Photos: शादी के 6 साल बाद मिलनी थी दुनियां भर की खुशियां पर एक गलती ने सब कुछ किया तबाह

punjabkesari.in Thursday, Apr 22, 2021 - 04:54 PM (IST)

माछीवाड़ा साहिब: यहां के एक परिवार के घर 6 साल बाद किलकारियां गूंजनीं थी लेकिन इससे पहले ही माछीवाड़ा सरकारी अस्पताल के काम ने इस परिवार की खुशियां तबाह कर दी। अस्पताल में बुरे प्रबंधों के कारण डिलीवरी के दौरान नवजात बच्चे की मौत हो गई, जिस कारण परिजनों में स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ़ भारी रोष पाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार गांव सैसोंवाल कलां के रमनदीप सिंह ने बताया कि उसकी पत्नी पूजा कुमारी  6 साल बाद गर्भवती हुई, जिसकी डिलीवरी के लिए उसने माछीवाड़ा सरकारी अस्पताल में उसके दाख़िल करवा दिया। परिजनों के अनुसार रात 9 बजे उसे दाख़िल करवाया गया और 12 बजे उसे दर्द शुरू हो गई लेकिन उस समय अस्पताल में कोई भी डाक्टर मौजूद नहीं था। 

कई घंटे तड़पती रही गर्भवती पत्नी
उसकी पत्नी पूजा कुमारी को ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स और आशा वर्कर लेबर रूम में ले गई, जो कि कई घंटे तड़पती रही लेकिन डिलीवरी के लिए कोई भी डाक्टर नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि आखिर जब डिलीवरी दौरान बच्चा फंस गया तो बाहर से प्राईवेट डाक्टर बुलाया गया, जिसने बच्चे को बहुत मुश्किल से निकाला और इस दौरान उसकी मौत हो गई। पति रमनदीप सिंह ने बताया कि 6 साल बाद उनके घर बड़ी दुआएं मांगने के बाद किलकारियां गूंजनीं थी लेकिन सरकारी अस्पताल के बुरे प्रबंधों के कारण उसके नवजात बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का कहना था कि यदि सरकारी अस्पताल में डाक्टर ही नहीं और प्रबंध मुकम्मल नहीं था तो वह मरीज़ को रैफर कर देते और वह निजी अस्पताल जाकर डिलीवरी करवा लेते, जिस कारण उनके बच्चे की मौत न होती। परिजनों का कहना था कि एक तरफ़ पंजाब सरकार बड़े -बड़े दावे करती है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज मुफ़्त है और सभी सुविधाएं हैं लेकिन दूसरी तरफ़ डाक्टर न होने के कारण मरीज़ों को इलाज नहीं मिल रहा फिर ऐसे अस्पताल खोलने का क्या फ़ायदा। उन्होंने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। 


सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी: SMO
माछीवाड़ा सरकारी अस्पताल में तैनात एस.एम.ओ. डा. जसप्रीत कौर ने बताया कि यहां ड्यूटी के लिए 6 डॉक्टर चाहिएं लेकिन एक डाक्टर के साथ काम चलाया जा रहा है, जबकि दूसरा डाक्टर समराला से विशेष तौर पर ओ. पी.डी. के लिए बुलाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि बाद दोपहर 3 से सुबह 9बजे तक सरकारी अस्पताल में एमरजैंसी दौरान कोई डाक्टर तैनात नहीं रहता और यदि बहुत ज़्यादा ज़रूरत हो तो फोन करके बुलाया जाता है। पहले भी डाक्टरों की कमी के कारण माछीवाड़ा अस्पताल में नर्सें डलिवरी करती हैं लेकिन बच्चे की मौत हो जाने के कारण उन्हें बेहद अफ़सोस है। उन्होंने यह भी बताया कि डाक्टरों की कमी के अलावा अस्पताल में 20 दर्जा -4 मुलाज़ीम चाहिएं, जबकि यहां 24 घंटे ड्यूटी के लिए सिर्फ़ 5 मुलाज़ीम तैनात हैं। उन्होंने कहा कि माछीवाड़ा अस्पताल में डाक्टरों और स्टाफ की कमी के लिए वह कई बार अपने उच्च अधिकारियों को लिखित रूप में सूचित कर चुके हैं लेकिन समस्या का कोई हल नहीं हुआ। 
 

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Vatika