वर्करों से दूर होते जा रहे सांसद रवनीत सिंह बिट्टू

punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2020 - 11:55 AM (IST)

लुधियाना(रिंकू): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र के राजनीतिक सलाहकार संदीप संधू की लुधियाना लोकसभा के हलके दाखा उप-चुनाव में हुई हार के बाद से ही लुधियाना में कांग्रेस की राजनीति में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है, स्थानीय सांसद रवनीत बिट्टू काफी समय से लुधियाना के वर्करों से दूर होते जा रहे हैं, जिसकी चर्चा कांग्रेसियों में लगातार हो रही है।

पार्टी व सरकारी एकाध कार्यक्रम को छोड़कर सांसद की लुधियाना में हाजिरी कहीं देखने को नहीं मिल रही, कैप्टन संधू की हार को भी वर्करों की बिट्टू के साथ नाराजगी को लेकर जोड़ा गया और संधू ने अपनी हार के अगले ही दिन कैबिनेट मंत्री आशु के साथ पत्रकारों से बातचीत में हार के कारण बताए, जहां सांसद की गैर-हाजिरी भी चर्चा का विषय बनी रही, जिससे स्पष्ट होता दिखाई दिया कि लुधियाना में कांग्रेस की राजनीति में कुछ ठीक नहीं चल रहा, जबकि कैबिनेट मंत्री आशु ने महानगर के विकास को लेकर पूरी तरह से कमान संभाल रखी है और लगातार अधिकारियों से बैठकें कर रहे हैं।

सरकार में पद पाने में कई कांग्रेसी कतार में, लोकल लीडरशिप को कोस रहे
पंजाब में कांग्रेस सरकार का 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है, लेकिन महानगर लुधियाना में पवन दीवान, गुरप्रीत गोगी, के.के. बावा, अमरीक आलीवाल, अमरजीत टिक्का, रमन सुब्रह्मण्यम के अलावा किसी भी कांग्रेसी को सरकारी पद हासिल नहीं हुआ, जो अंदर ही अंंदर लोकल लीडरशिप को कोस रहे हैं और पद हासिल करने के लिए हाईकमान तक अपनी पहुंच बनाने में लगे हैं। कांग्रेसी नेता अपने हलका विधायक तक पहुंच बनाकर पद हासिल करना चाहते हैं, लेकिन विधायक भी उन्हें पद दिलवाने में कामयाब होते दिखाई नहीं दे रहे व सरकार की सीनियर लीडरशिप को देरी के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पार्टी के एक सीनियर नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर पुराने कांग्रेसियों को ऐसे ही दरकिनार किया गया तो 2022 में पंजाब में कांग्रेस को भारी नुक्सान झेलना पड़ेगा।

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