रेत खनन की पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने पर बिफरे ठेकेदार, मंथन में जुटी पंजाब सरकार

punjabkesari.in Wednesday, Dec 25, 2019 - 11:16 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): ई-ऑक्शन में बोली लगाकर पंजाब में रेत खनन के इच्छुक ठेकेदार अब बिफरने लगे हैं। ठेकेदारों का गुस्सा इस बात पर फूटा है कि कई माह इंतजार के बाद भी अब तक उन्हें रेत खनन की पर्यावरण मंजूरी नहीं मिल पाई है, जिसके चलते उन पर आर्थिक नुक्सान के बादल मंडराने लगे हैं। इसलिए ठेकेदारों ने खनन विभाग को एक रिप्रैजैंटेशन दी है ताकि 2018 में जारी माइनिंग पॉलिसी में उन्हें कुछ रियायत मिल सके। पंजाब सरकार इस पर मंथन में जुट गई है।

ठेकेदारों की चिंता माइनिंग पॉलिसी के उस नियम को लेकर है, जिसमें पर्यावरण मंजूरी न मिलने की सूरत में 4 माह बाद ठेकेदार पर बोझ पड़ना लाजिमी है। पॉलिसी में कहा गया है कि 3 साल की अवधि के लिए आबंटित की गई खनन वाली जगह को लेकर ठेकेदार जब भी कांट्रैक्ट एग्रीमैंट करेगा, उसके 4 महीने बाद खनन का ठेका चालू मान लिया जाएगा। 

पंजाब के 6 खनन समूहों की नीलामी प्रक्रिया जुलाई, 2019 में मुकम्मल कर ली गई थी। बाकायदा पंजाब के खनन मंत्री सुखविंद्र सरकारिया ने घोषणा करते हुए कहा था कि इस नीलामी से रिकार्ड तोड़ 274.75 करोड़ की आमदन हुई है। इसके बाद खनन विभाग ने बोली देने वाले ठेकेदारों के साथ कांट्रैक्ट एग्रीमैंट साइन कर लिया था, जो अब 4 महीने पुराने हो चुके हैं। उस पर पर्यावरण मंजूरी का मामला अधर में लटका हुआ है जिसके चलते वह खनन नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा, इसका प्रभाव ठेकेदारों की जेब पर पड़ सकता है। इसलिए ठेकेदारों ने खनन विभाग से आग्रह किया है कि पॉलिसी में घोषित समयाविधि पर दोबारा विचार किया जाए। ठेकेदारों को अतिरिक्त समय दिया जाए ताकि एनवायरनमैंट क्लीयरैंस का रास्ता साफ हो सके। 

सरकार को आर्थिक चपत  ठेकेदारों के गुस्से का खमियाजा सरकार को आर्थिक नुक्सान के तौर पर झेलना पड़ सकता है क्योंकि नीलाम हुई माइनिंग साइट्स की रकम ठेकेदारों ने प्रत्येक तिमाही किस्त के जरिए अदा करनी है। बेशक कांट्रैक्ट एग्रीमैंट साइन से सरकार के खाते में अब तक करीब 70 करोड़ रुपए आ चुके हैं, लेकिन बाकी किस्तें अभी अदा होनी बाकी हैं। रेत खनन में देरी से ठेकेदार भी किस्त जमा करवाने में देर कर रहे हैं।

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