पंजाब सरकार और प्रशासन की लापरवाही, स्वतंत्रता दिवस के बाद इस हालत में मिले तिरंगा झंडे

punjabkesari.in Saturday, Aug 20, 2022 - 01:36 PM (IST)

अमृतसर (ममता/अनिल): केंद्र और पंजाब सरकार द्वारा घर-घर में तिरंगा फहराने की मुहिम प्रशासन की लापरवाही कारण घरों और शहरोंकी शोभा कम पर  कूड़े के ढेरों और वाहन ज्यादा अनादर होता नजर आया।  स्वतंत्रता दिवस को अभी चार दिन ही हुए हैं कि अब देश की आन और शान तिरंगों का अपमान होता देखा गया है। शहर के समाजसेवियों और विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर खेद जताया है और जिला प्रशासन की लापरवाही पर तीखा पलटवार करते हुए सरकार से मामले की जांच कराने की मांग की है। शहर में अलग-अलग जगहों पर कूड़े के डंप और कूड़े के ढेरों पर बड़ी संख्या में तिरंगे गिरे दिखे तो पंजाब केसरी की टीम ने इसे अपने कैमरे में कैद कर लिया।

इस संबंध में जहां शहर के बड़े-बुजुर्गों ने इसकी निंदा की, वहीं इसके लिए उन्होंने मुख्य रूप से नगर निगम और जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर घर-घर जाकर तिरंगा फहराने के लिए  2 लाख 1 हजार झंडे अमृतसर भेजे गए। पंजाब सरकार की ओर से भेजे गए झंडों की कीमत 25 रुपए प्रति ध्वज तय की गई। हैरानी की बात यह है कि सरकार द्वारा भेजे गए झंडे किसी चौराहे पर नहीं दिखे तो सवाल उठता है कि ये झंडे कहां गए?

फ्लैग कोड एक्ट 2002 के तहत मामला दर्ज  

इस संबंध में अखिल भारतीय शिरोमणि महाजन सभा के महासचिव और जिला कांग्रेस शहरी के उपाध्यक्ष ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि तिरंगा झंडा विभागों को बांटने के लिए अमृतसर के ए.डी.सी. विकास को भेजा गया था जिसमें नगर निगम को 30 हजार झंडे दिए गए ताकि उन्हें नगर निगम के 85 वार्डों के चौराहों और शहर के प्रमुख स्थानों पर लगाया जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम ने शहर के किसी भी चौराहे पर एक भी झंडा नहीं लगाया गया। इसी तरह नगर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट जैसे कमाऊ पुत्रों ने भी कोई झंडा फहराने की जरूरत महसूस नहीं की। इसी तरह पुलिस कमिश्नर को 10 हजार झंडे देने का मकसद था परंतु पुलिस ने ये झंडे कहां लगाए हैं, इसका जवाब पुलिस अधिकारी ही दे सकते हैं। पुड्डा को भी 7 हजार झंडे दिए गए और कहां लगाए गए इसका कोई जवाब नहीं है, 12 हजार झंडे स्वास्थ्य विभाग को देने का लक्ष्य था लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कुछ ही झंडे लगाए।

मुकेश महाजन ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि  कचरे वाले ट्रकों में लोगों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फेंकना एक दुखद पहलू है। उन्हें अपने राष्ट्रीय दिवस और ध्वज का तहे दिल से सम्मान करना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय तिरंगा सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं है, हमें और भारत के लोगों को तिरंगे का सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ फ्लैग कोड एक्ट 2002 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की जाए।

तिरंगे का अपमान कर उजागर हुई 'आप' की देशभक्ति

खादी बोर्ड उद्योग की पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ममता दत्ता ने तिरंगे झंडे के अपमान पर खेद व्यक्त किया और कहा कि ऐसा अपमान उनके स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान लगता है जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया। उन्होंने नगर निगम और जिला प्रशासन की पूरी जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि ऐसे कर्मचारियों की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जो तिरंगा झंडों को कूड़ाकर्कट वाली गाड़ियों में डाल कर न लाते। इसके अलावा जिला प्रशासन द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि इंकलाब जिंदाबाद के बड़े-बड़े नारों के साथ देशभक्तों के प्रति अपने प्यार का इजहार करने के लिए जिला प्रशासन ही नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की सरकार भी जिम्मेदार है। पंजाब की वर्तमान सरकार को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि देश के सम्मान और गौरव के प्रति क्या रवैया होना चाहिए।

तिरंगे का अपमान नहीं, अनादर भी

भाजपा के वरिष्ठ नेता सरचंद सिंह ख्याला ने भी तिरंगे के इस तरह के अनादर को अपमानजनक करार दिया और कहा कि केंद्र सरकार ने हर घर में तिरंगा अभियान को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी है।उन्होंने इसे पंजाब की सत्ताधारी पार्टी की नाकामी करार देते हुए कहा कि वह देश के तिरंगे के सम्मान और गौरव की रक्षा करने में नाकाम रही है, जिसके चलते कूड़े के ढेर में तिरंगा झंडा नजर आया था जिस कारण सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश में शर्मिंदगी महसूस हो रही है। उन्होंने मांग की कि इस संबंध में जिम्मेदार जिला प्रशासन और नगर परिषद अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

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News Editor

Urmila