अब चुनाव परिणामों का इंतजार: विधानसभा चुनाव 2022 पर दिखेगा असर
punjabkesari.in Monday, Feb 15, 2021 - 11:06 AM (IST)
होशियारपुर (अमरेन्द्र मिश्रा) : पूरे पंजाब में आज 8 नगर निगम व 109 नगर परिषदों के लिए चुनाव संपन्न तो हो गए, लेकिन इनके परिणाम का असर आगामी विधानसभा चुनाव 2022 पर साफ तौर पर दिखेगा। राजनीतिक माहिरों की मानें तो इस चुनाव को विधानसभा चुनाव 2022 का सेमीफाइनल कहा जा सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि किसान आंदोलन की वजह से इस चुनाव में कांग्रेस लाभ की स्थिति में दिख रही है, जिसे अकाली दल से जोरदार टक्कर भी मिल रही है। हालांकि इस चुनाव में अकाली दल के लिए अस्तित्व का सवाल बन गया, वहीं भाजपा के पुरजोर विरोध के बावजूद पार्टी ने जनाधार बढ़ाने पर जोर दिया तो बसपा और ‘आप’ पंजाब में मजबूत वापसी पर जोर दे रही हैं।
आर्थिक मोर्चे पर कांग्रेस सरकार बेहाल
कांग्रेस के लिए राजनीतिक माहौल तो फायदे वाला है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर सरकार कामयाब नहीं हो पा रही है। पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप को लेकर दलित वर्ग व इंडस्ट्रियल पालिसी को लेकर औद्योगिक क्षेत्रों में नाराजगी है। सबसे महंगी बिजली ने सभी वर्गों में नाराजगी पैदा की है। छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर भी सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ माहौल बना हुआ है। इस सबके बीच किसान आंदोलन को कांग्रेस के समर्थन ने पार्टी के लिए राहत पैदा की है, जिसका हल निकल आता है तो दूसरे मुद्दों पर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बन सकता है।
आप के पास बड़ा चेहरा नहीं होना समस्या
आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है। दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के कारण पंजाब में भी एक बार फिर पार्टी के प्रति लोगों में सकारात्मक रुख आने लगा है। पंजाब में पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है, इसलिए पूरा जनसमर्थन पार्टी को नहीं मिल पा रहा है। विधानसभा चुनाव से एक साल पहले निकाय चुनाव के नतीजे उसे मंथन का मौका देंगे।
पंजाब में कम नहीं शिअद व भाजपा की मुश्किलें
अकाली दल और भाजपा गठबंधन खत्म होने के बाद देहात क्षेत्र में अकाली दल को भाजपा के वोट बैंक से वंचित होना पड़ेगा। अकाली दल के खिलाफ किसानों में भी अभी नाराजगी है। ऐसे में अकाली दल की स्थिति भी बेहतर नहीं रहने वाली है। इसी स्थिति को भांपते हुए कई स्थानों पर अकाली दल ने आखिरी समय में अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडऩे से हाथ खींच लिया। भाजपा के लिए भी इस समय विकट स्थिति थी, क्योंकि किसान आंदोलन के कारण पंजाब में एक बड़ा वर्ग भाजपा के खिलाफ है।
राजनीतिक दलों के लिए जमीन तलाशने का रहेगा यह साल
नगर निगम व नगर परिषद चुनाव राजनीतिक दलों की भविष्य की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। होशियारपुर के गढ़दीवाला में मामूली झड़प को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हुआ पर पंजाब के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसक घटनाओं ने यह बताया कि अगला एक वर्ष राजनीतिक उथल-पुथल वाला रहेगा और टकराव की आशंका बनी रहेगी। यह चुनाव राजनीतिक दलों, राजनेताओं का भविष्य भी तय करेगा। स्थानीय निकाय चुनाव सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के पक्ष में ही रहते हैं, लेकिन पंजाब में हमेशा जनता एक नया संदेश देती है।
अपनी जमीन मजबूत कर रही बसपा
बहुजन समाज पार्टी भी अब दोबारा जमीन मजबूत करने लगी है। ‘आप’ के उदय से पंजाब में बसपा का वोट बैंक टूटने लगा था, लेकिन अब यह वोट बैंक पार्टी की तरफ वापस लौट रहा है। बसपा के लिए पंजाब में सत्ता में आने के लिए गठबंधन ही एक रास्ता है।