कृषि बिल पास होने के बाद 60 से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या

punjabkesari.in Thursday, Oct 01, 2020 - 02:15 PM (IST)

जालंधर: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 3 कृषि आर्डिनैंस पास किए गए हैं। विरोध के साथ-साथ सबसे बड़ी दुख की बात यह है कि कृषि आर्डिनैंस घोषित किए जाने के बाद 60 से ज्यादा किसानों द्वारा आत्महत्या की गई है। इसका प्रकटावा कीर्ति किसान यूनियन के राज्य सचिव जगमोहन सिंह ने अपने आंकड़े जारी करते हुए किया है। 

बता दें कि इन आर्डिनैंसों को लेकर अलग-अलग पार्टियों, जत्थेबंदियों, किसानों के साथ-साथ कलाकारों द्वारा भी बहुत ज्यादा विरोध किया जा रहा है। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन दौरान किसानों की आत्महत्याओं की संख्या कम थी, जो फिर से बढ़ गई है। 

जिक्रयोग्य है कि कृषि प्रधान राज्य पंजाब किसी समय भारत का तरक्की वाला राज्य रहा है। समय-समय पर आने वाले शासकों ने ऐसी नीतियां बनाईं कि यहां का किसान आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्याओं के रास्ते पर चल पड़ा। बेशक मौजूदा सरकारों ने किसानों की कर्ज माफी को लेकर मतदान जीता लेकिन पीड़ित परिवारों के दिल वह अब तक नहीं जीत सकी। 

एन.सी.आर.बी. की ओर से जारी किए गए खुलासों में भारत के महाराष्ट्र राज्य किसान आत्महत्याओं की संख्या में पहले नंबर पर है। जहां 2019-20 तक 9680 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं। दूसरे नंबर पर कर्नाटक में 1331, तीसरे नंबर पर तेलंगाना में 441, चौथे नंबर पर आंध्र प्रदेश में 286 और 5वें नंबर पर पंजाब में 239 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं।

विधानसभा चुनाव में किसानों की आत्महत्याएं रोकने के लिए सभी कर्ज माफी स्कीम, फसली बीमा, मुआवजा और नौकरियां देने के झांसों के साथ कांग्रेस पार्टी की सरकार तो बन गई। लेकिन साढ़े 3 साल का समय बीत जाने के बावजूद पंजाब के सभी किसानों और मजदूरों का कर्ज माफ नहीं हो सका। यह कर्ज भविष्य में भी माफ होने की संभावना नजर नहीं आती। किसान हितैषी कहलाने वाले राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल भी इस समस्या को पूर्ण रूप से हल करने में नाकाम साबित हुए हैं। 

Sunita sarangal