सिंचाई विभाग में करोड़ों के घोटाले में बड़े अधिकारियों व नेताओं पर नहीं हुई कार्रवाई

punjabkesari.in Thursday, Oct 08, 2020 - 10:47 AM (IST)

चंडीगढ़(हांडा): पंजाब के सिंचाई विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में विजीलैंस ने सुपरिंटैंडैंट इंजीनियर व चीफ इंजीनयर स्तर तक के दर्जनों अधिकारियों के खिलाफ मोहाली विजीलैंस थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कर कार्रवाई की थी, लेकिन जांच के दौरान कुछ प्रशासनिक अधिकारियों व अकाली सरकार में मंत्री रहे 3 लोगों के नाम भी सामने आए थे जिनके खिलाफ विजीलैंस ने कार्रवाई नहीं की थी। 

उक्त बड़े अधिकारियों व नेताओं पर कार्रवाई करने और विजीलैंस की बजाय मामले की जांच सी.बी.आई. को देने की मांग करते हुए कुछ किसानों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए 11 नवम्बर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। 

एडवोकेट बलतेज सिंह सिद्धू की मार्फत दाखिल हुई याचिका में बताया गया कि पंजाब के सिंचाई विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की बात सामने आने के बाद विभाग ने प्राथमिक जांच के बाद मामला विजीलैंस को सौंपा था, जिसमें ठेकेदार गुरिंद्र सिंह उर्फ भापा सहित 6 आई.ए.एस. अफसरों व उनके परिवार के नाम 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति का पता चला था, जबकि गुरिंद्र सिंह द्वारा 2 बैंकों से 100 करोड़ कैश निकालने के सबूत मिले थे। 

जांच में गुरिंद्र सिंह ने स्वीकार किया था कि उक्त पैसे उसने 3 आई.ए.एस. अफसरों को दिए थे, जबकि 2 अकाली मंत्रियों को भी सिंचाई विभाग के मिलने वाले ठेकों की एवज में हिस्सेदारी देने के बयान विजीलैंस को दिए गए थे। कोर्ट को बताया गया कि अजीत सिंह नामक व्यक्ति को के.पी.एस. सिद्धू ने फाइनैंस कमिश्नर रहते हुए चंडीगढ़ से सटी 5 एकड़ जमीन अलॉट की थी, जिसमें से साढ़े 3 एकड़ जमीन अजीत सिंह ने मनोहर सिंह एंड संस कंपनी को 38 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से बेच दी।

विजीलैंस को दिए बयानों में अजीत सिंह ने कबूला था कि जमीन की एवज में 75 लाख रुपए उसने के.पी.एस. सिद्धू को दिए थे। याची पक्ष ने उक्त मामले में छपी खबरों को भी याचिका में संलग्न किया है। कोर्ट ने याची पक्ष की दलील स्वीकार करते हुए सरकार को 11 नवम्बर के लिए नोटिस जारी कर दिया है। 

Sunita sarangal