 - 11:15 AM (IST)

चड़ीगढ़ : आम आदमी पार्टी  के सीनियर नेता और विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने सत्ताधारी कांग्रेस पर दोष लगाया है कि चन्नी सरकार लम्बित पड़े 'मानसून इजलास' से भाग रही है, जो भारतीय संविधान की तौहीन है। पंजाब और पंजाब के लोग मुद्दों प्रति ग़ैर-गंभीरता और असंवेदनशीलता की शिखर है।
'आप' की दलील है कि पंजाब और जनता के साथ संबधित बारे ज्वलंत और लम्बे चीरूँ से लटकते आ रहे मुद्दों और मसलों के हल के लिए सरकार को कम से कम 15 दिन का इजलास बुलाना चाहिए। जिसका सीधा प्रसारन हो। हर मुद्दो बारे रचनात्मिक और धूल गंभीर विचार-चर्चा हो जिससे उसका हल यकीनी हो सके।

शुक्रवार को पार्टी से जारी बयान के द्वारा हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि आगामी 8 नवंबर को पंजाब विधानसभा का केवल एक रोज़ा इजलास बुलाया गया है। जो काफ़ी नही है। जितने मुद्दे और मसले लटके हुए है, उनका एक दिन के इजलास दौरान कोई ठोस हल संभव नहीं है। जबकि कानूनन और तकनीकी तौर पर 'मानसून इजलास' लम्बित पड़ा है। इसलिए चन्नी सरकार को एक दिन के इजलास के साथ खानापूरती की जगह मानसून के लम्बित इजलास बारे गंभीरता दिखानी चाहिए।
चीमा ने सवाल किया कि चन्नी सरकार के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है कि सालों-दशकों से लटकते आ रहे मुद्दों का एक दिन के इजलास दौरान हल हो जाएगा। यदि कांग्रेस एक दिन में सभी मसले-मुद्दे हल करने का चमत्कार कर सकती है तो गुज़रे पौने पांच सालों में हुई बरबादी के लिए भी तो कांग्रेस ही ज़िम्मेदार है। चीमा ने चन्नी सरकार की तरफ से लिए जा रहे फ़ैसलों के अमल पर बड़े सवाल करते कहा कि हर फ़ैसले पीछे चयन स्टंट और ड्रामेबाज़ी साफ़ नज़र आती है। परंतु इस दिखावे बाज़ी को पंजाब की जनता बहुत गहरी आंख के साथ देख रही है।

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि जब 3 सितम्बर को श्री गुरु तेग़ बहादुर जी की 400 साला शहादत पर्व को समर्पित विधानसभा एक दिन का विशेष इजलास बुलाया गया था, तो तर्क दिया था कि इस एक रोज़ा विशेष इजलास को तकनीकी या संवैधानिक तौर पर मानसून इजलास के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। उस दिन विशेष इजलास शुरू होने से पहले हुई बिज़नस एडवाइजरी समिति (बी.ए.सी) की बैठक में विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने विश्वास दिलाया था कि 15-20 दिनों में इजलास फिर से बुलाया जाएगा, जिसमें सभी  मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। परन्तु 2 महीने निकलने के बाद अब सिर्फ़ एक दिन के इजलास की खानापूरती की जा रही है।

हरपाल सिंह चीमा ने कहा,''श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी, कोटकपूरा गोली अध्याय, बी.एस.एफ. के अधिकार क्षेत्र में विस्तार, केंद्र की तरफ से संघी ढांचे और राज्यों के अधिकारों पर डाका, बेरोज़गारी, कर्ज़ मुआफी, प्राईवेट बिजली ख़रीद समझौतों और मगनरेगा घुटाल्यें समेत नशा, रेत, शराब, ट्रांसपोर्ट, केबल, लैड्ड और मंडी आदि माफिया राज के मुद्दे जैके वैसे पड़े हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी ने अपने 2017 के चयन मनोरथ पत्र में इन सभी मुद्दों को हल करने का वायदा किया था। चाहे कांग्रेस ने अली बाबा बदलकर अपनी चमड़ी बचाने की कोशिश की है, परन्तु कांग्रेस जनता प्रति जवाबदेही से बच नहीं सकती।''

'आप' नेता ने कहा कि आज पंजाब धरने -मुज़ाहर्यों की धरती बन चुका है। विधानसभा में किसानों, मज़दूरों, व्यापारियों, कर्मचारियों और बेरुज़गारों के साथ जुड़े मुद्दों पर चर्चा कराने की ज़रूरत है। उन्होने आगे कहा कि समुच्चय प्रैस को विधानसभा के कंप्लैक्स में आने की आज्ञा देनी चाहिए, क्योंकि पिछले लंबे समय से पत्रकारों को कोविड नियमों का हवाला देकर विधानसभा कंपलैक्स में ही तड़ीपार करके रखा है।

मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को विरोधी पक्ष के नेता के रूप में उनके कार्यकाल की याद दिलाते हरपाल सिंह चीमा ने कहा,''जब चन्नी विरोधी पक्ष के नेता थे, तो वह ख़ुद समकालीन बादल सरकार से लंबे इजलास की मांग किया करते थे। इसलिए मुख्यमंत्री चन्नी को भी रहते मानसून इजलास को कम से कम 15 दिन के लिए बुलाना चाहिए।''

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Content Writer

Sunita sarangal

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