जानिए, zomato और swiggy का खाना सेहत के लिए क्यों हो सकता है घातक

punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2019 - 01:35 PM (IST)

जालंधर(खुराना): पिछले कुछ समय से जोमैटो व स्विगी जैसी कम्पनियों के आने से ऑनलाइन खाना मंगवाने का ट्रैंड काफी बढ़ गया है। अब तो छोटी से छोटी खाने की चीज, यानी एक कुल्फी भी मंगवानी हो तो वह भी जोमैटो इत्यादि पर आर्डर करके आपके घर आसानी से पहुंच जाएगी। शहर के ज्यादातर परिवारों में बच्चों के साथ-साथ बड़ों में ऑनलाइन खाना मंगवाने का क्रेज निरंतर बढ़ता दिख रहा है।



देखने में तो यह सिस्टम काफी सुविधाजनक दिखता है क्योंकि कई परिवार घर में सब्जी इत्यादि बनाकर केवल तंदूरी रोटियां ऑनलाइन आर्डर कर देते हैं और थोड़े से पैसों में ही बाहरी खाने का लुत्फ उठा लेते हैं।यहां तक तो ठीक है परंतु यदि आपको पता चले कि जोमैटो ब्वायज शहर के उन ढाबों से भी डिलीवरी उठा रहे हैं जिन ढाबों के तंदूर सरेआम सड़क पर लगे हुए हैं और तंदूरों के नीचे दूर-दूर तक आधा-आधा फुट सीवरेज का गंदा और काला पानी खड़ा है। इस गंदे पानी से न केवल आसपास का क्षेत्र बदबूदार है बल्कि मक्खियों और मच्छरों की भी भरमार है तो आपको उस ढाबे का खाना खाने के बाद कैसा महसूस होगा।

शनिवार की दोपहर 'पंजाब केसरी' की टीम ने जब माडल टाऊन में प्रवेश किया तो मसंद चौक के साथ ही माडल टाऊन की एंट्री पर स्थित कमल ढाबे के बाहर के हालात देख कर टीम हैरान रह गई। कमल ढाबा जोमैटो इत्यादि पर रजिस्टर्ड है परंतु इस ढाबे का तंदूर खुलेआम सड़क पर ही लगा हुआ है। इसी तंदूर के ऊपर ही आटा गूंथा जाता है, उसके पेड़े बनाए जाते हैं और उन पेड़ों की रोटियां बेल कर उन्हें तंदूर में लगाया जाता है। सड़क पर होने के कारण इस आटे और रोटियों पर कितनी मिट्टी पड़ती होगी, इसका अंदाजा वहां 10 मिनट खड़े होकर ही लग जाता है।


जहां कमल ढाबे वालों ने सड़क पर ही तंदूर लगा रखा था वहीं तंदूर के नीचे दूर-दूर तक यानी कच्ची सड़क पर ही सीवरेज का गंदा पानी खड़ा था। सीवरेज के खड़े पानी में खड़े होकर तंदूरमैन रोटियां और परांठे लगा रहा था और पास ही 2-3 जोमैटो ब्वाय डिलीवरी लेने का इंतजार कर रहे थे। अब हैरानी इस बात की है कि क्या जोमैटो प्रबंधन, जिसने कमल ढाबे को अपने एप पर रजिस्टर्ड कर रखा है, के अधिकारियों ने यह नहीं देखा कि ढाबे का तंदूर सड़क पर लगा हुआ है, जहां सारा-सारा दिन आटा भी खुला पड़ा रहता है और रोटियां भी खुले में ही सेंकी जाती हैं। यह ठीक है कि जोमैटो सस्ती रोटी व सस्ती सब्जी ग्राहकों तक पहुंचती कर रहा है परंतु ढाबों की सफाई को देखना तो उसकी मैनेजमैंट का पहला काम होना चाहिए क्योंकि खाना आर्डर करने वाला शख्स शायद ही कमल ढाबे की असलियत और साफ-सफाई से वाकिफ हो।

गहरी नींद सो रहे स्वास्थ्य विभाग व निगम के अधिकारी
इस सबके लिए जहां जोमैटो प्रबंधन सीधे तौर पर दोषी है वहीं स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की भी उतनी ही जिम्मेदारी है। ये दोनों विभाग आजकल बरसाती सीजन में होने वाली बीमारियों को लेकर लोगों में जागरूकता लाने और चालान काटने जैसी खानापूर्तियां करने में लगे हुए हैं। क्या उन्हें ऐसे ढाबे नजर नहीं आते जिनके तंदूर ही सड़कों की मिट्टी फांकते रहते हैं और तंदूर भी सीवरेज के गंदे पानी में डूबे रहते हैं।करीब एक साल पहले नगर निगम के हैल्थ आफिसर डा. श्रीकृष्ण शर्मा ने माडल टाऊन स्थित इसी कमल ढाबे का चालान काटा था और इस पत्रकार को बताया था कि सड़क पर लगे तंदूर में बन रही चपातियों और तंदूर के आसपास के हालात देख कर उन्हें काफी हैरानी हुई कि शहर में आखिर हो क्या रहा है। चालान काटने के बाद भी सालों से ढाबे के बाहर माहौल गंदा ही रहना निगम की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

ढाबे को कैसे मिला होगा एफ.एस.एस.ए.आई. लाइसैंस
जोमैटो, स्विगी जैसी ऑनलाइन कम्पनियों के साथ काम करने की शर्तों में यह शामिल होता है कि उस संस्थान के पास जी.एस.टी. नम्बर हो तथा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी इन इंडिया (एफ.एस.एस.ए.आई.) का लाइसैंस हो। ढाबे के पास जी.एस.टी. होना कोई बड़ी बात नहीं पर जो ढाबा अपना मेन तंदूर ही बाहर सड़क पर और सीवरेज के गंदे पानी में चला रहा है उसके पास फूड सेफ्टी व स्टैंडर्ड का लाइसैंस होना काफी बड़ी बात है जो स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलता है। किस अधिकारी ने एफ.एस.एस.ए.आई. लाइसैंस दिया, उसने क्या देखा, कब विजिट की और क्या नियमित चैकिंग की, इसकी निष्पक्ष जांच करवाई जाए तो जालंधर के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बड़ी नालायकी व लापरवाही सामने आ सकती है। जिन अधिकारियों के कंधों पर लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है वे खुद ही लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।

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