जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक में पंजाबी को शामिल नहीं करना सिखों के साथ ज्यादती: लोंगोवाल

punjabkesari.in Thursday, Sep 03, 2020 - 07:26 PM (IST)

अमृतसर: जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक में पंजाबी को शामिल नहीं करने को गंभीरता से लेते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल ने आज केन्द्र सरकार से अपील की है कि वह इस सम्बन्ध में पुनर्विचार करे। भाई लोंगोवाल ने पंजाब के सांसदों से भी अपील की है कि वे संसद में इस विधेयक के विरुद्ध आवाज उठाएं और पंजाबी भाषा को जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक में शामिल करवाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहले पंजाबी भाषा को उचित स्थान प्राप्त था। पंजाबी भाषा को जम्मू-कश्मीर के संविधान में भी मान्यता मिली हुई थी लेकिन मौजूदा विधेयक में पंजाबी को छोड़ कर उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी को स्वीकृत करना न्यायोचित नहीं है।        

भाई लोंगोवाल ने कहा कि पूरे जम्मू-कश्मीर में लाखों लोग पंजाबी भाषा बोलते हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर भाषा विधेयक के मौजूदा स्वरूप के कारण ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सिख पहले ही अल्पसंख्यकों वाली सुविधाओं से वंचित हैं और उनकी निरंतर मांग रही है कि उन्हें भी अल्पसंख्यकों वाली सभी सरकारी सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार को सिखों की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। 
 


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