4 एकड़ जमीन को बंजर बना चुका है यह बरगद का पेड़, किसान जटाएं काटें तो हो जाती है मौत

punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2019 - 02:57 PM (IST)

चंडीगढ़ः पंजाब का जिला फतेहगढ़ साहिब एक पेड़ के कारण सुर्खियों बटोर रहा है। इसे चाहे लोगों का विश्वास कहे या अंधविश्वास पर इस पेड़ के कारण लोगों में डर भी है। हम बात कर रहे हैं, जिला फतेहगढ़ साहिब के चरोटी कलां गांव की। यहां एक ऐसा बरगद है, जिसकी जड़ें जिस खेत में जाती हैं, वहां किसान खेती बंद कर देते हैं।

इतना ही नहीं लोगों की मान्यता है कि अगर कोई इस पेड़ की जड़ें काटता है तो उसकी या उसके परिवार के किसी न किसी सदस्य की मौत हो जाती है। यह जगह चंडीगढ़ से करीब 40 किमी दूर है। कई साल से इस मान्यता के चलते खेती पर संकट बना हुआ है। कोई भी इस पेड़ को काटने की हिम्मत नहीं करता। अभी तक यह पेड़ 4 एकड़ में फैलकर किसानों की खेतीबाड़ी बंद करवा चुका है।

सैंकड़ों साल पुराना है बरगद का पेड़
गांव वालों के मुताबिक बरगद का यह पेड़ सैकड़ों साल पुराना है जो लगातार बढ़ रहा है। गांव वाले बताते हैं कि पहले तो हमें इस पेड़ की इस तरह की कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन, जब एक किसान के खेत में इस पेड़ के जड़ें पहुंची तो उसने वो काट दीं, कुछ ही दिनों बाद उसकी मौत हो गई। इसे श्रद्धा कहें या अंधविश्वास लेकिन गांव वाले इसे काटने की भूल नहीं करते बल्कि चुपचाप अपनी जमीन छोड़ देते हैं जिस जगह ये पेड़ उगा है।

ये है मान्यता
बरगद के पेड़ के समीप शिव का मंदिर है। लोगों का कहना है कि सैकड़ों साल पहले इस जगह पर एक संत आए थे जिन्होंने संतान प्राप्ति के लिए एक किसान को भस्म दी थी। उसकी पत्नी ने से इसे खाने से मना कर दिया। उस किसान ने यह भस्म संत को लौटाना चाही तो उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया। किसान ने भस्म को जमीन पर रख दिया। कहते हैं इसी स्थान पर एक बरगद का पौधा उग आया जो सदियों से विराट रूप धारण करता जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर सच्चे मन मन्नत करने पर इंसान की हर मुराद पूरी होती है।

क्या कहते हैं गांव के लोग
गांव के लोगों का कहना है कि बरगद का यह पेड़ पांच सौ साल से अधिक पुराना है। पेड़ की जड़ें जिस किसी के खेत में जाती है वह खेत को छोड़ देता है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं इस पेड़ की कि अनहोनी और मौत के डर से इस पेड़ को कोई नहीं काटता। इसके बढ़ने पर भूमि को छोड़ देना ही गांव के लोगों के हित में है। 

swetha