कैप्टन सरकार का एक वर्षः वायदे अधूरे, यूथ बेहाल

punjabkesari.in Saturday, Mar 17, 2018 - 11:34 AM (IST)

जालंधर  (रविंदर): पंजाब में कैप्टन सरकार के गठन का एक साल पूरा हो गया है। सरकार भले ही अपने एक साल के शासन को उपलब्धियों से भरा शासन बताए लेकिन चुनाव से पूर्व सरकार द्वारा जनता से किए गए ‘बड़े वायदे’ पूरे नहीं हुए हैं। कैप्टन सरकार के वायदे अभी भी अधूरे हैं और यूथ बेहाल है। चुनाव में युवाओं को आकर्षित करने वाला मुफ्त के मोबाइल का मुद्दा हो या हर घर में नौकरी का मुद्दा सरकार अपने इन वायदों पर खरी नहीं उतर पाई है। देश की 70 प्रतिशत आबादी युवा वर्ग से है। पंजाब में भी 1.97 करोड़ वोटर में से 1.25 करोड़ वोटर 18 से 40 साल की उम्र के हैं। 3.67 लाख वोटर तो 18-19 साल की उम्र के थे। इन युवाओं को सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। सबसे बड़ा सपना था उन्हें रोजगार देने का, दूसरा वायदा था स्मार्ट फोन देने का और तीसरा वायदा था सस्ती शिक्षा देने का। 


वायदा तो हर घर रोजगार और हर साल तकरीबन 2 लाख नए रोजगार पैदा करने का था। मगर एक साल में सरकार युवाओं के सपनों को पंख नहीं लगा सकी। युवाओं का हर सपना चकनाचूर हो गया। न घर-घर रोजगार मिला और न स्मार्ट फोन और न सस्ती शिक्षा। 50 लाख युवाओं को स्मार्ट फोन देने का वायदा किया, मगर एक साल में एक भी स्मार्ट फोन नहीं दिया। कैप्टन सरकार एक साल में सिर्फ 20 हजार युवाओं की रोजगार दे पाई और वह भी प्राइवेट सैक्टर में। हालात इस कदर बुरे रहे कि इन युवाओं को 8 से 10 हजार रुपए की नौकरी के प्रमाण पत्र थमा दिए गए। युवाओं का गुस्सा चरम पर है और कैप्टन सरकार के पास युवाओं के भविष्य की भी कोई योजना दिखाई नहीं दे रही है।

 

पंजाब को मजबूत बनाने की 
एक समय था, पंजाब का नौजवान सेना, पुलिस, खेल, डाक्टर व इंजीनियरिंग की पढ़ाई को अहमियत देता था और पंजाब में ही रह कर भविष्य के सपने देखता था। पिछले कुछ सालों से सरकारों ने पंजाब के हालात इस कदर बिगाड़ दिए हैं कि न तो पंजाब में व्यापार रहा और न रोजगार। बेरोजगारी व राज्य में बढ़ती नशे की लत ने माता-पिता को भी डरा दिया। आज हालात यह है कि माता-पिता खुद चाहते हैं कि 10वीं की परीक्षा पास करते हुए अपने बेटे को वह विदेशी धरती पर भेज दें। एक आंकड़े के मुताबिक सिर्फ पंजाब से ही हर साल 500 करोड़ की राशि विदेशों में पढ़ाई के नाम पर शिफ्ट हो रही है। 


इंडस्ट्री को नहीं मिली कोई राहत, नई आ सकी नई पॉलिसी
इंडस्ट्री पर हर तरह का बोझ कम करने व इंडस्ट्री को बड़ी राहत का सपना दिखाकर कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले उद्योगपतियों का दिल जीता था। 10 साल तक सरकार की मार झेल रही इंडस्ट्री को कांग्रेस सरकार से कुछ उम्मीदें जगी थीं। 90 दिन में नई इंडस्ट्री पॉलिसी लाने का वायदा था, मगर हुआ कुछ भी नहीं। उलटा केंद्र की नोटबंदी व जी.एस.टी. ने इंडस्ट्री को तबाह कर रख दिया, मगर पंजाब सरकार हाथ पर हाथ धरे तमाशा देखती रही। फोकल प्वाइंट व औद्योगिक क्षेत्रों का कोई विकास नहीं हो सका।  


रियल एस्टेट कारोबार किया चौपट
प्रदेश में जब 2002 में कांग्रेस की सरकार थी तो राज्य में रियल एस्टेट कारोबार में जमकर बूम आया था। मगर अकाली-भाजपा की 10 साल की सरकार में रियल एस्टेट कारोबार बर्बाद हो गया था। बेहद उम्मीदें थीं कि दोबारा कांग्रेस सरकार आने पर बड़ी राहत मिलेगी। इसी उम्मीद से कारोबारियों ने कांग्रेस को वोट डाला। मगर एक साल में हालात पहले से भी बदतर हो गए और रियल एस्टेट कारोबारियों को राहत देने की बजाय अब सरकार उन्हें चोर तक कहने लगी है। 


कम नहीं हुई किसानों की खुदकुशियां
किसानों के सभी कर्जे माफ करने की घोषणा कर कांग्रेस ने सत्ता में कदम रखा। कर्ज माफी की घोषणा तो हुई मगर आधी-अधूरी। सिर्फ छोटे किसानों को ही एक से दो लाख तक की राहत मिल सकी।  किसान व किसानी आज भी बदहाल है और कांग्रेस सरकार आने के बाद भी प्रदेश में किसानों की खुदकुशियों के मामले कम नहीं हुए। एक साल के भीतर 321 किसानों ने मौत को गले लगाया। 

 

विदेशों में नहीं सुधर सकी पंजाब की साख
नशे का ऐसा दलदल पंजाब में फैल चुका था कि विदेशों में जिस पंजाब की कभी तूती बोलती थी, वहां आने से विदेशी भी डरने लगे थे। गुटका साहिब हाथ में लेकर 40 दिन के भीतर प्रदेश से नशे का खात्मा करने की कसम खाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री नशे पर लगाम नहीं लगा सके और न ही विदेशों में पंजाब की साख को दोबारा बहाल कर सके। 


अपनी नाकामियों से जूझती रही सरकार 
प्रदेश को आॢथक हालात से उभारने के प्रति भी सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया। सिर्फ मीटिंगों के दौर तक ही हर काम सीमित रहा। एक तरफ कैबिनेट छोटी रखी कि प्रदेश पर आॢथक बोझ कम पड़े, मगर सलाहकारों व ओ.एस.डी. की इतनी बड़ी फौज खड़ी कर ली कि सरकार अपनी ही नाकामियों से जूझती रही। 

 

राणा गुरजीत सिंह व सुरेश कुमार को लगा झटका 
कैप्टन को एक साल की सरकार के भीतर दो बड़े झटके लगे। पहला झटका अपने खासमखास साथी राणा गुरजीत सिंह कुर्सी के चले जाना और बाद में सरकार में अपने खास विश्वासपात्र सुरेश कुमार को हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद कैप्टन के तरकश के तीर फीके पड़ते दिखाई दिए। यही नहीं सलाहकारों व ओ.एस.डी. की फौज को लेकर भी कैप्टन आरोपों से घिरे रहे। 

गरीबों का दाना-पानी 
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में गरीबों की वोट पाने के लिए उन्हें नीले कार्ड पर चायपत्ती व चीनी देने का वायदा भी किया था। 500 करोड़ का प्रावधान भी रखा गया था, मगर एक साल में एक भी गरीब तक चीनी व चायपत्ती नहीं पहुंच पाई। 
केबल माफिया, ड्रग माफिया, रेत माफिया पर नहीं लग सकी लगाम
विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा प्रदेश में माफिया राज का था। वह चाहे केबल माफिया था, ड्रग माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया या रेत माफिया का था। मगर सत्ता में आते ही कांग्रेस सब भूल गई और आज इन सब कारोबार पर कांग्रेसी नेताओं का खुद राज है। 


उपलब्धियां..
1    लाल बत्ती कल्चर खत्म किया। 
2    ट्रांसपोर्ट यूनियनें भंग कीं। 
3    इंडस्ट्री को 5 रुपए बिजली की राहत। 
4    गैंगस्टरों का काफी हद तक सफाया। 70 से ज्यादा गैंगस्टर को किया गिरफ्तार। विक्की गौंडर जैसे गैंगस्टर का एनकाऊंटर। 
5    7 टार्गेट किलिंग व नाभा जेल ब्रेककांड के मामले हल किए। 40 से ज्यादा आतंकी विभिन्न संगठनों के दबोचे गए। 
6    छोटे किसानों की कर्ज माफी की तरफ बढ़ाए कदम। 

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