फ्रैंडली मैच का बयान सिद्धू को ले आया हाशिए पर

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 08:30 AM (IST)

जालंधर/पठानकोट/अमृतसर(वैब डैस्क, शारदा, इंद्रजीत): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा विभाग बदले जाने से नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने कैबिनेट पद से इस्तीफा देकर पंजाब की राजनीति में भूचाल ला दिया है। कैप्टन-सिद्धू में चल रहा शीत युद्ध लोकसभा चुनाव के बाद विकराल रूप धारण कर गया था। सिद्धू को लोकसभा चुनाव में हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कैप्टन ने उनसे स्थानीय निकाय विभाग छीनकर ऊर्जा विभाग सौंपा दिया था। मुख्यमंत्री का कहना था कि सिद्धू के कारण ही पार्टी पंजाब में 13 की सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकी। इससे नाराज चल रहे सिद्धू ने 1 माह से अधिक समय बाद भी अपना विभाग नहीं संभाला था। 

कैप्टन पर दिया बयान सिद्धू को ले आया हाशिए पर
सिद्धू की ओर से बठिंडा में किए गए कटाक्ष के बाद कि पंजाब में अकालियों के साथ फ्रैंडली मैच चल रहा है, उनको हाशिए पर ले आया। कै. अमरेन्द्र सिंह व उनका ग्रुप राजनीतिक रूप से अत्यंत शक्तिशाली है। इस धड़े ने इस प्रकार से राजनीतिक बिसात बिछाई कि सिद्धू एकाएक हाशिए पर चलते गए तथा धीरे-धीरे उनके करीबी साथी भी उनसे दूरी बनाते गए। 

प्रियंका का अभी भी सिद्धू पर विभाग ज्वाइन करने का दबाव
सूत्रों के अनुसार सिद्धू पर इस बात का पूरा दबाव है कि वह मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा दिए गए विभाग को ज्वाइन करें क्योंकि सिद्धू अज्ञातवास में चले गए थे।  उनका मोबाइल भी ट्रेसेबल नहीं था। प्रियंका गांधी का सिद्धू के ऊपर जबरदस्त दबाव है कि वह कैबिनेट पद न छोड़ें तथा मुख्य धारा में लौट आएं। 

मुख्यमंत्री से सिद्धू की दूरी क्या उन्हें कांग्रेस से दूर ले जाएगी
सिद्धू ने हाईकमान की निर्णयहीनता की स्थिति को देखते हुए अंतत: खुद ही कदम उठाया है जो आने वाले समय में कैप्टन अमरेन्द्र ग्रुप व प्रदेश कांग्रेस से उनकी दूरियां और बढ़ाएगा। अगर प्रियंका गांधी या कोई अन्य क्रियाशील व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बनता है तो थोड़ी-सी सुनवाई सिद्धू की पार्टी हाईकमान में हो सकती है परन्तु आज की स्थिति में मुख्यमंत्री के सम्मुख सिद्धू के सितारे फिलहाल ‘गर्दिश’ में नजर आ रहे हैं। 

पंजाब की राजनीति में नए गठबंधन के आसार
यदि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तनातनी के बाद दिल्ली दरबार से भी कोई राहत न मिलने से आहत नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस पार्टी को भी छोड़ देते हैं तो पंजाब की राजनीति में एक नए गठबंधन के रास्ते खुल जाने के आसार दिखाई दे रहे हैं।  नवजोत सिंह सिद्धू के कार्मिक जीवन को देखें तो सिद्धू इस्तीफा देने के उपरांत गुमनाम बैठने वाले नहीं हैं। कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी सिद्धू को अपना समर्थन देगी, वहीं बैंस बंधु, धर्मवीर गांधी, सुखपाल सिंह खैहरा, जगमीत सिंह बराड़, सुच्चा सिंह छोटेपुर और अकाली दल से अलग हुए टकसाली अकाली दल के नेता भी सिद्धू की ओर आकर्षित होंगे।

सिद्धू का जनाधार सुरक्षित 
सिद्धू के पास पंजाब का जनाधार आज भी सुरक्षित है जिस कारण उनकी टी.आर.पी. बराबर बढ़ती रही है। उनकी लोकप्रियता का आलम यह भी है कि किसी भी चुनाव में सिद्धू ने हार का मुंह नहीं देखा। सिद्धू से बार-बार संसदीय चुनावों में हारे हुए कांग्रेस के उम्रदराज महारथी रघुनंदन लाल भाटिया भी सिद्धू को मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दे चुके हैं। कांग्रेसी नेता कुछ भी कहें लेकिन सिद्धू का तिरस्कार कांग्रेस के जनाधार को नुक्सान भी पहुंचा सकता है।

swetha