NRI वोटर पंजाब की सियासत में मचा देते हैं खलबली, पढ़े पूरी खबर

punjabkesari.in Saturday, Mar 30, 2019 - 12:56 PM (IST)

जालंधर (सूरज ठाकुर): पंजाब में एन.आर.आई. वोटरों की संख्या 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 169 से बढ़कर 393 ही हुई है लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि विश्व के कई देशों में बसे करीब 34 लाख में से हजारों एन.आर.आई. चुनाव प्रचार में आकर सियासी दलों में खलबली मचा देते हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हजारों आम आदमी पार्टी समर्थक एन.आर.आई. प्रचार के लिए डट गए थे। हालत यह हो गई थी कि इनको बाहरी लोग करार देते हुए शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इनके प्रचार पर रोक लगाने की मांग कर डाली थी। सूबे में ‘आप’ के दोफाड़ होने के बाद इसके समर्थकों के भी 2 धड़ों में बंटने के दावे किए जा रहे हैं।    

2014 में एक भी एन.आर.आई. ने नहीं डाला था वोट
पंजाब में आम आदमी पार्टी को अपने एन.आर.आई. समर्थकों के दम पर किसी न किसी कोने में अपनी कामयाबी दिखती रही है। ‘आप’ का दावा है कि पंजाब के अधिकांश एन.आर.आई. उसके समर्थक हैं, जबकि ‘आप’ के दोफाड़ होने के बाद सुखपाल खैहरा की पंजाबी एकता पार्टी का भी अब यही दावा है, जबकि असली पत्ते तभी खुलेंगे जब चुनाव प्रचार में एन.आर.आई. सूबे में दाखिल होंगे। लोकसभा चुनाव 2019 की मतदाता सूची में सिर्फ 393 एन.आर.आई. ही पंजीकृत हैं। यहां हैरत की बात यह है कि 2014 में मतदाता सूची में 169 एन.आर.आई. पंजीकृत थे और इनमें से एक ने भी अपने मत का प्रयोग नहीं किया था।       

‘आप’ की डोनेशन लिस्ट में 500 से ज्यादा पंजाबी एन.आर.आई. 
पंजाब के मालवा, माझा और दोआबा के एन.आर.आई. सूबे की तकरीबन सभी पाॢटयों को फंङ्क्षडग करते हैं, लेकिन पंजाब में 2014 के लोकसभा चुनाव में ‘आप’ की एंट्री के बाद इनका मोह शिअद और कांग्रेस से काफी हद तक भंग हो गया। दो साल पहले हुए पंजाब विधानसभा में चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी को एन.आर.आई. वर्ग से 15 करोड़ से ज्यादा फंङ्क्षडग हुई थी। चुनाव आयोग को सौंपी गई 2016-17 की दानकत्र्ताओं की सूची में कुल 3865 लोग शामिल थे जिनमें 500 से ज्यादा पंजाबी एन.आर.आई. थे। औसतन 3 लाख रुपए प्रत्येक व्यक्ति ने ‘आप’ को दान दिया था।

विधानसभा चुनाव प्रचार में पहुंच गए थे 6 हजार एन.आर.आई. 
2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के कैंपेन ‘चलो पंजाब’ के तहत 2 फ्लाइट भरकर कनाडा और इंगलैंड की टीमें पार्टी को सपोर्ट करने पहुंचीं। उनका स्वागत खुद मनीष सिसौदिया ने दिल्ली एयरपोर्ट पर धूमधाम से किया था। ‘आप’ ने दावा किया था कि चुनाव प्रचार के दौरान विदेशों के करीब 6,000 एन.आर.आई. पंजाब पहुंचे थे। बड़ी संख्या में प्रवासियों की प्रदेश वापसी सत्ताधारी अकाली दल और कांग्रेस दोनों के लिए सिरदर्द बन गई थी। सियासी जमीन खिसकती देख तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों दलों का मानना था कि प्रवासियों द्वारा चुनाव प्रचार पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। चुनाव प्रचार में विदेशों से आए लोगों पर आरोप लगाए गए थे कि उनका संबंध चरमपंथियों से है। यह सारा मामला चुनाव आयोग में भी पहुंच गया था। 

क्या चाहते हैं एन.आर.आई. 
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में आम आदमी पार्टी के 4 प्रत्याशी संसद में अपनी सीट पक्की करने में कामयाब हुए थे। पंजाब के लोग विदेशों में बड़ी संख्या में बसे हैं और यह राज्य ड्रग्स और भ्रष्टाचार की विकराल समस्याओं से जूझ रहा है। बाहर बसे लोग पंजाब को फिर से खुशहाल देखना चाहते हैं। यही कारण है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में एन.आर.आई. का अहम योगदान रहा। इस वर्ग ने कॉङ्क्षलग कैंपेन और छोटे-छोटे डोनेशन देकर ‘आप’ के एक-एक उम्मीदवार को सशक्त किया था। फोन के जरिए अपने रिश्तेदारों, पड़ोसी और गांव वालों को समझाया। ‘आप’ को इस चुनाव में भी विदेशों में बसे पंजाबियों से उम्मीद है, लेकिन अब पार्टी 2 धड़ों में बंट चुकी है। आम आदमी पार्टी से अलग होकर सुखपाल खैहरा पंजाबी एकता पार्टी बना चुके हैं। अब किस के साथ कितने एन.आर.आई. हैं यह तो चुनाव प्रचार के दौरान ही पता चलेगा।

                     

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