NRI गांव: ज्यादातर लोग बसे हैं विदेश में, बंगलों में जड़े हैं ताले

punjabkesari.in Saturday, Dec 29, 2018 - 12:29 PM (IST)

जालंधर। पंजाब के लोगों में विदेशों में जाकर पैसा कमाने का खासा जुनून है। कुछ लोग विदेशों में जाकर पैसा कमाने के बाद वापिस भी आ जाते हैं और कुछ विदेशों की नागरिकता हासिल कर वहीं बस जाते हैं। आज आपको बताने जा रहे हैं पंजाब के ऐसे गांव की कहानी जहां हर परिवार का कोई न कोई सदस्य विदेश में बसा है और गांव में ज्यादातर बंगलों में ताले जड़े हुए हैं। गांव में एंटर करते हुए ऐसा लगता है कि सालों से यहां शायद कोई आया ही नहीं है। 
फगवाड़ा के समीप है पलाही गांव...
पलाही गांव सतलुज और ब्यास नदी के बीच जालंधर के पास स्थित है। पंजाब में जिस तरह हर गांव में एक पारंपरिक रौनक रहती है, और लोग चौपाल पर एकत्रित होकर एक दूसरे के सुख दुख में शरीक होते हैं, ऐसा इस गांव में कुछ भी नहीं  रह गया है। यह गांव युवाओं के पलायन के लिए मशहूर है, जो अपनी बहुमूल्य जमीन छोड़कर समृद्धि की खोज में पश्चिमी देश जाते हैं। जो लोग बाहर जाकर कानूनी तौर पर वहीं बस गए हैं, वे अपने बुजुर्गों को भी साथ ले गए। लेकिन सभी ऐसा नहीं कर पाए, जिसके चलते गांव में रिहायश आशिंक रूप में ही है।
नई जनरेशन भी बसना चाहती है विदेश में...
गांव में आने वाली बची हुई जनरेशन में भी विदेश जाने का जुनून कम नहीं है। विदेश में आबाद अपने रिश्तेदारों की चमक देख इन युवाओं का भी दिल करता है कि वो भी वहीं जाकर काम करें। वह ऐसे स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जहां के सर्टिफेकेट और डीग्री विदेश में मान्य हो। इस गांव के कई युवाओं ने विदेशों में जाने के लिए परमानेंट रेजिडेंट के लिए एप्लाई कर रखा है। वे बाकायदा इसके लिए देश में चल रह संस्थानों में विदेश जाने के लिए काउंसलिंग भी करवा रहे हैं।
विकसित गांव है पलाही...
NRI लोगों का गांव पलाही बहुत विकसित है, पक्की साफ सुथरी सड़कें, भूमिगत सीवर, हर समय बिजली और पानी की आपूर्ति गांव में उपलब्ध है। लेकिन गांव के परंपरागत जीवन की रौनक खत्म हो गई है। न शाम को चौपाल पर लोग जमा होते हैं, न दिन में गलियों में कोई नजर आता है। ज्यादातर घर तो बंद पड़े हैं, लेकिन कुछ लोगों ने अपनी कोठियों की देखभाल के लिए कुछ हिस्सा किराए पर दे दिया है।

Suraj Thakur