विकास के नाम पर हरियाली पर वार, पंजाब बनने लगा मरुस्थल

punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 09:16 AM (IST)

जालंधर(रविंदर) : राज्यभर में विकास के नाम पर सड़कों का जाल तो फैल रहा है, मगर ये सड़कें बनाते समय हरियाली का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जा रहा।पिछले 2 साल की बात करें तो राज्यभर में हरियाली पर वार करते हुए एक लाख से ज्यादा बड़े पेड़ काट दिए गए जिससे पंजाब मरुस्थल बनने की कगार पर पहुंच गया है। नियमों के  मुताबिक एक लाख बड़े पेड़ के बदले में लगने तो 10 लाख पौधे चाहिए थे, मगर सरकारें, जिला प्रशासन, वन विभाग और पी.डब्ल्यू.डी. विभाग पूरी तरह से लापरवाह है और उन्हें अदालती आदेशों की भी परवाह नहीं है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लगातार सख्त कदम उठा रहा है और जहां-जहां नए पौधे नहीं लग रहे हैं, वहां-वहां काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के लगातार आदेश के बाद भी पेड़ नहीं लगाए जा रहे। सरकारों ने आज तक वन क्षेत्र बढ़ाने के प्रति कोई पॉलिसी नहीं बनाई। एक शोध के अनुसार पेड़ों की कतार धूल-मिट्टी को 75 प्रतिशत तो शोर को 50 प्रतिशत तक कम करती है। यानी एक तरफ जहां प्रदेश में ऑक्सीजन की बेहद कमी हो रही है, वहीं पेड़ों की लगातार कटाई से वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

पंजाब के हालात बेहद नाजुक
भारत में प्रति व्यक्ति मात्र 0.1 हैक्टेयर ही वन है, जबकि विश्व का औसत 1.0 हैक्टेयर प्रति व्यक्ति है। वहीं पंजाब की बात करें तो यहां प्रति व्यक्ति मात्र 0.07 हैक्टेयर ही प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र रह गया है। जिस प्रदेश में वन क्षेत्र 15 प्रतिशत होना चाहिए थे, वहां आज यह मात्र 3 से 4 प्रतिशत रह गया है। पंजाब में 15 प्रतिशत ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन पेड़ कटने से  हुआ है। इससे आने वाले समय में राज्य के सामने पेयजल संकट भी गहराने वाला है। 

 

 

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